मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता" अपनी दो पुस्तकों के प्रकाशन, "निर्मल काब्य मधु-रस" व "निर्मल काब्य चेतना-अमृतांजलि" के पश्चात एक नवीन रचना"निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" का शुभारंभ मां शारदे के चरणों में, अपने शब्द रुपी पुष्पों की, पुष्पांजलि मां शारदे के चरणों में अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त कर,अर्पित करना चाहता हूं । "निर्मल काब्य अर्चित-पुष्पांजलि" कविताओं का एक अनूठा संगम है , जिसमें जीवन के विभिन्न अनुभव , जिसमें कहीं सच्चे प्यार की कसक, कलयुग में गिरते हुए नैतिक मूल्यों,वक्त की सर्वोपरिता, बदलते इंसानों के आचरण, आधुनिक प्रेम, एवं इंसान में, पनपती अहं की भावना,प्रकृति के विरोधाभास , बिखरते हुए रिश्तों की, दिल में चुभन आदि का चित्रण कर अनुभव रुपी दीपक के प्रकाश से सांसारिक मानवों को एक नया ज्ञान का प्रकाश देने का प्रयास किया गया है । मेरी लेखनी पाठकों के सहयोग से ही, आगे बढ़ने की शुभ-आकांक्षा रखती है ।
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