मोहन राकेश (8 जनवरी, 1925 – 3 दिसम्बर, 1972)
हिंदी के बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न नाटयलेखक और उपन्यासकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को हुआ था ।
वे 'नई कहानी' आंदोलन के प्रमुख स्तंभ हैं । 'मलबे का मालिक' उनकी बहुचर्चित कहानी है। वे कथाकार के अतिरिक्त नाटककार के रूप में भी अत्याधिक प्रसिद्ध हैं । कुछ वर्षों तक उन्होनें हिंदी की पत्रिका 'सारिका' का भी संपादन किया है ।
'आषाढ़ का एक दिन' नाट्य रचना के लिए और 'आधे-अधूरे' के रचनाकार के नाते उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
'अंधेरे बंद कमरे' उनका हिंदी का महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है, जिसका अंग्रेजी व रूसी भाषा में भी अनुवाद हुआ ।
उनकी प्रमुख रचनाएं - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे (नाटक), अंधेरे बंद कमरे, अंतराल, न आने वाला कल (उपन्यास), क्वार्टर तथा अन्य कहानियां आदि ।
3 दिसम्बर, 1972 को उन्होने अंतिम सांस ली ।