तीन वर्ष शिक्षक-शिक्षा में कार्य करते हुए शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और सैद्धांतिक पक्ष को निकटता से जानने-समझने और अनुभव करने की कोशिश की। अनेक वर्षों तक पेशेवर शिक्षक के रूप में प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए, शिक्षा के स्वभाव, स्वरुप, प्रभाव और उसके व्यावहारिक पक्ष आदि को विविध दृष्टिकोणों से जानने-समझने का प्रयास करता रहा। स्वैच्छिक और विभागीय रूप से विभिन्न मंचों- कार्यशालाओं, सेमिनार, वेबिनार व इसी प्रकार के अन्य कार्यक्रमों आदि में प्रतिभाग करते हुए जब कभी कुछ नया सीखने-समझने को मिला तो मन काफी उत्साहित हुआ। लेकिन जब कर्त्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करने के पश्चात भी, आशानुरूप परिणाम नहीं मिले अथवा कार्य करने पर संदेह करते हुए दूसरों के द्वारा सवाल उठाए गए तो मन हतोत्साहित भी हुआ। दोनों ही परस्थितियों में मिले अनुभवों को यथा समय आलेखबद्ध करने का प्रयास करता रहा। यह पुस्तक उन्हीं मिश्रित अनुभवों का परिणाम है।
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