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संपादक - विश्वगाथा (गुजरात की एकमात्र हिंदी साहित्यिक पत्रिका) पत्रकारिता- बी.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. और जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन (हिन्दी) –भोपाल से साहित्य क्षेत्र-संपादक : विश्वगाथा (त्रैमासिक मुद्रित पत्रिका)लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास ।पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका ।अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शिक्षा और सामाजिक कार्य ।प्रकाशित पुस्तकों की सूचि -1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती1996- भीष्म साहनी की श्रेष्ठ कहानियाँ- का- हिंदी से गुजराती अनुवाद1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी1998- आगिया (जुगनू) (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती2004- माछलीघरमां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली उषा मेहता, अमेरिकन साहित्यकार नोर्मन मेईलर और हिन्दी साहित्यकार भीष्म साहनी की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में।2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती2010- झरोखा (निबंध संग्रह)-हिन्दी 2012- घूघू, बुलबुल और हम (હોલો, બુલબુલ અને આપણે) (निबंध संग्रह)-गुजराती2014- हाँ ! तुम जरूर आओगी (कविता संग्रह)प्रसारण- आकाशावाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण ।दस्तावेजी फिल्म : 1994 गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन।निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोटप्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण।स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टुडे, गुजरातमित्र, फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), ग

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खिड़की

3 दिसम्बर 2018
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जब भीखुलती है खिड़कीदिखता है तेरा चेहराऔरहवा की लहर दौड़ आती है औरउन पर सवार आँगन के तुलसी कीताज़गी...... औरगुलाब की पत्तियों की खुशबू...उसके गुलाबी रंगों पर बिखरी हुई धूप से उभरती चमकप्रफुल्लता की सारगर्भित सोचऔरनई दिशाएं खोलती है ये खिड़कीजब भी खुलती है...तेरा चेहरा दिखता है औरखिड़की खुलती है तो भ

बच्चे देखो - पंकज त्रिवेदी

13 जुलाई 2017
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दहशतों में पल रहे हैं बच्चे देखो जातियों में बंट रहे है बच्चे देखो यह कैसे फ़ैल गया शहर में ज़हर कितने सहमे है मासूम बच्चे देखोजान के बदले जान ले ली है मगर कितने अनाथ हो जाएं बच्चे देखोगुनहगार जब तय होंगे तब देखेंगे बेगुनाह के रोज़गार में बच्चे देखो *पंकज त्रिवेदी १३ जुलाई

आवागमन - पंकज त्रिवेदी

10 जुलाई 2017
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 सदियों का कोलाहल शांत हो रहा है लगता है मेरा आवागमन हो रहा है ! *पंकज त्रिवेदी

परम चेतना में... - पंकज त्रिवेदी

30 जून 2017
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मन कुछ उदास है पर चलना तो होगा. फिर एक माँ को खोने का मलाल आज अपनी ज़िंदगी को अपनी मर्ज़ी मुताबिक़ जीने के लिए साहसी निर्णय सेवा निवृत्ति का अंतिम दिन. कल एक नई सुबह होगी नई दिशाएँ इंतज़ार करती बुलाएगी मुझे डाँवाडोल मन पर दिल के जज़्बात करता रहेगा अटखेलियाँ और... कदम कौन सी दिशा में ले जा

सलाम - पंकज त्रिवेदी

26 जून 2017
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बिखर गया था मैंपल-पल हज़ारों साल ! समेट लिया उसने पल-पल, हज़ारों सलाम ! *पंकज त्रिवेदी

पंक्तियाँ - पंकज त्रिवेदी

26 जून 2017
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कितना मासूम है अब भी वो ! दरकिनार करता रहता है वो ! ****************** वो सीढियाँ चढ़ रहा था देखते-देखते मेरी ओर...मैं रुक गया, वो अब भी चढ़ रहा है. पंकज त्रिवेदीतसवीर : कार्यक्रम में मंच पर जाते हुए - २०१५

व्यर्थ में - पंकज त्रिवेदी

25 जून 2017
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इंतज़ार रहता है तुम उसके अर्थ में और मैं व्यर्थ में ! *पंकज त्रिवेदी

पूनम का चाँद - पंकज त्रिवेदी

24 जून 2017
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नदीदो किनारेबहता पानीउजले कंकरदाने दाने सी रेतगोरा मुखड़ालरजती मुस्कान पूनम का चाँद *- पंकज त्रिवेदी

सत्य ही शाश्वत - पंकज त्रिवेदी

21 जून 2017
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सत्य ही शाश्वत है कुछ भी हो न जाएं कोई साथ दें न दें सत्त्व का जो साथ हैं खुद पे यकीन कर लो खुद ही बड़ा भगवान खुद माने तुम हो और तुम्हारी आत्मा परमात्मा ! *पंकज त्रिवेदी *(मेरे मित्र के लिए )

नियति - पंकज त्रिवेदी

21 जून 2017
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तुम्हारी नियति थी बिखरना मत कहो यही मुझे अखरतासमेटकर रख ली है सारी यादेंकोई कुछ भी करें नहीं बिखरनास्वाभिमान के गढ़ को तोड़ दिया उन्हीं को हमने देखा यूँ मुकरना *पंकज त्रिवेदी

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