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मित्र की पहचान

10 मई 2015

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मित्रता करने से पहले, मित्र की पहचान कर ले | सुबह का दिलकश, नज़ारा रात की पहचान कर ले ||१ || जो भले मे साथ तेरे, और बुरे मे साथ न दे | वो भला कब मित्र लायक, राह उसकी छोड़ चल दे ||२ || मित्र पर हो प्राण संकट, या शत्रु उसे संताप दे | वही सच्चा मित्र हैं, जो ऐसी घड़ी मे साथ दे || ३ || मित्र से हैं लाभ अगणित, कुमित्र सदा चोट ही दे | जो लगे ये मित्र सच्चा , उससे मन के तार गढ़ ले || ४ || सामने तेरी प्रशंसा, पीठ पीछे राज कह दे | ऐसा बिषधर प्राणघातक, अतः उसको तुरत तज दे || ५ || ह्रदय के निजसार को, और बुद्धि के व्याख्यान सुन ले | जो कसौटी खरा उतरे, उससे तू पहचान कर ले || ६ || क्या फला है मित्र लायक, भली भाति उसे जान ले | दृष्टि उस पर डाल करके, चेस्टाओं को ध्यान मे ले || ७ || मित्रता करने से पहले, मित्र की पहचान कर ले | सुबह का दिलकश नज़ारा, रात की पहचान कर ले || ८ || आमोद पंडित बी बी डी , लखनऊ फोन - 8687345999
आमोद पंडित

आमोद पंडित

शुक्रिया ...

11 मई 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

एक आर्कीटेक्ट ने मित्रता परखने की अच्छी कसौटी प्रस्तुत की है आमोद पंडित जी- सफल रचना के लिए बधाई

10 मई 2015

राकेश कुमार डिमरी

राकेश कुमार डिमरी

संकट की घड़ी में जो काम आए वही सच्चा मित्र कहलावे

10 मई 2015

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