रात के डेढ़ बज़ रहे थे। कोठी का गेट चौकीदार ने खोला। रवि और रीना कार से उतरे। मेन गेट चाबी से खोल रहे थे, अम्मा सीढ़ियां उतर कर भागी भागी आई। अम्मा को आते देख कर रवि ने कहा "अम्मा क्या बात है सोई नहीं।"
"कार का हॉर्न सुन कर नींद खुल गई। सोचा, कुछ ज़रुरत हो आपको।"
रीना ने हंसते हुए कहा "अम्मा, आपको कह कर गए थे कि शादी में जा रहे हैं। देर तो हो जाती है शादी में।"
"बस सोचा कि शायद किसी चीज़ की ज़रुरत हो।" अम्मा बोली।
"अम्मा जब आ गई हो तो मटके का ठंडा पानी पिलाओ।"
"जी अभी लाई।" कह कर अम्मा पानी लेने चली गई।
पानी पी कर रवि ने अम्मा से कहा "नया मटका लग रहा है। मिटटी की हलकी महक आ रही है।"
"हां, दोहपर में टूट गया। बच्चे खेल रहे थे। उनके खेलने में मटका टूट गया।"
"कोई बात नहीं। मटके का ठंडा पानी पी कर प्यास बुझ जाती है। फ्रीज के पानी में वो बात नहीं, जो मटके के पानी में है। अच्छा अम्मा, जब आ गई हो तो जग में मटके का पानी भर दो।"
"जी, अभी भर देती हूं।" अम्मा जग में पानी भर कर चली गई और रवि और रीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिये। दोनों बहुत थके हुए थे। कपडे बदल कर सो गए।
देर रात के सोए थकान से चूर रवि और रीना सुबह देर से उठे। अम्मा सुबह सुबह उठ कर रसोई के काम में जुट गई। रवि उठ कर डाइनिंग टेबल पर अखबार पढ़ रहा था। अम्मा चाय लेकर आई। तभी रीना नहा कर पूजा घर में पूजा करने लगी तो अम्मा ने भोग के लिए दूध रीना को दिया और गुलाब, गेंदे के फूल क्यारी से तोड़ कर रीना को दिए। पूजा करके रीना डाइनिंग टेबल पर रवि के साथ बैठ कर रात शादी की बातों पर चर्चा कर रही थी।
तभी अम्मा आकर पूछती है "नाश्ते और लंच में क्या बनाना है।"
"अम्मा रात शादी में भारी खाना हज़म करने में समय लगता है। आज तो हल्का बनाना है। नाश्ते में दलिया और लंच में खिचड़ी बना दो।"
रवि और रीना अमीर पति पत्नी, उम्र चालीस के पास, दो बच्चे, दोनों मसूरी के स्कूल में पढ़ते हैं और होस्टल में रहते हैं। रीना पति रवि का हाथ व्यापार में बटाती थी। ऑफिस रवि के साथ जाना, घर के काम के लिए तीन नौकर। चौथी अम्मा। अम्मा रसोई का काम संभालती थी। रीना ने पूरी रसोई अम्मा के हवाले कर रखी थी। अम्मा नाम उसका नहीं था, नाही उम्र में बड़ी थी और न ही देखने में अम्मा लगती थी। अम्मा की उम्र पच्चीस वर्ष और नाम देवकी। आंध्र प्रदेश की रहने वाली देवकी लगभग तीन साल पहले रवि और रीना के घर आई। दो साल का छोटा सा लड़का हाथ पकडे काम मांगने आई। देवकी के रिश्ते में दूर का भाई रवि के ऑफिस में काम करता था। देवकी के पति ने देवकी और उसके दो साल के लड़के को घर से निकाल दिया और दूसरी औरत के संग रहने लगा। घर से दुत्कारी अनपढ़ देवकी को घर के काम के सिवाए कुछ नहीं आता था। रीना और रवि पंजाबी, देवकी आंध्र प्रदेश की। दोनों के खान पान में ज़मीन आसमान का अंतर था। रीना ने देवकी की दयनीय स्थिति देख कर उसे नौकरी दे दी। शुरू में घर की साफ़ सफाई देवकी ने की, पर उसने एक साल में पंजाबी खाना बनाने में महारत हासिल कर ली। टेलीविज़न पर कुकरी शो देखते देखते एक साल में सम्पूर्ण पंजाबी रसोइया बन गई। देवकी अपने पुत्र के साथ सर्वेंट क्वार्टर में रहती थी। देवकी का पुत्र देवकी को अम्मा कहता था। उसका अनुसरण करते करते रवि और रीना भी देवकी को अम्मा कहने लगे। देखते देखते अड़ोस पड़ोस और रवि रीना के परिवार में अम्मा के नाम से मश्हूर हो गई। देवकी जग अम्मा बन गई। अम्मा का सदा मुस्कुराता चेहरा, कभी किसी ने उसे किसी से झगड़ा करते या ऊंची आवाज़ में बात करते नही देखा। मधुरभाषी अम्मा रवि और रीना के परिवार का एक अहम हिस्सा बन गई।
रविवार की सुबह रवि लॉन में बैठ कर अखबार पढ़ रहा था, तभी अम्मा का लड़का स्वामी आया और क्यारी में लगे गुलाब के पौधों से गुलाब के फूल तोड़ने लगा। तभी उसके हाथों में कांटा चुभ गया। कांटा चुभने से खून निलकने लगा। रवि ने आवाज़ थी "अम्मा स्वामी को देखो, कांटा चुभ गया है। दवाई लेकर आओ।" अम्मा दौड़ी हुई आई और स्वामी को लेकर अपने कमरे में गई। थोड़ी देर बाद अम्मा रसोई में खाना बनाने आई तब रवि ने पूछा "कितने साल का हो गया है तुम्हारा बेटा।"
"पांच साल का।"
"अब इसको स्कूल में डालो। कुछ इसकी पढ़ाई के बारे में भी सोचो। रामू (घर का दूसरा नौकर) के बच्चे भी स्कूल जाते हैं। उसी स्कूल में दाखिल करवा दो। उनके साथ स्कूल जायेगा।"
अगले ही दिन अम्मा ने स्वामी को स्कूल में दाखिल करा दिया। अब अम्मा जल्दी उठने लगी, सुबह की चाय रवि, रीना को देने के बाद स्वामी को स्कूल छोड़ने जाती, फिर नाश्ते की तैयारी में जुट जाती। दोहपर को स्वामी को स्कूल से लेने जाती। स्वामी हर चीज़ को जल्दी पकड़ता था, अतः पढ़ाई में हर चीज़ जल्दी याद कर लेता। क्लास में टीचर्स से शाबाशी मिलती। पति से त्यागी एक स्त्री का उसका पुत्र ही एकमात सहारा था। रीना कभी सोचती कि अनपढ़ होते हुए भी अम्मा में सहनशक्ति बहुत है और जीवन की मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत ईश्वर ने दी है। अम्मा भी रवि और रीना की अहसानमंद थी कि मुश्किल घडी में जब उसके पति ने उसे त्याग दिया, तब एक अजनबी को सहारा दिया। डूबते को तिनके का सहारा होता है। अम्मा को रवि और रीना का सहारा मिला। अम्मा की ज़िन्दगी रवि रीना की रसोई और पुत्र स्वामी तक सीमित थी। इस दायरे में वह खुश थी और सदा चहकती नज़र आती थी।
आज दस साल हो गए अम्मा को रवि रीना के घर रहते हुए। हमेशा चहकने वाली अम्मा पिछले एक महीने से बीच बीच में उदास सी नज़र आने लगी। रीना के पूछने पर अम्मा ने हंस कर टाल दिया।
"अम्मा तबियत ठीक नहीं लग रही तो डॉक्टर को दिखा दो। तबियत से मज़ाक अच्छा नहीं अम्मा।"
"नहीं ऐसी कोई बात नहीं, कुछ ज़रूरत हुई तब मैं खुद अपने आप डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जायूंगी।" अम्मा ने हंस कर कहा।
रविवार की सुबह लॉन में रवि और रीना चाय की चुस्कियों के बीच अखबार पढ़ रहे थे। अखबार से नज़र उठी तो मेन गेट पर नज़र गई, वहां एक व्यक्ति खड़ा था। रवि ने उससे पूछा "किससे मिलना है। क्या काम है?"
"वो आपके यहां देवकी रहती है, उससे मिलना है।"
"मैंने तुम्हे पहचाना नहीं।"
"वो मुझे जानती है। मैं साथ वाली कोठी में रहता हूं।"
"कौन सी कोठी में रहते हो।" रवि ने कड़क आवाज़ में पूछा, क्योंकि अम्मा का एक रिश्तेदार उसके ऑफिस में काम करता है और कोई उसकी पहचान वाला कभी मिलने आया नहीं। दस साल से अम्मा रह रही है। कोई उससे मिलने नहीं आता।
"कौन सी कोठी में रहते हो। क्या करते हो?" रवि ने पूछा।
"सर जी, में सेठी साब की कोठी में रहता हूं। सेठी साब का ड्राईवर हूं।"
"कभी देखा नहीं।"
"अभी एक महीना हुआ है मुझे सेठी साब के यहां काम करते हुए।"
रवि ने अम्मा को आवाज़ दी "देखो अम्मा, कोई मिलने आया है।"
अम्मा ने उस व्यक्ति को देखा पर मेन गेट तक नहीं गई। यही से तेलुगु में उसे कुछ कहा। रवि और रीना तेलुगु में कही बात समझ नहीं सके। तेज और कड़क आवाज़ में अम्मा उस व्यक्ति से बात कर रही थी। यह समझ गए कि अम्मा उससे मिलना नहीं चाहती थी और जाने को कह रही थी। रवि और रीना को देख वह मेन गेट से अम्मा से तेलुगु में बातें करता रहा। अंदर नहीं आया। अम्मा गुस्से में पैर पटकती अंदर चली गई। अम्मा का गुस्सा देख रवि ने उस व्यक्ति को जाने के लिए कहा।
रीना ने अम्मा को अपने कमरे में बुलाया। एक महीने से परेशान अम्मा को उस आदमी से उलझते देख रीना समझ गई कि कोई बात अवश्य है।
"अम्मा कौन था वो?" रीना ने अम्मा से पूछा।
"मेरा पति, जिसने दस साल पहले मुझे छोड़ दिया था"
"क्या कह रहा था?"
"जिस लड़की की खातिर मुझे छोड़ा था, वह उसे छोड़ कर किसी और मर्द के साथ चली गई। मेरे पास फिर से आना चाहता है।"
"कब से तुम्हे मिल रहा है।"
"एक महीने से।"
"तुम्हारी परेशानी का कारण तुम्हारा पति है।"
"हां।"
"क्या सोचा है।"
"उसके पास नहीं जायूंगी।"
रीना ने अम्मा को देखा, उसकी आंखें नम थी पर अश्कों को गालों पर छलकने नहीं दिया।
मनमोहन भाटिया की अन्य किताबें
नाम: मनमोहन भाटिया
जन्म तिथि: 29 मार्च 1958
जन्म स्थान: दिल्ली
शिक्षा: बी. कॉम., ऑनर्स, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; एल. एल. बी., कैम्पस लॉ सेन्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय
संप्रति: सृष्टी उदयपुर होटल एंड रिजार्टस प्राईवेट लिमिटेड में सीनियर मैनेजर-फाईनेंस एंड अकाउंटस
प्रकाशित रचनायें: हिन्दुस्तान टाईम्स, नवभारत टाईम्स, मेल टुडे और इकॉनमिक्स टाईम्स में सामयिक विषयों पर पत्र
कहानियाँ:
1. सरिता, गृहशोभा, अभिव्यक्ति, स्वर्ग विभा, प्रतिलिपी, जय विजय, अनहद कृति, अरगला, हिन्दी नेस्ट और नवभारत टाईम्स में प्रकाशित
2. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट hindisamay.com में कहानी संकलन। लिंक: http://www.hindisamay.com/writer/writer_details.aspx?id=1316
3. राजकमल प्रकाशन की डॉ. राजकुमार सम्पादिक पुस्तक "कहानियां रिश्तों की - दादा-दादी नाना-नानी" में कहानी "बडी दादी" प्रकाशित। ISBN: 978-81-267-2541-0
4. बोलती कहानी “बडी दादी” स्वर “अर्चना चावजी” रेडियो प्लेबैक इंडिया पर उपलब्ध। लिंक:
http://radioplaybackindia.blogspot.in/2014/01/badi-dadi-by-manmohan-bhatia.html
5. कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि। लिंक: http://eemaata.com/em/issues/201403/3356.html?allinonepage=1
6. प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में कहानी संकलन। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author/4899148398592000
7. गूगल प्ले स्टोर पर कहानियों का संग्रह कथासागर। लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
8. प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में इंटरव्यू। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author-interview/5715757912555520
सम्मान एवं पुरस्कार:
1. दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाईसेंस' कहानी को द्वितीय पुरस्कार
2. अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत
अभिरूचियाँ: कहानियाँ लिखना शौक है
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