shabd-logo

मोल

29 सितम्बर 2021

43 बार देखा गया 43

कभी जनता, कभी सरकार बिकता है ।

कभी कुर्सी , कभी दरबार  बिकता है ।

हर चीज है यहाँ बिकाऊ दोस्तों ;

कोई छुप कर, कोई सरेबाजार  बिकता है ।

कभी शहर-शहर ,कभी गाँव-गाँव  बिकता है ।

कोई किलो-किलो ,कोई पाव-पाव   बिकता है ।

हर चीज की अलग-अलग कीमत है मित्रों;

कोई कौड़ियों में,कोई करोडो के भाव  बिकता है ।

कही खून, कहीं पसीना आज  बिकता है ।

कहीं पत्थर कहीं सोना कहीं ताज  बिकता है ।

सब कुछ तो लोग खरीदते है यारों ;

तभी तो माँ-बहनों का लाज  बिकता है ।

कहीं खस्सू, कहीं खुजली, कहीं दाद  बिकता है ।

कभी दवा , कभी दारू, कभी इलाज  बिकता है ।

लोकतंत्र हो जाता है बीमार मेरे साथी ;

जब अखबार वालों का आवाज  बिकता है ।

कोई ख़ुशी-ख़ुशी, कोई होकर मजबूर  बिकता है ।

कोई अपनों के लिए,होकर दूर  बिकता है ।

तकदीर के तराजू में तूल जाता है हर आदमी

आदमी है तो  जिंदगी में जरुर  बिकता है ।

मथुरा  प्रसाद  वर्मा 'प्रसाद'

मथुरा प्रसाद वर्मा की अन्य किताबें

1

मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
0
1
0

नजर में हो जब परदे: नजारा हो तो कैसे हो ।।कोई जब डूबना चाहे , किनारा हो तो कैसे हो।।किसी के हो न पाये तुम,पल भर भी मुहब्बत में, प्रसाद तुम ही बताओ कोई,तुम्हारा हो तो कैसे हो ।

2

मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
0
1
0

1मुहब्बत एक फैशन है आजकल ज़माने में।नही दिल देखता कोई लगे है तन को सजाने में।।बहुत आसान है पहली नज़र में दिल दे देनापसीने छूट जाते हैं मगर रिश्ते निभाने में।2कभी करता है दिल मेरा कि मैं देवदास हो जाता ।।न पड़ता तेरे चक्कर में तो कुछ ख़ास हो जाता ।।अगर होती सिलेबस में तुम्हारे हुस्न के चर्चये मुमकिन है

3

मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
0
0
0

माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।आज के इस दौर में मुझे ये मलाल हैकुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।

4

मुक्तक

26 अक्टूबर 2016
0
0
0

मै ये दावा नहीं करता कि कभी लडखडाया नहीं।मगर ये इल्जाम गलत है कि मुझे चलना आया नहीं।अक्सर गिर जाता हूँ , किसीके सहारे नहीं चलता,मै आदमी हूँ मेरे दोस्त कोई चौपाया नहीं।।

5

मुक्तक छोटी कलम की

2 जनवरी 2017
0
3
0

6

मोल

29 सितम्बर 2021
0
1
0

<p>कभी जनता, कभी सरकार बिकता है ।</p> <p>कभी कुर्सी , कभी दरबार बिकता है ।</p> <p>हर चीज है यह

7

मुक्तक : जीत की सौगात

29 सितम्बर 2021
2
2
1

<p>हर एक हार जीत की शुरुवात होती है !</p> <p>हार सुबह से पहले एक लम्बी रात होती है !</p> <p>जो

8

मसीहा

29 सितम्बर 2021
0
1
0

<p><br></p> <p><br> जब जब लोगो पर हुए अत्याचार /<br> लोगो ने लगाई गुहार /<br> सर पर कफन बांधे /आया म

9

आदमी हूँ।

2 अक्टूबर 2021
2
2
2

<p>बहरे रमल मुसद्दस सालिम<br> फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन, फ़ाइलातुन</p> <p>2122, 2122, 2122 <br> <br> आदम

10

मुक्तक

2 अक्टूबर 2021
3
2
1

<p><br> <br> </p> <p><br> तुम किरण थी मैं अँधेरा, हो सका कब मेल।<br> खेल कर हर बार

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए