कहीं न कहीं तो तुम हो
जीवन के सफर में कब तुम्हें खो दियापता ही न चलावीरान राहों पर पत्ते खड़खड़ाए तोपता चला तुम साथ न होयह विश्वास नहीं कि तुम हो ही नहींतुम हो कहीं न सहीतुम छुटे खता मेरी कि योजना तुम्हारीसमझ नहीं पाया आज भीतेरा चेहरा देखने के भ्रम में पलकें उठाता हूँ राहें नजर आती कहती हैं हो कहीं तुम कहीं न कहीं तो तुम ह