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जीवन परिचय नाम- प्रवीण कुमार शर्मा पिता-श्री गिरधारी लाल शर्मा माता-श्रीमती गंगा देवी पत्नी-श्रीमती रेनू शर्मा शिक्षा-स्नातकोत्तर (अंग्रेजी),B.Ed. पता-गांव खिजूरी,पोस्ट-दौलतगढ़,तहसील- रूपवास,जिला- भरतपुर,राजस्थान। पिन कोड-321404 साहित्यिक जीवन-2007-08 से सतत लेखन कार्य।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-05-01
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-03-22
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-17

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विचारों की धुन पर झंकृत होता हृदय

विचारों की धुन पर झंकृत होता हृदय

यह एक काव्य संग्रह है।इसमें कुछ ऐसी कविताओं का संग्रह है जो पाठकों के हृदय को झंकृत कर दे।कविताएं अपनी सरल और सुगम्य भाषा तथा कला पक्ष व भाव पक्ष के बल पर पाठकों को जोड़े रखती हैं।

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34 common.articles
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ईबुक:

₹ 21/-

विचारों की धुन पर झंकृत होता हृदय

विचारों की धुन पर झंकृत होता हृदय

यह एक काव्य संग्रह है।इसमें कुछ ऐसी कविताओं का संग्रह है जो पाठकों के हृदय को झंकृत कर दे।कविताएं अपनी सरल और सुगम्य भाषा तथा कला पक्ष व भाव पक्ष के बल पर पाठकों को जोड़े रखती हैं।

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प्रवीण कुमार शर्मा की डायरी

प्रवीण कुमार शर्मा की डायरी

साप्ताहिक प्रतियोगिता संबंधी लेख

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निःशुल्क

प्रवीण कुमार शर्मा की डायरी

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प्रेम का पुरोधा

प्रेम का पुरोधा

यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने जीवन को दूसरों के लिए होम कर देता है।स्नेहमल नाम का यह व्यक्ति अपने दृढ़ चरित्र से अन्य लोगों के चरित्र को गढ़ता हुआ चलता है।इसके जीवन में कई समस्याएं भी आती हैं लेकिन वह संत स्वभाव का होने के कारण समस्त समस्याओं

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23 common.articles
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₹ 104/-

प्रिंट बुक:

260/-

प्रेम का पुरोधा

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यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने जीवन को दूसरों के लिए होम कर देता है।स्नेहमल नाम का यह व्यक्ति अपने दृढ़ चरित्र से अन्य लोगों के चरित्र को गढ़ता हुआ चलता है।इसके जीवन में कई समस्याएं भी आती हैं लेकिन वह संत स्वभाव का होने के कारण समस्त समस्याओं

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अध्याय 21

16 जनवरी 2023
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सुबह होते ही उस धनराम नाम के ज़मींदार ने गाँव के लोगों को इकट्ठा किया। रात को आये ख़्वाब के बारे में सभी को बताया। पहले तो किसी ने भी उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने लोगों से बहुत ही ज़िद क

अध्याय 20

16 जनवरी 2023
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पौ फटते ही स्नेहमल उस व्यक्ति को लेकर उस गाँव में पहुँचा। हालाँकि वह व्यक्ति इतना डरा और सहमा हुआ था कि वह सुबह बमुश्किल ही गाँव चलने को राज़ी हो पाया था। लेकिन स्नेहमल उसे साहस देते हुए यहाँ लाया था।

अध्याय 19

16 जनवरी 2023
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सर्दियों के दिन थे, अँधेरा गहराया हुआ था। स्नेहमल एक वीरान जगह में होकर गुज़र रहा था कि अचानक उसे किसी से ठोकर लगी और गिर पड़ा। उसने जब नीचे की ओर निगाह डाली तो देखा कि जर्जर, फ़टे पुराने कपड़े पहना हुआ,

अध्याय 18

16 जनवरी 2023
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स्नेहमल सोचने लगा कि पागलपन दुनिया का वह कड़वा सच है जो पूरी दुनिया को आईना दिखाता है। दुनिया जिन लोगों के पागलपन पर हँसती है वह वास्तविक रूप में ख़ुद पर हँस रही होती है। पागल और शराबी एक जैसे होते हैं

अध्याय 17

16 जनवरी 2023
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स्नेहमल अपनी लंबी यात्रा के बाद एक गाँव में ठहरा। गाँव में एक तालाब के किनारे पेड़ की छाँव में बैठ गया। पास ही में एक कुएँ से पानी खींचकर उसने अपनी प्यास बुझाई और अपनी बोतल को भर लिया। वहीं पर वह अपने

अध्याय 16

16 जनवरी 2023
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स्नेहमल ठाकुर के गाँव को छोड़कर दूसरे गाँव की ओर चला जा रहा था। उसका मन विचारों में डूबा हुआ था। वह सोचता हुआ जा रहा था कि जिन बच्चों को पाल-पोस कर इतना बड़ा कर दिया वही उसके सगे बच्चे आज उसे पहचान नहीं

अध्याय 15

16 जनवरी 2023
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सुबह होते ही स्नेहमल अपने नित्य कर्मों से फ़ारिग़ हो गया। थोड़ी देर बाद वह घर से ठाकुर से मिलने निकल गया। साथ में उस ठाकुर के बेटे के वफ़ादार नौकर वेश बदलकर उसके पीछे-पीछे चलने लगे। उन सब ने साधुओं का व

अध्याय 14

16 जनवरी 2023
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तीनों ही पेड़ से बँधे बेहोशी की हालत में बारिश में भीग रहे थे। कोई भी इस जहान में ऐसा नहीं था जो उन्हें होश में ला सके, सँभाल सके। लेकिन प्रकृति की नज़र में तो सब बराबर हैं। वह सभी पर बराबर नेह बरसाती

अध्याय 13

16 जनवरी 2023
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पिछली रात को जैसे ही ठाकुर का बेटा उस महिला से मिलकर अपने घर पहुँचा वैसे ही उसके कमरे के बाहर दारु पीकर धुत्त पड़ा पहरेदार को अचानक से चेत हो गया। चेत होते ही उसे कमरे में से कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। आवा

अध्याय 12

16 जनवरी 2023
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रात होते होते स्नेहमल को नींद आ गयी। घर के अंदर जाकर वह महिला अपने कामों को निपटाने में लग गयी। एक गहरी नींद लेने के बाद पास में उस घर से आ रही बुदबुदाहट से उसकी निद्रा में कुछ अड़चन आयी। लेकिन वह उस

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