मौत का ताबूत पार्ट 1
दरयाई नील बहुत ही ख़ामोशी से वह रहा था आधी रात का बक्त था क़दीम मिसर के गहरे नीले आसमान पर सितारे सफ़ेद मोतियों की तरह चमक रहे थे
दरयाई नील के पानी मेँ आसमान के सितारों का अक्स झिलमिला रहा था
दरयाई नील के किनारे से खाजूरो के झुंड दूर तक चले जा रहे थे कही अंजीर के दरखतो के पेड़ के झाड़ हैँ तो कही जैतून के दरखतो के झुंड मिसर का पूरा शहर सो रहा था
दिन भर के हरे थके लोग अपने कच्चे पक्के मकानों मेँ आराम कर रहे थे गलियों मेँ पहरे दारो की आबाज़ गूंज रही थी
दरयाई नील के किनारे शहर से बाहर एक पुकता मकान मेँ जैतून के तेल का लेम्प जल रहा था और उस लेम्प की रौशनी मेँ एक अधेड़ उम्र की औरत लकड़ी के संदूक मेँ से पत्थर को मापने बाला फीता तलाश कर रही थी
और एक नया उम्र का लड़का जिस का नाम अम्बर हैँ बो उस औरत के पास खड़ा था और बो औरत उस की माँ थी
उस का बाप वहा से चार पांच कोष की दूरी पर एक सहरा मेँ अहराम बनाने का काम कर रहा थ
अम्बर के बाप का नाम रीज़ाल हैँ और बो अहराम बनाने मेँ माहिर हैँ
अम्बर असल उस इंजिनियर रीज़ाल और उस बूड़ी औरत का बेटा नहीं
बलके आज से तक़रीबन 14+15 साल पहले अम्बर उनको दरयाई नील के पानी मेँ एक घास फूस की छोटी सी कस्ती मेँ बहता हुआ मिला था
बो जमाना एक ज़ालिम फिरोन का जमाना था फिरोन को नुजुमियों ने बताया था के आपके यहां एक वच्चा पैदा होने बाला हैँ जो आपकी हुकूमत के साथ साथ आपको भी हलाक कर देगा
नुजुमियों की बात सुन कर फिरोन ने हुक्म दिया के हुकूमत मेँ जो भी नया वच्चा पैदा हो उसे फौरन ही कत्ल कर दिया जाये
फिरोन के हुक्म के मुताबिक सिपाहिय हुकूमत मेँ जो भी चार पांच बरस तक जो भी नया वच्चा पैदा होता उसे कत्ल कर दिया गया
लेकिन फिर एक रात अम्बर फिरोन की बीबी मलकाये नफ़रीती के यहां पैसा हुआ मलका को मालूम था के अगर इस वच्चे की पैदाइश का इल्म फिरोन को हुआ तो बो जरूर
इसे कत्ल करवा देगा
और फिर मलकाये नफ़रीती ने अपनी एक खास कनीज के साथ मिल कर अम्बर को दरया की लहरों के हवाले कर दिया
उसे उम्मीद थी के उस का बेटा किसी किसान या महिगीर के हाथ आ जायेगा और वही परवरिश पायेगा
और उस तरह बो कत्ल होने से तो वच जायेगा बो सोचती थी के अगर खुदा ने चाह तो मेरा बेटा कभी ना कभी मुझे फिर मिलेगा
और फिरोन को अम्बर की पैदाइश का कुछ इल्म नहीं हुआ उसे बताया गया के मलका के यहां मरी हुई वचची पैदा हुई हैँ और उसे दफना दिया गया हैँ
उधर नन्हा अम्बर शहजादा घास फूस की बनी हुई कस्ती पर वहता हुआ बहुत आगे निकल गया था
दिन चढ़ा तो अहरामे मिसर का इंजिनियर रीजाल दरया के किनारे पत्थर कटवा रहा था
के अचानक उस ने दरया मेँ वहता हुआ वच्चे को देखा और उसे उठा कर अपने घर ले आया
उस के यहां कोइ औलाद नहीं थी उस की बीबी ने ज़ब वच्चे को देखा तो बो बहुत ख़ुश हुई और उन्होने अम्बर को अपने वच्चे की तरह पालना शुरू कर दिया
अब अम्बर उस घर मेँ पल का 14-वर्ष का हो गया था उसे ये बुल्कुल नहीं बताया गया था के बो उनका बेटा नहीं हैँ बलके उन्होंने तो अम्बर को दरयाये नील से उठा कर पाला हैँ
और अम्बर भी रीज़ाल को अपना असली बाप और उस की बीबी को अपनी असली माँ समझता था बो दोनों भी अम्बर से अपने वच्चे की तरह ही प्यार करते थे
अम्बर भी अपने बाप के साथ बचपन से ही काम कर रहा था और बो भी अहराम बनाने का काम सीख रहा था
और इसी के साथ साथ अम्बर ने अपने बाप ससे जंगली बूटीयो से दवाई बनाने और बीमार लोगो का इलाज करने का हुनर भी सीख लिया था
उस रात बो भी अपने बाप के साथ शहर से चार कोस की दूरी पर एक नए अहराम बनाने का काम कर रहा था
उस का बाप रीजाल हमेशा अम्बर को काम पर अपने साथ रखता था के अचानक से पत्थर को मापने बाला फीता टूट गया
उस ने अम्बर को घर भेजा के बो जाये और अपनी माँ से संदूक मेँ से एक नया फीता ले आये
अम्बर घोड़े पर सवार हो कर गया को आया और उसने अपनी माँ से कहा के माँ मुझे अब्बा जान ने एक नया फीता लेने के लिए भेजा हैँ
उस की माँ ने संदूक मेँ से एक नया फीता तलाश करने के बाद अम्बर को दिया और कहा ये लो बेटे और जरा होशियार हो कर जाना
अम्बर -फ़िक्र ना करो माँ मेँ एक इंजिनियर बाप का वहादुर बेटा हुआ
अम्बर माँ -खुदा तम्हारी हिफाज़त करें बेटा
अम्बर ने फीता जेव मेँ रखा और दरया के किनारे किनारे अहराम की तरफ रवाना हो गया
आधी रात का बक्त था जैतून और खजुरो के झुंड सिया काली चादर ओढे दूर से भूत मालूम हो रहे थे मगर अम्बर को किसी भी तरह का डर या ख़ौफ़ महसूस नहीं हो रहा था
इस लिए के बो अपने बाप के साथ अक्सर रातो को काम करता रहता था और इधर से बो हमेशा गुज़रा करता था
रास्ते मेँ एक रेत के ऊंचे टीले के दामन मेँ अंजीरो का एक छोटा सा बाग़ था जिस मेँ एक झोपडी थी और उस झोपडी मेँ एक अनातूल नाम का दुर्वेश रहता था
अनातूल दुर्वेश अम्बर से बहुत प्यार करता अम्बर ने देखा के अनातूल अपनी झोपडी के आगे बैठा खुदा की इबादत कर हैँ अम्बर ने घोड़े पर सवार हुए करीव से गुजरते हुए उसे सलाम किया और आगे निकल गया
अनातूल ने आँखे खोल कर अम्बर को घोड़े पर सवार जाते देखा और आँखे बंद कर ली
अनातूल दुर्वेश को ये मालूम था के अम्बर मिश्र का शहजादा हैँ और बो फिरोन की बीबी मलकाये नफ़रीती का बेटा हैँ अम्बर इंजिनियर रीज़ाल का असली बेटा नहीं हैँ
लेकिन उस ने अम्बर को ये कभी नहीं बताया था के बो रीज़ाल का बेटा नहीं क्यों की अगर किसी भी तरह से फिरोन को पता चल गया के उस का बेटा अम्बर रीजाल के यहां ख़ुफ़िया तौर पर पल रहा हैँ तो उसे जरूर कत्ल करवा देगा
और अब तक ना जाने फिरोन महल मेँ होने बाले शहजादो को कत्ल करवा चूका था
अम्बर को अब अहराम सामने नज़र आ रहा था जहाँ उस का बाप रीजाल दूसरे मजदूरों और कारीगरों के साथ अहराम मेँ बनाने का काम कर रहा था
फिरोन के हुक्म से उस के बूढ़े दादा के लिए ये अहराम खास तौर से बनाया जा रहा था क्यों की फिरोन का दादा बहुत बूड़ा हो चूका था और अब उस की जिंदगी का चराग गुल होने बाला था
और इसी लिए ताऊँन के हुक्म से ये अहराम जल्द से जल्द तैयार किया जा रहा था
और यही बजह थी के अम्बर और उस के बाप को वहा रातो को भी काम करना पड़ रहा था
दोस्तों आज का पार्ट बस इतना ही फिर मिलते हैँ अगले एपिसोड मेँ और मेँ आपको बता दू के अहराम पत्थरो की उस इमारत को कहते हैँ जिस मेँ मरे हुए बादशाह की लाश को कनीजो और गुलामो और सोने चांदी के साथ साथ उस को दफन कर दिया जाता हैँ
तो ये पार्ट अगर आपको को अच्छा लगे तो प्लीज मुझे आप कम्मेंट बॉक्स मेँ जरूर बातएगा,,,
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