तूने भी क्या खूब कहा था !
तूने भी क्या खूब कहा था, फ़िर मिलेंगे चलते-चलते,
ताउम्र सफ़र को जारी रखा हमने अंगारो पर जलते- जलते !
एक तिनका मझदार में, जो फ़सा है अब भी प्यार में,
उसने भी किनारे आना है, शाम का सूरज ढलते-ढलते !
नींद है ओझल आँखों से और सपनो की बेचैनी शोर मचाए,
तेरी रात को हो चंदा हासिल, चाहे अपने सितारे रहे मचलते !