shabd-logo

common.aboutWriter

मुझे हिंदी पढ़ना और कविताएं लिखना पसंद है.

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

maheshjaiswal04

maheshjaiswal04

0 common.readCount
2 common.articles

निःशुल्क

निःशुल्क

common.kelekh

तूने भी क्या खूब कहा था !

2 मई 2015
1
1

तूने भी क्या खूब कहा था, फ़िर मिलेंगे चलते-चलते, ताउम्र सफ़र को जारी रखा हमने अंगारो पर जलते- जलते ! एक तिनका मझदार में, जो फ़सा है अब भी प्यार में, उसने भी किनारे आना है, शाम का सूरज ढलते-ढलते ! नींद है ओझल आँखों से और सपनो की बेचैनी शोर मचाए, तेरी रात को हो चंदा हासिल, चाहे अपने सितारे रहे मचलते !

तेरी नजरो का फ़ेरा !!

14 अप्रैल 2015
0
0

वो जो तेरी नजरों का फ़ेरा था कही पर खो गया लगता है, हम पर नही बरसता अब, किसी और को हो गया लगता है। वो जो ख्यालो की रातें थी, हकीकत का सवेरा था, वो जो हमारे-तुम्हारे बीच में कुछ भी न तेरा-मेरा था। वो जो तेरी पलको पर सिर्फ़ मेरे सपनो का डेरा था, शायद उन सपनो का बीज कोई और बो गया लगता है॥ वो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए