गेरो की महफ़िल में
वो गलत ही मिल गये
शरीफो की बस्ती में
वो जरा फिसल गये
शानो शौकत ऊँची बाते
तब जरा अजीब लगी
जब वो इसी का हवाला देकर
हमें अलविदा कह गए
हुस्न तो इतना हममे भी नही
तोह फिर क्यों वो हमारे चेहरे पे मर गये
और जब मुड़के न देखने की ठानली हमने
तो फिर क्यों पलट क मुस्कुराने का
कह के चले गये