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मेरी माँ

31 अक्टूबर 2019

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मेरी आवाज भी वो है

मेरा अंदाज़ भी वो है

मेरी सुबह और

मेरी शाम भी वो है।

होता नही दिन

उसके बिना मेरा

मेरी जिंदगी की

शुरुआत भी वो है

उसके बिना मैं अधूरी

मेरी कहानी भी वो है

मेरा किस्सा भी वो है

मेरी कविता की रवानी है वो

मेरी जान मेरी जिंदगानी है वो

कहती है मुझे तू शैतान बहुत है ।

जिद्दी है तू नादान बहुत है

अब उसे क्या कहुँ

उसी के जैसी हुँ मैं

मेरे हर शब्द की दीवानी है वो।

सारा दिन मुझे डांटती रहती है

जरा सा रो दू तो

खुद ही रो देती है वो ।

दुनिया से लड़ जाती है

मेरे ही लिये।

फिर क्यों झूठा गुस्सा

दिखाती है वो।

जान हूँ उसकी

ये भी वो जानती है

बस न जाने इस बात को

क्यों मानती नही है वो

मेरी हर नज्म में

दिखता हैचेहरा जिसका

मेरी गुरु भी है वो

परी की माँ है वो।।।।


प्रेक्षा डॉन गोधा "परी"

दुर्ग छत्तीसगढ़

prajactagodha19@gmail.com


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प्रेक्षा जी बहुत अच्छी रचना है यह आपकी |

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पुरस्कार

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मेरी माँ

31 अक्टूबर 2019
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मेरी आवाज भी वो है मेरा अंदाज़ भी वो हैमेरी सुबह और मेरी शाम भी वो है।होता नही दिन उसके बिना मेरामेरी जिंदगी की शुरुआत भी वो हैउसके बिना मैं अधूरीमेरी कहानी भी वो हैमेरा किस्सा भी वो हैमेरी कविता की रवानी है वोमेरी जान मेरी जिंदगानी है वोकहती है मुझे तू शैतान बहुत है ।जिद्दी है तू नादान बहुत हैअब उसे

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