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जान

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*मानव जीवन में अनेक प्रकार की जिज्ञासा उत्पन्न होती रहती हैं इन जिज्ञासाओं को शांत करने का सुगम उपाय है सत्संग करना | बिना सत्संग के मनुष्य का विवेक जागृत नहीं होता परंतु सत्संग करना भी कोई सरल बात नहीं है | यह भी एक साधना है | बिना साधना के कुछ भी नहीं प्राप्त किया जा सकता | बिना साधन के कोई भी साध

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बल बुद्धि विद्या निधान श्री हनुमान (हनुमान जयंती के उपलक्ष में )डॉ शोभा भारद्वाज ब्रम्हा सृष्टि का निरंतरनिर्माण कर रहे थे सृष्टि निर्माण से लेकर अब तक जीवन कोचलाने वाली वायू प्राणियों के जीवन का आधार है इससे जीवधारी हवा में साँस लेते हैवृक्ष एवं पेड़ पौधे वायु को शुद्ध करते हैं .मंद पवन बह रही थीक

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सुन मेरी शहजादी मेरी जान है तूक्या कहूँ मैं तेरे लियेतू मेरे लिये क्या हैतुझसे शुरू होती खुशी मेरीतो ग़म तेरे साथ होने से फना हो जातेज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम तुझसे मिलकर ही ये जाना हैतेरी मेरी दोस्ती पर बहुत नाज़ है मुझेतू दूर जरूर जा रही मुझसेपर इससे दोस्ती का प्यारकभी कम नही होगासुन मेरी शहजादी

जब मिल जाए फोन, हम रह लेंगे Alone, फिर घर की घंटी कोई बजाए, नहीं पूछेंगे तुम कौन? चाहें दूर से चलकर भैया आए, या ड्यूटी करने सैंया जाए, आने जाने से पहले घर में करना एक मिस कॉल। खाना बनाना हों, या हो खाना हाथ से दूर रह ना पाए फ़ोन.. जब घर, बाहर में बैठे हो लोग बहुत, या नेटवर्क सिग्नल दे ना साथ तो लेके

मेरी आवाज भी वो है मेरा अंदाज़ भी वो हैमेरी सुबह और मेरी शाम भी वो है।होता नही दिन उसके बिना मेरामेरी जिंदगी की शुरुआत भी वो हैउसके बिना मैं अधूरीमेरी कहानी भी वो हैमेरा किस्सा भी वो हैमेरी कविता की रवानी है वोमेरी जान मेरी जिंदगानी है वोकहती है मुझे तू शैतान बहुत है ।जिद्दी है तू नादान बहुत हैअब उसे

महफूज़ नहीं कोई क्यों तेरे मुक़द्दम से, हर आन पे बन आई हर जान को खतरा है. (आलिम)

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