“मुक्तक”तर्क तौलते हैं सभी लिए तराजू हाथ। उचित नीति कहती सदा मिलों गले प्रिय साथ। माँ शारद कहती नहीं रख जिह्वा पर झूठ- ज्ञान-ध्यान गुरुदेव चित अर्चन दीनानाथ॥-१ प्रथम न्याय सम्मान घर दूजा सकल समाज। तीजा अपने आप का चौथा हर्षित आज। धन-निर्धन सूरज धरा हो सबका बहुमान- गाय भाय बेटी-बहन माँ- ममता अधिराज॥-२