मित्रता करने से पहले, मित्र की पहचान कर ले |
सुबह का दिलकश, नज़ारा रात की पहचान कर ले ||१ ||
जो भले मे साथ तेरे, और बुरे मे साथ न दे |
वो भला कब मित्र लायक, राह उसकी छोड़ चल दे ||२ ||
मित्र पर हो प्राण संकट, या शत्रु उसे संताप दे |
वही सच्चा मित्र हैं, जो ऐसी घड़ी मे साथ दे || ३ ||
मित्र से हैं लाभ अगणित, कुमित्र सदा चोट ही दे |
जो लगे ये मित्र सच्चा , उससे मन के तार गढ़ ले || ४ ||
सामने तेरी प्रशंसा, पीठ पीछे राज कह दे |
ऐसा बिषधर प्राणघातक, अतः उसको तुरत तज दे || ५ ||
ह्रदय के निजसार को, और बुद्धि के व्याख्यान सुन ले |
जो कसौटी खरा उतरे, उससे तू पहचान कर ले || ६ ||
क्या फला है मित्र लायक, भली भाति उसे जान ले |
दृष्टि उस पर डाल करके, चेस्टाओं को ध्यान मे ले || ७ ||
मित्रता करने से पहले, मित्र की पहचान कर ले |
सुबह का दिलकश नज़ारा, रात की पहचान कर ले || ८ ||
आमोद पंडित
बी बी डी , लखनऊ
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