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manmohanbhatia

मनमोहन भाटिया

11 अध्याय
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पुस्तक के भाग

1

साथी

29 जनवरी 2015
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कुछ वीरान सी हो गई ज़िन्दगी साथी के चले जाने के बाद। अब तो दीवारे ही हो गई साथी साथी के चले जाने के बाद। बार बार याद आता है चेहरा साथी का साथी के चले जाने के बाद। वो हसीन मुस्कुराता चेहरा साथी का वो दिल को लुभाता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार करता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार मांगता चेहरा साथ

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वक्त

30 जनवरी 2015
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धडी की सुईयां चल रही हैं, पर वक़्त थम सा रहा है। कुछ ख़ुशी का पल आ गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ गम का पल छा गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ नाराज़ सी वो हो गई है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ हंस कर नज़रें मिलने लगी हैं, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है।

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उम्मीद

4 फरवरी 2015
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किसी पर उम्मीद छोड कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपने पर उम्मीद रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपनी उम्मीद पर हौसला रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है

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ख्वाब

7 फरवरी 2015
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मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, हॅँसना चाहता हूं, खुल कर हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, इक छोटे से बच्चे की किलकारी जैसी हॅँसी हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, रोते हुए छोटे बच्चों को हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, उदास होठों प

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यूंही

8 फरवरी 2015
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बस यूंही गुज़र रहा है दिन सोचते सोचते बस यूंही गुज़र रही है ज़िन्दगी सोचते सोचते बस एक ठंडी हवा का मस्त झोंका आया सोचते सोचते बस एक गरम हवा बदन पस्त कर गई सोचते सोचते बस रिश्ते बनते टूटते रहे सोचते सोचते बस कुछ हंसी के लम्हे आ गए सोचते सोचते बस कुछ गम से समय बीत गया सोचते सोचते बस कुछ उदा

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दिल

13 फरवरी 2015
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इस दिल को संभाल कर रखिये हर बात पर मचल जाता है। नादान है यह दिल हर बात पर रूठ जाता है। बात ना मानो इस दिल की जोर से धड़कने लग जाता है। जब कहते है इसको नादान भाग कर कोपभवन चला जाता है। जब मानते हैं इसकी बात खुश होकर हंसता जाता है। जब मुस्कुरा कर मिलते हैं दो हसीन चेहरे दिल दिल से मिल जाता ह

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रौशन

16 फरवरी 2015
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करें दिल हम रौशन भुला दें हम दिलों के अंतर गिले शिकवों में क्या रखा है करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन न समझे किसी को छोटा बड़ा सब हैं प्यार के काबिल करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन क्या कोई गरीब अमीर दिल है सबका एक सा करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन एक सा सबका धड़कता है दि

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बस एक बार

23 फरवरी 2015
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बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन के अल्हड दिन बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की किलकारी हंसी बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन में आसमान छूते छोटे छोटे हाथ बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की मस्तियां नादानियां बस एक बार मुड़ कर देंखे वो छोटे हाथों का कबूतर बिल्लियों के पीछे भागना बस एक बार फिर मु

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कायाकल्प

11 मार्च 2015
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कायाकल्प मेज पर फाइलों का पुलिंदा पड़ा है, पर दिलीप को कोई जल्दी नहीं है कि फाइलों को निबटाया जाए। सरकारी विभाग, बिना दक्षिणा के फ़ाइल का पट नहीं खुलता। दिलीप का सिद्धान्त है कि मंदिर जाते है तो बिना प्रसाद, चढ़ावे के भगवान से भी विनती नहीं करते तो सरकारी कर्मचारी कौन भगवान से कम हैं। पूरे देश के ज

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अम्मा

15 अप्रैल 2015
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रात के डेढ़ बज़ रहे थे। कोठी का गेट चौकीदार ने खोला। रवि और रीना कार से उतरे। मेन गेट चाबी से खोल रहे थे, अम्मा सीढ़ियां उतर कर भागी भागी आई। अम्मा को आते देख कर रवि ने कहा "अम्मा क्या बात है सोई नहीं।" "कार का हॉर्न सुन कर नींद खुल गई। सोचा, कुछ ज़रुरत हो आपको।" रीना ने हंसते हुए कहा "अम्मा, आपको कह

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तीन बच्चे

30 अगस्त 2015
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तीन बच्चेनवगांव की सीमा पर एक तालाब है और उसके पास धोबियों की बस्ती। कपडे धोने के काम में तालाब का प्रयोग होता है। तालाब के पास रेल की पटरी है। रेल गाड़ियों की आवाजावी रात दिन होती है। सवारी गाड़ियां दिन में चार और रात को दो आती हैं, बाकी कुछ मालगाड़ियां आती जाती हैं। गर्मियों के दिन थे। सुबह कुछ धोबी

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