कवि:- शिवदत्त श्रोत्रियजैसी हो वैसी चली आओअब शृंगार रहने दो|अगर माँग हे सीधीया फिर जुल्फे है उल्झीना करो जतन इतनासमय जाए लगे सुलझी<span style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: Georgia, Utopia, 'Palatino Linotype', Palatino, serif; font-size: 15.4px; line-height: 21.56px; background-color: rgb
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