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अम्मा

15 अप्रैल 2015

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रात के डेढ़ बज़ रहे थे। कोठी का गेट चौकीदार ने खोला। रवि और रीना कार से उतरे। मेन गेट चाबी से खोल रहे थे, अम्मा सीढ़ियां उतर कर भागी भागी आई। अम्मा को आते देख कर रवि ने कहा "अम्मा क्या बात है सोई नहीं।" "कार का हॉर्न सुन कर नींद खुल गई। सोचा, कुछ ज़रुरत हो आपको।" रीना ने हंसते हुए कहा "अम्मा, आपको कह कर गए थे कि शादी में जा रहे हैं। देर तो हो जाती है शादी में।" "बस सोचा कि शायद किसी चीज़ की ज़रुरत हो।" अम्मा बोली। "अम्मा जब आ गई हो तो मटके का ठंडा पानी पिलाओ।" "जी अभी लाई।" कह कर अम्मा पानी लेने चली गई। पानी पी कर रवि ने अम्मा से कहा "नया मटका लग रहा है। मिटटी की हलकी महक आ रही है।" "हां, दोहपर में टूट गया। बच्चे खेल रहे थे। उनके खेलने में मटका टूट गया।" "कोई बात नहीं। मटके का ठंडा पानी पी कर प्यास बुझ जाती है। फ्रीज के पानी में वो बात नहीं, जो मटके के पानी में है। अच्छा अम्मा, जब आ गई हो तो जग में मटके का पानी भर दो।" "जी, अभी भर देती हूं।" अम्मा जग में पानी भर कर चली गई और रवि और रीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिये। दोनों बहुत थके हुए थे। कपडे बदल कर सो गए। देर रात के सोए थकान से चूर रवि और रीना सुबह देर से उठे। अम्मा सुबह सुबह उठ कर रसोई के काम में जुट गई। रवि उठ कर डाइनिंग टेबल पर अखबार पढ़ रहा था। अम्मा चाय लेकर आई। तभी रीना नहा कर पूजा घर में पूजा करने लगी तो अम्मा ने भोग के लिए दूध रीना को दिया और गुलाब, गेंदे के फूल क्यारी से तोड़ कर रीना को दिए। पूजा करके रीना डाइनिंग टेबल पर रवि के साथ बैठ कर रात शादी की बातों पर चर्चा कर रही थी। तभी अम्मा आकर पूछती है "नाश्ते और लंच में क्या बनाना है।" "अम्मा रात शादी में भारी खाना हज़म करने में समय लगता है। आज तो हल्का बनाना है। नाश्ते में दलिया और लंच में खिचड़ी बना दो।" रवि और रीना अमीर पति पत्नी, उम्र चालीस के पास, दो बच्चे, दोनों मसूरी के स्कूल में पढ़ते हैं और होस्टल में रहते हैं। रीना पति रवि का हाथ व्यापार में बटाती थी। ऑफिस रवि के साथ जाना, घर के काम के लिए तीन नौकर। चौथी अम्मा। अम्मा रसोई का काम संभालती थी। रीना ने पूरी रसोई अम्मा के हवाले कर रखी थी। अम्मा नाम उसका नहीं था, नाही उम्र में बड़ी थी और न ही देखने में अम्मा लगती थी। अम्मा की उम्र पच्चीस वर्ष और नाम देवकी। आंध्र प्रदेश की रहने वाली देवकी लगभग तीन साल पहले रवि और रीना के घर आई। दो साल का छोटा सा लड़का हाथ पकडे काम मांगने आई। देवकी के रिश्ते में दूर का भाई रवि के ऑफिस में काम करता था। देवकी के पति ने देवकी और उसके दो साल के लड़के को घर से निकाल दिया और दूसरी औरत के संग रहने लगा। घर से दुत्कारी अनपढ़ देवकी को घर के काम के सिवाए कुछ नहीं आता था। रीना और रवि पंजाबी, देवकी आंध्र प्रदेश की। दोनों के खान पान में ज़मीन आसमान का अंतर था। रीना ने देवकी की दयनीय स्थिति देख कर उसे नौकरी दे दी। शुरू में घर की साफ़ सफाई देवकी ने की, पर उसने एक साल में पंजाबी खाना बनाने में महारत हासिल कर ली। टेलीविज़न पर कुकरी शो देखते देखते एक साल में सम्पूर्ण पंजाबी रसोइया बन गई। देवकी अपने पुत्र के साथ सर्वेंट क्वार्टर में रहती थी। देवकी का पुत्र देवकी को अम्मा कहता था। उसका अनुसरण करते करते रवि और रीना भी देवकी को अम्मा कहने लगे। देखते देखते अड़ोस पड़ोस और रवि रीना के परिवार में अम्मा के नाम से मश्हूर हो गई। देवकी जग अम्मा बन गई। अम्मा का सदा मुस्कुराता चेहरा, कभी किसी ने उसे किसी से झगड़ा करते या ऊंची आवाज़ में बात करते नही देखा। मधुरभाषी अम्मा रवि और रीना के परिवार का एक अहम हिस्सा बन गई। रविवार की सुबह रवि लॉन में बैठ कर अखबार पढ़ रहा था, तभी अम्मा का लड़का स्वामी आया और क्यारी में लगे गुलाब के पौधों से गुलाब के फूल तोड़ने लगा। तभी उसके हाथों में कांटा चुभ गया। कांटा चुभने से खून निलकने लगा। रवि ने आवाज़ थी "अम्मा स्वामी को देखो, कांटा चुभ गया है। दवाई लेकर आओ।" अम्मा दौड़ी हुई आई और स्वामी को लेकर अपने कमरे में गई। थोड़ी देर बाद अम्मा रसोई में खाना बनाने आई तब रवि ने पूछा "कितने साल का हो गया है तुम्हारा बेटा।" "पांच साल का।" "अब इसको स्कूल में डालो। कुछ इसकी पढ़ाई के बारे में भी सोचो। रामू (घर का दूसरा नौकर) के बच्चे भी स्कूल जाते हैं। उसी स्कूल में दाखिल करवा दो। उनके साथ स्कूल जायेगा।" अगले ही दिन अम्मा ने स्वामी को स्कूल में दाखिल करा दिया। अब अम्मा जल्दी उठने लगी, सुबह की चाय रवि, रीना को देने के बाद स्वामी को स्कूल छोड़ने जाती, फिर नाश्ते की तैयारी में जुट जाती। दोहपर को स्वामी को स्कूल से लेने जाती। स्वामी हर चीज़ को जल्दी पकड़ता था, अतः पढ़ाई में हर चीज़ जल्दी याद कर लेता। क्लास में टीचर्स से शाबाशी मिलती। पति से त्यागी एक स्त्री का उसका पुत्र ही एकमात सहारा था। रीना कभी सोचती कि अनपढ़ होते हुए भी अम्मा में सहनशक्ति बहुत है और जीवन की मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत ईश्वर ने दी है। अम्मा भी रवि और रीना की अहसानमंद थी कि मुश्किल घडी में जब उसके पति ने उसे त्याग दिया, तब एक अजनबी को सहारा दिया। डूबते को तिनके का सहारा होता है। अम्मा को रवि और रीना का सहारा मिला। अम्मा की ज़िन्दगी रवि रीना की रसोई और पुत्र स्वामी तक सीमित थी। इस दायरे में वह खुश थी और सदा चहकती नज़र आती थी। आज दस साल हो गए अम्मा को रवि रीना के घर रहते हुए। हमेशा चहकने वाली अम्मा पिछले एक महीने से बीच बीच में उदास सी नज़र आने लगी। रीना के पूछने पर अम्मा ने हंस कर टाल दिया। "अम्मा तबियत ठीक नहीं लग रही तो डॉक्टर को दिखा दो। तबियत से मज़ाक अच्छा नहीं अम्मा।" "नहीं ऐसी कोई बात नहीं, कुछ ज़रूरत हुई तब मैं खुद अपने आप डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जायूंगी।" अम्मा ने हंस कर कहा। रविवार की सुबह लॉन में रवि और रीना चाय की चुस्कियों के बीच अखबार पढ़ रहे थे। अखबार से नज़र उठी तो मेन गेट पर नज़र गई, वहां एक व्यक्ति खड़ा था। रवि ने उससे पूछा "किससे मिलना है। क्या काम है?" "वो आपके यहां देवकी रहती है, उससे मिलना है।" "मैंने तुम्हे पहचाना नहीं।" "वो मुझे जानती है। मैं साथ वाली कोठी में रहता हूं।" "कौन सी कोठी में रहते हो।" रवि ने कड़क आवाज़ में पूछा, क्योंकि अम्मा का एक रिश्तेदार उसके ऑफिस में काम करता है और कोई उसकी पहचान वाला कभी मिलने आया नहीं। दस साल से अम्मा रह रही है। कोई उससे मिलने नहीं आता। "कौन सी कोठी में रहते हो। क्या करते हो?" रवि ने पूछा। "सर जी, में सेठी साब की कोठी में रहता हूं। सेठी साब का ड्राईवर हूं।" "कभी देखा नहीं।" "अभी एक महीना हुआ है मुझे सेठी साब के यहां काम करते हुए।" रवि ने अम्मा को आवाज़ दी "देखो अम्मा, कोई मिलने आया है।" अम्मा ने उस व्यक्ति को देखा पर मेन गेट तक नहीं गई। यही से तेलुगु में उसे कुछ कहा। रवि और रीना तेलुगु में कही बात समझ नहीं सके। तेज और कड़क आवाज़ में अम्मा उस व्यक्ति से बात कर रही थी। यह समझ गए कि अम्मा उससे मिलना नहीं चाहती थी और जाने को कह रही थी। रवि और रीना को देख वह मेन गेट से अम्मा से तेलुगु में बातें करता रहा। अंदर नहीं आया। अम्मा गुस्से में पैर पटकती अंदर चली गई। अम्मा का गुस्सा देख रवि ने उस व्यक्ति को जाने के लिए कहा। रीना ने अम्मा को अपने कमरे में बुलाया। एक महीने से परेशान अम्मा को उस आदमी से उलझते देख रीना समझ गई कि कोई बात अवश्य है। "अम्मा कौन था वो?" रीना ने अम्मा से पूछा। "मेरा पति, जिसने दस साल पहले मुझे छोड़ दिया था" "क्या कह रहा था?" "जिस लड़की की खातिर मुझे छोड़ा था, वह उसे छोड़ कर किसी और मर्द के साथ चली गई। मेरे पास फिर से आना चाहता है।" "कब से तुम्हे मिल रहा है।" "एक महीने से।" "तुम्हारी परेशानी का कारण तुम्हारा पति है।" "हां।" "क्या सोचा है।" "उसके पास नहीं जायूंगी।" रीना ने अम्मा को देखा, उसकी आंखें नम थी पर अश्कों को गालों पर छलकने नहीं दिया।
महातम मिश्रा

महातम मिश्रा

बहुत खूब श्री मोहन भाटिया जी, कहानी धीरे धीरे सरक कर अपने मुकाम पर पूर्णता का सन्देश दे रही है........

8 मई 2015

डा० सचिन शर्मा

डा० सचिन शर्मा

मर्मस्पर्शी कहानी.....

15 अप्रैल 2015

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साथी

29 जनवरी 2015
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कुछ वीरान सी हो गई ज़िन्दगी साथी के चले जाने के बाद। अब तो दीवारे ही हो गई साथी साथी के चले जाने के बाद। बार बार याद आता है चेहरा साथी का साथी के चले जाने के बाद। वो हसीन मुस्कुराता चेहरा साथी का वो दिल को लुभाता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार करता चेहरा साथी का वो हर पल प्यार मांगता चेहरा साथ

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वक्त

30 जनवरी 2015
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धडी की सुईयां चल रही हैं, पर वक़्त थम सा रहा है। कुछ ख़ुशी का पल आ गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ गम का पल छा गया है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ नाराज़ सी वो हो गई है, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है। कुछ हंस कर नज़रें मिलने लगी हैं, पर वक़्त फिर से थम सा रहा है।

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उम्मीद

4 फरवरी 2015
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किसी पर उम्मीद छोड कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपने पर उम्मीद रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है अपनी उम्मीद पर हौसला रख कर देखो जिन्दगी कितनी आसान है

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ख्वाब

7 फरवरी 2015
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मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, हॅँसना चाहता हूं, खुल कर हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, इक छोटे से बच्चे की किलकारी जैसी हॅँसी हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, रोते हुए छोटे बच्चों को हॅँसवा दो। मेरा इक ख्वाब है, तुम उसे पूरा करवा दो, उदास होठों प

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यूंही

8 फरवरी 2015
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बस यूंही गुज़र रहा है दिन सोचते सोचते बस यूंही गुज़र रही है ज़िन्दगी सोचते सोचते बस एक ठंडी हवा का मस्त झोंका आया सोचते सोचते बस एक गरम हवा बदन पस्त कर गई सोचते सोचते बस रिश्ते बनते टूटते रहे सोचते सोचते बस कुछ हंसी के लम्हे आ गए सोचते सोचते बस कुछ गम से समय बीत गया सोचते सोचते बस कुछ उदा

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दिल

13 फरवरी 2015
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इस दिल को संभाल कर रखिये हर बात पर मचल जाता है। नादान है यह दिल हर बात पर रूठ जाता है। बात ना मानो इस दिल की जोर से धड़कने लग जाता है। जब कहते है इसको नादान भाग कर कोपभवन चला जाता है। जब मानते हैं इसकी बात खुश होकर हंसता जाता है। जब मुस्कुरा कर मिलते हैं दो हसीन चेहरे दिल दिल से मिल जाता ह

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रौशन

16 फरवरी 2015
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करें दिल हम रौशन भुला दें हम दिलों के अंतर गिले शिकवों में क्या रखा है करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन न समझे किसी को छोटा बड़ा सब हैं प्यार के काबिल करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन क्या कोई गरीब अमीर दिल है सबका एक सा करें दिल हम रौशन करें दिल हम रौशन एक सा सबका धड़कता है दि

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बस एक बार

23 फरवरी 2015
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बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन के अल्हड दिन बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की किलकारी हंसी बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन में आसमान छूते छोटे छोटे हाथ बस एक बार मुड़ कर देंखे वो बचपन की मस्तियां नादानियां बस एक बार मुड़ कर देंखे वो छोटे हाथों का कबूतर बिल्लियों के पीछे भागना बस एक बार फिर मु

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कायाकल्प

11 मार्च 2015
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कायाकल्प मेज पर फाइलों का पुलिंदा पड़ा है, पर दिलीप को कोई जल्दी नहीं है कि फाइलों को निबटाया जाए। सरकारी विभाग, बिना दक्षिणा के फ़ाइल का पट नहीं खुलता। दिलीप का सिद्धान्त है कि मंदिर जाते है तो बिना प्रसाद, चढ़ावे के भगवान से भी विनती नहीं करते तो सरकारी कर्मचारी कौन भगवान से कम हैं। पूरे देश के ज

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अम्मा

15 अप्रैल 2015
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तीन बच्चे

30 अगस्त 2015
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तीन बच्चेनवगांव की सीमा पर एक तालाब है और उसके पास धोबियों की बस्ती। कपडे धोने के काम में तालाब का प्रयोग होता है। तालाब के पास रेल की पटरी है। रेल गाड़ियों की आवाजावी रात दिन होती है। सवारी गाड़ियां दिन में चार और रात को दो आती हैं, बाकी कुछ मालगाड़ियां आती जाती हैं। गर्मियों के दिन थे। सुबह कुछ धोबी

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