मेरा अंदाज़ भी वो है
मेरी सुबह और
मेरी शाम भी वो है।
होता नही दिन
उसके बिना मेरा
मेरी जिंदगी की
शुरुआत भी वो है
उसके बिना मैं अधूरी
मेरी कहानी भी वो है
मेरा किस्सा भी वो है
मेरी कविता की रवानी है वो
कहती है मुझे तू शैतान बहुत है ।
जिद्दी है तू नादान बहुत है
अब उसे क्या कहुँ
उसी के जैसी हुँ मैं
मेरे हर शब्द की दीवानी है वो।
सारा दिन मुझे डांटती रहती है
जरा सा रो दू तो
खुद ही रो देती है वो ।
दुनिया से लड़ जाती है
मेरे ही लिये।
फिर क्यों झूठा गुस्सा
दिखाती है वो।
जान हूँ उसकी
ये भी वो जानती है
बस न जाने इस बात को
क्यों मानती नही है वो
मेरी हर नज्म में
दिखता हैचेहरा जिसका
मेरी गुरु भी है वो
परी की माँ है वो।।।।
प्रेक्षा डॉन गोधा "परी"
दुर्ग छत्तीसगढ़
prajactagodha19@gmail.com