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Post graduate teacher of English in p.n.saigal inter college sitapur (u.p.) मैं नया कविता लेखक,"निर्मल" अपनी कलम रुपी लेखिनी से अपने ह्रदय की भावनाओं को शिक्षापरक कविता रुपी मोतियों में पिरोकर ,आप सभी पाठकों के सामने,मां सरस्वती की अनुकम्पा से प्रस्तुत करने का एक सौभाग्य प्राप्त किया है ।

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साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता2022-03-20
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-20
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-02-25

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"निर्मल काव्य मधु-रस"

"निर्मल काव्य मधु-रस"

मैं जीवन के वास्तविक अनुभवों को, कलम रुपी लेखिनी के द्वारा शब्दों के मोतियों को अनुभव रुपी धागे में पिरोकर एक निर्मल माल्यार्पण पाठकों को करना चाहता हूं । सर्वप्रथम पाठकों को सम्मान प्रदान करते हुए , मैं उन्हें जीवन की वास्तविकताओं व गूढ़ रहस्यों से

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₹ 132/-

"निर्मल काव्य मधु-रस"

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मैं जीवन के वास्तविक अनुभवों को, कलम रुपी लेखिनी के द्वारा शब्दों के मोतियों को अनुभव रुपी धागे में पिरोकर एक निर्मल माल्यार्पण पाठकों को करना चाहता हूं । सर्वप्रथम पाठकों को सम्मान प्रदान करते हुए , मैं उन्हें जीवन की वास्तविकताओं व गूढ़ रहस्यों से

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"निर्मल काब्य अर्चित- पुष्पांजलि"

"निर्मल काब्य अर्चित- पुष्पांजलि"

मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता" अपनी दो पुस्तकों के प्रकाशन, "निर्मल काब्य मधु-रस" व "निर्मल काब्य चेतना-अमृतांजलि" के पश्चात एक नवीन रचना"निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" का शुभारंभ मां शारदे के चरणों में, अपने शब्द रुपी पुष्पों की, पुष्पांजलि मां शार

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₹ 105/-

"निर्मल काब्य अर्चित- पुष्पांजलि"

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मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता" अपनी दो पुस्तकों के प्रकाशन, "निर्मल काब्य मधु-रस" व "निर्मल काब्य चेतना-अमृतांजलि" के पश्चात एक नवीन रचना"निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" का शुभारंभ मां शारदे के चरणों में, अपने शब्द रुपी पुष्पों की, पुष्पांजलि मां शार

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"अंशिमा-काव्यकुंज"

"अंशिमा-काव्यकुंज"

मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता",अपने ह्रदय की भावनाओं को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर,अनूठी मालाओं का सृजन कर पाठकों को भेंट करना चाहता हूं । यह पुस्तक एक काब्य- संग्रह है , जिसमें जीवन के गहन अनुभवों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर पाठकों के समक्

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"अंशिमा-काव्यकुंज"

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मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता",अपने ह्रदय की भावनाओं को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर,अनूठी मालाओं का सृजन कर पाठकों को भेंट करना चाहता हूं । यह पुस्तक एक काब्य- संग्रह है , जिसमें जीवन के गहन अनुभवों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर पाठकों के समक्

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"निर्मल काव्य चेतना-अमृतांजलि"

"निर्मल काव्य चेतना-अमृतांजलि"

मैं निर्मल गुप्ता, एक नवीन लेखक अपने जीवन के अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में निखार कर कुछ सुन्दर कविता रुपी मालाओं का सृजन कर ,अपने प्रिय पाठकों के ह्रदय पर विराजमान करना चाहता हूं,जहां उनकी धड़कनें बसती है । ताकि वे एक नयी चेतना को प्राप्त कर मानवी

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"निर्मल काव्य चेतना-अमृतांजलि"

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मैं निर्मल गुप्ता, एक नवीन लेखक अपने जीवन के अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में निखार कर कुछ सुन्दर कविता रुपी मालाओं का सृजन कर ,अपने प्रिय पाठकों के ह्रदय पर विराजमान करना चाहता हूं,जहां उनकी धड़कनें बसती है । ताकि वे एक नयी चेतना को प्राप्त कर मानवी

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"निर्मल काव्य-धारा "

"निर्मल काव्य-धारा "

"निर्मल काव्य-धारा" जीवन के विभिन्न पहलुओं के गहन अध्ययन एवं अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर पाठको के समक्ष प्रस्तुत की गयी,काव्य कला का एक अनूठा संगम है। जिसमें कहीं दुनिया के बदलते परिवेश, सच्चे प्रेम की कसक,एवं प्रकृति के सौंदर्य का निरुपम

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"निर्मल काव्य-धारा "

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"निर्मल काव्य-धारा" जीवन के विभिन्न पहलुओं के गहन अध्ययन एवं अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर पाठको के समक्ष प्रस्तुत की गयी,काव्य कला का एक अनूठा संगम है। जिसमें कहीं दुनिया के बदलते परिवेश, सच्चे प्रेम की कसक,एवं प्रकृति के सौंदर्य का निरुपम

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"निर्मल काव्य-सौरभ"

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"निर्मल काव्य-सौरभ" में सामाजिक जीवन के बदलते परिवेश, प्रेम की परिकल्पनाएं, एवं जीवन के गहन अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर,उन्हें श्रृंखलाओं में सृजन कर ,राग-माधुर्य के साथ मालाओं का नव सृजन कर ,प्रिय पाठकों को समर्पित करने का एक उत्तम प्रया

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"निर्मल काव्य-सौरभ"

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"हंसी मुखड़ा मेरे वीरों, दिखा जाते तो क्या होता?"

26 जनवरी 2023
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हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ?       मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती ।      दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्

"हंसी मुखड़ा मेरे वीरों, दिखा जाते तो क्या होता?"

26 जनवरी 2023
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हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ?       मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती ।      दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्

"हंसी मुखड़ा मेरे वीरों, दिखा जाते तो क्या होता?"

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हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ?       मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती ।      दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्

"राष्ट्रीय बालिका दिवस"

24 जनवरी 2023
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बेटियों से, घर आबाद हो चला । बेटियों से संसार, सचमुच सार हो चला । ज़माने में, अब बेटियां, बेटों से कम तो नहीं हैं। हर क्षेत्र में, उन्होंने ही, इक नई दुनिया रची है। फिर क्यूं समाज, बेटियों को अबला

"मेरे अरमानों की, अर्थी निकलती रही।"

3 दिसम्बर 2022
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सब कुछ बदल गया, वक्त के चलते -चलते । पर हम न बदल पाये, वक्त के चलते-फिरते ।मौसम की तरह, क्यूं, बदल जाते हैं, लोग ? क्यूं, बीच भंवर में, डूबता छोड़ जाते है

"सांझ ढल चली, कोई संदेश न आया।"

4 अक्टूबर 2022
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सांझ ढल चली,कोई संदेश न आया । इंतजार मैं करता रहा,पर उनको, मेरा ख्याल न आया। प्यार करके भूल जाने की , गुस्ताखी क्यूं करते हैं, लोग ? ये सिर्फ बेवफाओं का काम है,जो दिल को

"क्यूं , दुनिया ये ,समझ न पावे? "

30 अगस्त 2022
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भाई बहन के प्रेम की, जग में नहीं मिशाल । भाई बिना है, बहन अधूरी।बहन बिना भाई है, सूना । सब रिश्तों में, सुन्दर रिश्ता ।स्वार्थ नहीं है, इसमें टिकता । जरा दर

"इन बादलों की, फितरत अजीब है।"

18 जुलाई 2022
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इन बादलों की, फितरत अजीब है । किसी को, खुश करने की अदा, बेहतरीन है ।किसी को, स्नेह जल से, महका जाते हैं । पर किसी का, सब कुछ, बहाकर चले जाते हैं ।को

"सचमुच वहां पर, लक्ष्मी सुशोभित नहीं होती।"

7 जुलाई 2022
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बेटियों की मुस्कुराहट ही, हमारे घरों की शान है । बेटियां ही हमारे घरों की, पहचान हैं ।जिन घरों में, बेटियों की, चहलकदमी नहीं होती । सचमुच वहां पर, लक्ष्मी सुशोभि

"तेरी आंखों में जो, गहरी झील नजर आती है।"

3 जुलाई 2022
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तेरी आंखों में जो, गहरी झील नजर आती है । उसे देखकर ये नैनी झील, भी शर्माती है ।खुदा कसम, कुदरत की अनोखी, रचना हो तुम । मेरी जिन्दगी का इक ,सुहाना स

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