वजह यह भी रही मेरी उदासी की
तेरे से ही थी मुस्कुराहट मेरी
वजह यह भी कह सकते हो मेरी बैचेनी की
सुकून देती थी मीठी बोली तेरी
वजह यह भी कह दो खामोशी की
दर्द ने आवाज छीनली मेरी
वजह यह भी जानो इस सन्नाटे की
अब कहां से आएगी कदमों की आहट तेरी
वजह यह भी समझो हर पहर रोने की
बातें सताती है मुझे हर वक्त तेरी
वजह यह भी रही यहीं रह जाने की
जिम्मेदारियां तेरी जो अब हो गई मेरी
वजह यह भी सुनो देर तक जागने की
यादें सोने कहां देती जल्दी से तेरी
By-:
मानसी राठौड़