शाम को आने मे थोड़ी देरीहो गयी उसकोघर का माहौल बदल चुकाथा एकदमवो सहमी हुई सी डरी डरीआती है आँगन मेहर चेहरे पर देखती हैकई सवालसुबह का खुशनुमा माहौलधधक रहा था अबउसके लिए बर्फ से कोमल हृदय मेदावानल सा लग रहा थावो खामोश रह कर सुनती है बहुत कुछऔर रोक लेती है नीर कोआँखो की दहलीज परपहुचती है अपने कमरे मेजह