नहीं छोड़ना उस कायर को , सीमा पर जो चढ़ा सियार ।
आर - पार का करो फैसला , मारो खींच गले तलवार ।।
सबक सिखाना होगा इनको , जो भारत पे करते वार ।
रणचण्डी की कृपा रहेगी , अबकी करो आर या पार ।।
कद के छोटे खोटे दिल के , उछल रहे जानें किस बात ।
दुनिया जान गई है इनको , बात - बात पे करते घात ।।
अबकी नोचो हाथ बढ़ाकर , चेहरे से इनके नकाब ।
हर दुश्मन का यही सरगना , छीन लो गन जूता जुराब ।।
एक पड़ोसी शिविर लगाकर , बम का करता है व्यापार ।
एक कहे कि राम है उसका , अवध उसीका है घर बार ।।
अपने देश में छुपे हैं कुछ , आस्तीन में काले व्याल ।
खाते नमक यहाँ का लेकिन , उनके लिए बजाते गाल ।।
……. सतीश मापतपुरी