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मैंने तो जिंदगी को बहुत करीब से से देखा है

23 अक्टूबर 2022

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कभी गुमनाम सी कभी बेनाम सी

कभी राहो मे गुजरी बेखौफ सी

मैंने गरीबी को देखा है।

कौन कहता है मैने जिंदगी नही देखी

मैंने तो जिंदगी को बहुत करीब से देखा है।

झुलसती आंखो मे दर्द सहते हुए

भूखे पेट मासूमो को तपड़ते हुए

मैने बच्चो के दर्द को पल पल बढ़ते हुए देखा है।

कौन कहता है मैने जिंदगी नही देखी

मैंने तो जिंदगी को बहुत करीब से देखा है।

बच्चो की ख्वाहिशो के आगे 

मैने मजबूर बाप को झुकते हुए देखा है।

कौड़ी कौड़ी के लिए मैंने उसे रोते हुए देखा है।

सांसो से बच्चो का पेट भरते हुए देखा है।

कौन कहता है मैने जिंदगी नहीं देखी

मैने तो जिंदगी को बहुत करीब से देखा है।

                                                            -  अंशिका यादव


 
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रचनाएँ
दर्पण
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मेरी यह पुस्तक उन लोगो को समर्पित जिन्होंने मुझे जीवन के नए नए अध्याय सिखाये और उनके बताये मार्गों के कारण ही इस पुस्तक को लिखने मे सक्षम हूँ।यह समाज को दर्पण की भांति प्रस्तुत करती। इस पुस्तक मे कविताओं का संकलन है। अगर यह किसी एक की विचारधाराओं को बदल पायी तो मेरे लिए ये अत्यंत गौरव की बात होगी।

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