आदेशों के पालन में अवरोध नहीं बन सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
हे जनमानस हे जगपालक, हे सत्ता के दृढ़ निर्वाचक
आंखे खोलो जागो देखो क्या परिवेश नजर आता है
भूख गरीबी और कपट में लिपटा देश नजर आता है
तुम जैसी हुंकार गर्जना घोर नहीं कर सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
बेच रहें हैं घर के मालिक अपने घर की चौखट को
पानी के रखवाले जैसे रौंद रहे हैं पनघट को
बात शांति की करते हैं लेकिन लाते दहशत को
संरक्षक बन सत्ता का प्रतिरोध नहीं कर सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
सेवा करना परम धर्म है बचपन से सिखलाया है
पर ना जाने सेवा को क्यूँ अब व्यापार बनाया है
नैतिकता के प्रांगण में परचम तम का लहराया है
फिर भी दीपक बन कर सकल अजोर नहीं कर सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
मजदूरों का काम छिन रहा, नहीं फसल का दाम मिल रहा
कृषक सोच में व्याकुल बैठे नहीं कहीं आराम मिल रहा
नौकरियों पर आफत आई ये कैसा अभियान चल रहा
ऐसे अभियानों पर गहरी चोट नहीं कर सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।
निजीकरन में निजता का कोई सम्मान नहीं होगा
मानवता की प्रभुता का कोई प्रतिमान नहीं होगा
एक धर्म सौदे बाजी का दूजा काम नहीं होगा
समझो मेरी बातों को कुछ और नहीं कह सकता हूँ
मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नहीं कर सकता हूँ।