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पंछी प्यार का

20 अक्टूबर 2016

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तुम गई कोई बात नही हर मोड पर बैठी खुशहाली है एक दीप के बुझ जाने से फीकी पडी नही दिवाली है तुमसे पहले कई मिले तुमसे पहले कई गए सुरज की ढलती किरने नित नया सवेरा लाती है तुम्हारू धडकन के रूकने से नही मौत आ जाती है हर ओठो की लाली एक नई राह कहलाती है मत हमको तुम अनजान समझना हम जैसे रूठा करते है छोटे से इस जीवन में अक्सर दिल टुटा करते है फिर भी मुझ जैसे कई राह में मिल जायेंगे जो मुझ जैसे ही हारे है पर अनेको लम्हे लुट जायेगे ( कवि रंगरेज सातनेरी

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प्यारी सी रचना हुई है । आदरणीय बधाई स्वीकारें।

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