माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।
वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।
आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है
कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।
26 अक्टूबर 2016
माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।
वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।
आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है
कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।
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कोई बात जब दिल को चुभती सी लगती है और किसी से कुछ न कह पाने की लाचारी जीने नहीं देती, तब अपनी बात कही लिख देना मजबूरी हो जाती है। शब्द शब्द चीत्कार कर कहते है कवि कलम उठाओ।
और ऐसी मनोस्थिति में जो कुछ लिख जाता है, लोग कहते है कविता हो गई।
,कोई बात जब दिल को चुभती सी लगती है और किसी से कुछ न कह पाने की लाचारी जीने नहीं देती, तब अपनी बात कही लिख देना मजबूरी हो जाती है। शब्द शब्द चीत्कार कर कहते है कवि कलम उठाओ।
और ऐसी मनोस्थिति में जो कुछ लिख जाता है, लोग कहते है कविता हो गई।
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