जीवन इतना क्षणिक कैसे हो सकता है ईश्वर इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है अभी अभी खड़ा हुआ व्यक्ति धड़ाम से गिरके हमेशा के लिए जुदा कैसे हो सकता है ??? आज ऐसा ही कुछ हुआ एक व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हुआ खड़ा
जीवन क्या है..? या मृत्यु क्या है..? क्या कभी आपने इसे समझने की चेष्टा की है..? नहीं, जरूरत ही नहीं पड़ी। मनुष्य ऐसा ही है.. तो क्या सोच गलत है...जी बिल्कुल नहीं, ये तो मनुष्यगत स्वभाव है। जरा उनके बारे में सोचिए जिन्होंने हमें ज्ञान की बाते