प्रवासी भारतीय ( भारतवंशी ) देश की आजादी के पर्व 15 अगस्त के पावन दिन को कभी नहीं भूलते | मेरी नन्द मनीषा रामरक्खा के अपनी जन्म भूमि के प्रति उदगार उनकी भावनाओं को व्यक्त करते हैं | फीजी प्राकृतिक सौन्दर्य परिपूर्ण प्रशांत महासागर में 332 द्वीपों का समूह हैं यहाँ 11
क्वीन बी मेरी माँ ( आज मेरी माँ का जन्म दिन है वह कितने वर्ष की हो गयी हैं हम जानना नहीं चाहते ) डॉ शोभा भारद्वाज मेरी माँ के पिता अर्थात मेरे जागीरदार नाना कालेज मेंप्रिंसिपल और जाने माने अंकगणित के माहिर थे . मेरी नानी अंग्रेजों के समय में विदेशीवस्तुओं का बहिष्कार ( पिकेटिंग
मेरे पास आ कर कभीमेरी कहानी भी सुनो,मैं भी दिल के बहलाने कोक्या क्या स्वाँग रचाता हूँ,आप ही दुख का भेस बदलकरउन को ढूँडने जाता हूँ,सायों के झुरमुट में बैठासुख की सेज सजाता हूँ......-अश्विनी कुमार मिश्रा
माघ पूस की सर्द रात के ढलते ढलते कोहरे की चादर में लिपटी धरती / लगती है ऐसीजैसेछिपी हो कोई दुल्हनिया परदे में / लजाती, शरमातीहरीतिमा का वस्त्र धारण कियेमानों प्रतीक्षा कर रही हो / प्रियतम भास्कर के आगमन कीकि सूर्यदेव आते ही समा लेंगे अपनी इस दुल्हनिया कोबाँहों के घेरे में...पूरी रचना सुनने के लिए कृ
सुन मेरी शहजादी मेरी जान है तूक्या कहूँ मैं तेरे लियेतू मेरे लिये क्या हैतुझसे शुरू होती खुशी मेरीतो ग़म तेरे साथ होने से फना हो जातेज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम तुझसे मिलकर ही ये जाना हैतेरी मेरी दोस्ती पर बहुत नाज़ है मुझेतू दूर जरूर जा रही मुझसेपर इससे दोस्ती का प्यारकभी कम नही होगासुन मेरी शहजादी
[12/09/2020 ]*नौकरी का भूत* (व्यंग्य-कविता)पढ़ लिख के मैं बड़ा हुआ जब, ये मन में मैने ठाना ।जिन सब का था कर्ज पिता पर, वो मुझको जल्द चुकाना ।नौकरी की आस को लेकर, निकला घर से मतवाला ।सफल सफर करके भैया मैं, पहुच गया हूँ अम्बाला।***दो महिनें तक करी नौकरी , मन को थी कुछ ना भायी ।पता चला कुछ भर्ती निकली
तेरा धरती से यूँ जाना, मेरा धरती में रह जाना ।अखरता है मुझे हर पल, तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।मेरी साँसों में तेरा नाम, मेरी धड़कन में तेरा नाम ।मेरे ख्वाबों में तू ही तू,
( 1)क्यों? मुझको ऐसा लगता है। दूर कहीं कोई रोता है।कौन है वो? मैं नही जानता। पर,मानो अपना लगता है।कहीं दूर कोई रोता है। मुझसे मेरा मन कहता है। ( 2)अक्सर अपनी तन्हाई में, ध्
कायर नही हूँ मैंक्यो मानु मैं अपनी हारदुनिया न जीत पाऊतो हारु न खुद सेजो जीत ना पाया मैंतो क्या मैं मर जाऊइतना कमजोर नही मैंकायर नही जो मर जाऊ मैं......
दर्द में भी रह करके जब तू मुस्कराती है बस तेरी ये बातें मेरा हौसला बढ़ती है खामोशियों को मेरी तू सुन लेती है चेहरे को पढ़के मेरा हाल जान जाती है पुरे सांग क लिरिक्स देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे Meri Maa New Hindi Song Lyrics
मेरी जिंदगी खराब करई री मेरी माँ मेरी जिंदगी खराब करई री मेरी माँ है री री मेरी माँ मरी री री मेरी माँ है री री मेरी माँ मरी री री मेरी माँ मेरी जिंदगी खराब करई री मेरी माँ मेरी जिंदगी खराब करई री मेरी माँ पुरे सांग क लिरिक्स देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे Meri Zindagi Kharaab Lyrics in Hindi
Meri Pehli Hawai Yatra के उत्साह, रोमांच, थोड़ा सा डर, जिज्ञासा से मन उथल पुथल हो रहा था जैसे तैसे चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहुँचा, लखनऊ चारबाग सुबह 9 बजे ही पहुँच गया था जबकि मेरी गोवा की फ्लाइट शाम 5:30 पर थी खैर अपने एक रिश्तेदार के घर चला गया चाय नाश्ता खाना पीना करके कुछ आराम की और 3 बजे फिर आ गया
जिंदगी तू बता दे, ये सपने तो है पर रास्ता कहाजब गले मौत के लगने ही है , तो दर्द से मुलाकात न करा जख्म तो बहुत है पर , मरहम लागू कौन सा ये लहू की लाली को भी मिट जाना, फिर क्यों सुरमे से है, सजना सवारना इस मुकद्दर ने भी
मेरी आवाज भी वो है मेरा अंदाज़ भी वो हैमेरी सुबह और मेरी शाम भी वो है।होता नही दिन उसके बिना मेरामेरी जिंदगी की शुरुआत भी वो हैउसके बिना मैं अधूरीमेरी कहानी भी वो हैमेरा किस्सा भी वो हैमेरी कविता की रवानी है वोमेरी जान मेरी जिंदगानी है वोकहती है मुझे तू शैतान बहुत है ।जिद्दी है तू नादान बहुत हैअब उसे
गिरते-संभलते जैसे तैसे जीवन मे चलना सीखा था,खुदा ईशवर बस नाम ही सुनाये कभी कहा दिखा था।बचपन से माँ की ममता देखते पले बड़े,आज भी ममता के आंचल के कारण है खड़े।ईश्वर की माया देखी जो मा मिली है।जिसके कारण जिंदगी आज खिली खिली है।जन्म से जिसकी सूरत देखी,जिसको सबसे पहले पहचाना,लगता नही आज भी मैंनेउसे भले ढं
क्या कहूँ, कि ज़िन्दगी क्या होती है कैसे यह कभी हँसती और कभी कैसे रो लेती है हर पल बहती यह अनिल प्रवाह सी होती है या कभी फूलों की गोद में लिपटीखुशियों के महक का गुलदस्ता देती हैऔर कभी यह दुख के काँटो का संसार भी हैहै बसन्त सा
मैं चाहें जितना उडूं वो उतार ही देगा चलाके तीर मेरे दिल पे मार ही देगा मेरे नसीब में ताउम्र शोहरतें ही नहीं खुदा जो देगा बुलंदी उधार ही देगा मैं खुद भी जीतने के ख्वाब मार बैठा हूँ मैं जानता हूँ मुझे तू तो हार ही देगा मुझे खुद अपने ही चेहरे पे ऐतबार नहीं छुपाऊं लाख ग़मों को उभार ही देगा मैं रिस्क
हर बात मेरी एक प्रश्न बन गई lश्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई llहर बात मेरी एक प्रश्न बन गई lअश्रुओं ने कही जिंदगी की कहानी,शत्रु बन गए चक्षु और पानी,जिंदगी से लड़ता रहा मौत से ना हार मानी,त्रासदी भी मुझे छूकर एक जश्न बन गई lहर बात मेरी एक प्रश्न बन गई lश्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई llअधरों की मूक स्वीकृति
जब था छोटागाँव में, घर मेंसबका प्यारा, सबका दुलाराथोडा सा कष्ट मिलने परमाँ के कंधे पररखकर अपना सिरसरहोकर दुनिया से बेखबरबहा देता, अपने सारे अश्कमाँ के हाथ की थपकियाँदेती सांत्वनासाहस व झपकियाँसमय ने, परिस्थितियों नेउम्र से पहले बड़ा कर दियाअब जब भीजरूरत महसूस करतासांत्वना, आश्वासन कीमाँ के पास जाता