मथुरा प्रसाद वर्मा
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कोई बात जब दिल को चुभती सी लगती है और किसी से कुछ न कह पाने की लाचारी जीने नहीं देती, तब अपनी बात कही लिख देना मजबूरी हो जाती है। शब्द शब्द चीत्कार कर कहते है कवि कलम उठाओ। और ऐसी मनोस्थिति में जो कुछ लिख जाता है, लोग कहते है कविता हो गई।,कोई बात जब दिल को चुभती सी लगती है और किसी से कुछ न कह पाने की लाचारी जीने नहीं देती, तब अपनी बात कही लिख देना मजबूरी हो जाती है। शब्द शब्द चीत्कार कर कहते है कवि कलम उठाओ। और ऐसी मनोस्थिति में जो कुछ लिख जाता है, लोग कहते है कविता हो गई।