विक्रम सुबह की पहली किरणों के साथ झकरकटी में।लगा था पुल में जाम सुबह भी शाम की तरह।कानपुर की विक्रम भी क्या कट मरती है रोड़ में।बच गए तो किस्मत ठीक, ठोक दी बदकिस्मती आपकी।देख के चलबे, सुबह सुबह मरने चले आते कहाँ से।विक्रम में लिखा भी था, किधर को भी मुड़ सकती हूँ।बिठूर 1