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मसीहा

29 सितम्बर 2021

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जब जब लोगो पर हुए अत्याचार /
लोगो ने लगाई गुहार /
सर पर कफन बांधे /आया मसिहा/
और लडता रहा लोगो के लिए
दिन रात /सहता रहा आघात /पत्थरों के/
चुना जाता रहा दिवारों पर/
चढता रहा सुलियों पर /
छलनी होता रहा गोलियों से /
बार बार /
लोग बने रहे तमाशाबिन/
बैठे रहे चुपचाप /
 छटपटाते हुए देखते रहे
 मसिहा को
जुल्म बढता रहा
हर रोज/
और जब
 मर गया मसिहा
लोग करने लगे इंतिजार
फिर एक बार/
और किसी मसिहे की
 मसिहाआएगा
 ओर हमें बचाएगा
बार- बार,
बार- बार,
बार- बार


मथुरा प्रसाद वर्मा की अन्य किताबें

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नजर में हो जब परदे: नजारा हो तो कैसे हो ।।कोई जब डूबना चाहे , किनारा हो तो कैसे हो।।किसी के हो न पाये तुम,पल भर भी मुहब्बत में, प्रसाद तुम ही बताओ कोई,तुम्हारा हो तो कैसे हो ।

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26 अक्टूबर 2016
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<p><br></p> <p><br> जब जब लोगो पर हुए अत्याचार /<br> लोगो ने लगाई गुहार /<br> सर पर कफन बांधे /आया म

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2 अक्टूबर 2021
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<p><br> <br> </p> <p><br> तुम किरण थी मैं अँधेरा, हो सका कब मेल।<br> खेल कर हर बार

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