किताबों
के पन्ने पलट कर सोचता हूं,
पलट
जाए जिंदगी तो क्या बात है।
कल
जिसे देखा था सपनों में,
वो
आज हकीकत में मुझे मिल जाए तो क्या बात है।
मतलब
के लिए तो सब ढुंढते हैं मुझे,
कोई
बिन मतलब मुझे ढुंढे तो क्या बात है।
जो
बात शरीफों की शराफत में न हो,
वो
एच शराबी कह जाए तो क्या बात है।
कत्ल
कर के तो सब ले जाएंगे दिल मेरा,
कोई
अपनी बातों से दिल चुराए तो क्या बात है।
जिंदे
रहने तक तो खुशी दुंगा सब को,
मेरी
मौत पे किसी को खुशी मिल जाए तो क्या बात है।
किताबों के पन्ने पलट कर सोचता हूं
पलट
जाए जिंदगी तो क्या बात है।।।।।।।