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मुक्तक

26 अक्टूबर 2016

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माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।

वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।

आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है

कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।


मथुरा प्रसाद वर्मा की अन्य किताबें

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मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
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नजर में हो जब परदे: नजारा हो तो कैसे हो ।।कोई जब डूबना चाहे , किनारा हो तो कैसे हो।।किसी के हो न पाये तुम,पल भर भी मुहब्बत में, प्रसाद तुम ही बताओ कोई,तुम्हारा हो तो कैसे हो ।

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मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
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1मुहब्बत एक फैशन है आजकल ज़माने में।नही दिल देखता कोई लगे है तन को सजाने में।।बहुत आसान है पहली नज़र में दिल दे देनापसीने छूट जाते हैं मगर रिश्ते निभाने में।2कभी करता है दिल मेरा कि मैं देवदास हो जाता ।।न पड़ता तेरे चक्कर में तो कुछ ख़ास हो जाता ।।अगर होती सिलेबस में तुम्हारे हुस्न के चर्चये मुमकिन है

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मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
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माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।आज के इस दौर में मुझे ये मलाल हैकुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।

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मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
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मै ये दावा नहीं करता कि कभी लडखडाया नहीं।मगर ये इल्जाम गलत है कि मुझे चलना आया नहीं।अक्सर गिर जाता हूँ , किसीके सहारे नहीं चलता,मै आदमी हूँ मेरे दोस्त कोई चौपाया नहीं।।

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मुक्तक छोटी कलम की

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मुक्तक : जीत की सौगात

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<p><br></p> <p><br> जब जब लोगो पर हुए अत्याचार /<br> लोगो ने लगाई गुहार /<br> सर पर कफन बांधे /आया म

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<p><br> <br> </p> <p><br> तुम किरण थी मैं अँधेरा, हो सका कब मेल।<br> खेल कर हर बार

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