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परिचय

20 जून 2022

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अपने नाम के अर्थ के अनुरूप ,अपने में प्रकाश,चमक  आशावादी तथा महत्वकांक्षी जैसे गुणों को  समेटे हुए मैंनें, ईश्वर के आशीर्वाद  से अर्जित अपने ज्ञान के  अंशो को  मन,मस्तिष्क परिस्थिति तथा अनुभव पर आधारित रोचक प्रभावी शब्दों  द्वारा निर्मित माला के कुछ मोतियों की चमक द्वारा  आप सभी के साथ इस विश्वास से सांझा करने का एक प्रयास किया है, जिससे मेरे इस प्रयास को पढ़, समाज तथा अपने से संबंधित जान प्रतेक पाठक परिस्थिति को वैसे ही महसूस कर पाए जिस भाव के अनुरूप उस रचना का उदगम हुआ है। 

दीप्ति की अन्य किताबें

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रचनाएँ
पंखुड़ियाँ एहसासों की
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नमस्कार दोस्तो,  जीवन में पुस्तकों के  महत्व को नकारा नहीं जा सकता। पुस्तकें ही एक ऐसा माध्यम है जिनमें  वर्णित अपने विचारों द्वारा  कोई भी लेखक या कवि बदलाव की लहर को जन्म दे सकता है। इतिहास साक्षी  है की कलम ने अपनी ताक़त को बखूबी साबित किया है। बड़े-बड़े महापुरुषों का भी यही कहना है कि जिसने अपने जीवन में पुस्तकों को महत्व दिया है या जो इनका सम्मान करता है। वहीं इंसान अपने जीवन को सरल तथा  अनुसरण योग्य बना सकता है। लेखिका  के तौर पर "एहसास की पंखुडियाँ " नामक पुस्तिका विभिन्न भावों को खुद में समेटे हुए स्वरचित कविताओं का संग्रह है जिसके अंतर्गत समाज, परिस्थितियों तथा अनुभवों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया गया है। पाठक अगर रचित कविताओं के साथ उसके अंतनिहित भाव से जुड़ाव महसूस कर पाए तो, इस पुस्तक की रचना  का मेरा उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा । दीप्ति शिक्षिका, लेखिका तथा ब्लॉगर
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परिचय

20 जून 2022
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अपने नाम के अर्थ के अनुरूप ,अपने में प्रकाश,चमक  आशावादी तथा महत्वकांक्षी जैसे गुणों को  समेटे हुए मैंनें, ईश्वर के आशीर्वाद  से अर्जित अपने ज्ञान के  अंशो को  मन,मस्तिष्क परिस्थिति तथा अनुभव पर आधारि

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ज़िंदगी की नाव

20 जून 2022
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ज़िंदगी की नाव पर ना जाने कितने सवार हैं। है,जीत से गदगद कोई ,कोई हार से बेज़ार है।। सीखता है कोई, गिर गिर के हर पल संभलना। बैठा है कोई ,डर के,जिसे हार नहीं स्वीकार है। चल रही है नाव जीवन की,लहर

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कौन क्या है?

20 जून 2022
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जन्म, प्रकृति का नियम मृत्यु,अमिट,अटल सत्य मानव,बुद्धिजीवी प्राणी समाज,मानव संगठन हार,एक  विराम सफलता,प्रगति का अनोखा पायदान विश्वास,जीवन का सहारा। अविश्वास, रिश्ते में लगने वाली दीमक खुशी,

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पेड़ बनकर सोचो

20 जून 2022
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पेड़ बनकर सोचो | पेड़ बनकर रहो |  पेड़ बनकर सहो | पेड़ बनकर कहो |  कैसा लगता है---  पूरी देह पर सैकड़ों  जाने -अनजाने  देशी-विदेशी  पंछियों का चहचहाना  और  उड़कर चले जाना  अनजानी दिशाओं में | 

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वो स्त्री है

20 जून 2022
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एक  काम से लौटकर वह दूसरे काम पर लौट जाती है। एक काम से मिली दिन भर की थकान को अपनी मुस्कान से वह दूसरे काम से हटा वो जाती है । एक काम में कुछ अलग रूप लिए वह दूसरे काम में खुद को तलाशती  रहती है

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दोस्त वह है

20 जून 2022
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दोस्त वह है  जो दिल में छुपी चुभन को महसूस करें । जो दिल में बसी ख्वाहिशों को समझे।  जो ना केवल जीवन के लिए जरूरी बल्कि मन में छुपे जरूरी एहसास को समझे। जो दे पटल बेझिझक  कुछ भी सांझा सकने का।

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मेरी माँ...

20 जून 2022
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मेरी माँ... मधुर स्पर्श का वो, पहला एहसास। अपनी ओर खिंचती पालने की वह डोरी। लाड़  के वो अनजाने चेहरे के भाव। अपनेपन से भरी वह गोद। सबसे सुन्दर होने का एहसास दर्शाती  वो आँखें । अपने को भूल मु

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बहन है वो

20 जून 2022
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बहन है वो। माँ  का लाड देख वैसे ही लाड जो भाई से लड़ाए बहन है वो। पापा को अपने लाड से जो भाई की ख्वाहिशों के लिए मनाए  बहन है वो। छोटा हो या बड़ा हो भाई जो उसके पीछे छोटी सी बन छुप जाए । बहन

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तो कैसे मुमकिन है?

20 जून 2022
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आसमान को भी क्या किसी ने बुलंदी से रूबरू करवाया ? हवा का रुख क्या कोई है बदल पाया?   नदी के प्रवाह को राह क्या कोई है दिखा पाया? रोशनी से सूरज को क्या कोई है मिलवा पाया ? धरती के बोझ का कोई अं

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बिगड़ जाओ अगर बिगड़ना पड़े

20 जून 2022
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बिगड़ जाओ अगर बिगड़ना पड़े कुछ हासिल करने के लिए । बिगड़ जाओ अगर बिगड़ना पड़े मुकाम कोई अनोखा हासिल करने के लिए । बिगड़ जाओ अगर बिगड़ना पड़े  दुनिया को अपना जज्बा दिखाने के लिए । बिगड़ जाओ घर

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सन्नाटा

20 जून 2022
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सन्नाटा शोर में भी किया पल के भी हर पल में महसूस। एहसास कचोट कर बैठ गया खुद को मान दिल में मेरे महफूज़ ।। भाव से भरा चेहरा भी अनकहा सा किया महसूस । पर दिल के कोने में एक खौफ को रख बैठे महफूज ।। छ

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नारी

20 जून 2022
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देश को विकसित करना है तो, नारी को विकसित  करना होगा। देश  को मज़बूत  करना है तो, नारी को मजबूत करना होगा। देश के लिए  निर्णय लेना है तो , नारी को सशक्त  करना होगा। देश को दिशा देनी है तो,नारी को

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सपना

20 जून 2022
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वह जो ,रात को सोने नहीं देता । वह जो ,सपने कोई और देखने नहीं देता । वह जो ,कदमों को कहता है चल उसी दिशा में।  वह जो ,चलते फिरते मुमकिन हुआ सा लगता है।  वह जो, ध्यान को कहीं और भटकने नहीं देता।

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मतदान

20 जून 2022
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मत देने को , हो जाओ सहमत। मत ही बदल सकेगा, राष्ट्र की किस्मत।। मत शब्द है छोटा, पर प्रभावी। मत के महत्व से वाकिफ़ हैं सभी अनुभवी।। मत बताता है, देश का रुख क्या होगा? जो छूट  गया लक्ष्य पीछे वो

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दिन वो भी थे......❤

20 जून 2022
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जब साल के आखिरी दिन को हम परिवार के संग मनाते हैं। जब मम्मी, माँ ,बड़ी माँ ,बुआ और दादी पकौड़े  सब मिल बनाते थे। मूँगफली  ,गजक ,मक्की के दाने सामने रखे हमें खाने को उकसाते थे । स्कूल का होम

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वीर सैनिक

20 जून 2022
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दिल में जुनून  आँखों में देशभक्ति की चमक रखता है।  दुश्मन भी सहम जाए आवाज में इतनी धमक रखता है।। वार पीठ पर करता नहीं वो वीर कभी। खाता सीने पर दुश्मनी की गोली वो सभी।।  मजा क्या है ,फौजी बनकर

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ताकत रेडियो की

20 जून 2022
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मारकोनी ने  पत्थर फेंका पानी में । उठी तरंग छा गई लहर फिर पानी में ।। सोचा ,जल में तरंग गर उठ सकती है । तो मानव बोली में भी तरंग  कमाल कर सकती है।। दौडाए दिमाग के घोड़े ,कर डाला रेडियो का आविष

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हम और वो

20 जून 2022
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हम और वो शब्द आज सोच को सोच में डाल गए । कहने को दो शब्द पर ,भाव  को अधर में ही उलझा गए ।। हम ,कहता है साथ है एक दूजे का देने को तैयार। पर वो,कहता है हम हमसे दूर खड़े हैं बना एक कतार ।। हम ने

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प्यार वो है

21 जून 2022
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प्यार वो है, जो देता है एहसास। प्यार वो है, जो पूरी करता है  हर आस। प्यार वो है, कराता  है मह्सूस हमें  खास। प्यार वो है,जो हमारे साथ वक़्त-बेवक़्त है खड़ा। प्यार वो है, हमारे लिए  बिन सोचे ही है

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इन्तज़ार

21 जून 2022
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हर पल पर अपनी अनचाही रोक  सी लगा जाता है। हर साँस को थमा सा जाता है । सोच को ठहराव से मिलवा जाता है । सही गलत में द्वंद का करा जाता है । असहाय सा दर्द दिल को दे जाता है । छुपे भाव को बेपर्दा

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वजूद

21 जून 2022
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वजूद अपना खुद बनाना पड़ता है। हौसले को बुलंद बनाना पड़ता है। चाहते हो गर मुकाम करना हासिलअनोखा तो शिला को इरादों से ही हटाना पड़ता है।। वजूद अपना खुद बनाना पड़ता है । दिन को रात, रात को दिन स

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शिक्षक

21 जून 2022
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मान जग में शिक्षक ने दिलवाया। जीवन को जीवन से मिलवाया। ज्ञान करा कर क,ख, ग का। जीवन पथ का राह दिखाया।। शिक्षक ऐसी बाती है, जो रूह को दिशा दिखाती है। है असीम महिमा शिक्षक की, जन्म-जन्मांतर

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बाल विवाह

21 जून 2022
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सुना मैंने कविता और कथाओं में । धर्मों में अपने और अपनी परंपराओं में ।। मैं ही कन्या ,मैं ही लाडली। मैंने ही हर रिश्ते में खुशियाँ  डाली।। पर कैसा अजब यह नियम बनाया। मुझ कोमल फूल को पल-पल

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गर भूलना इतना आसान होता तो

21 जून 2022
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गर भूलना इतना आसान होता  तो, जन्म देकर माँ  भूल जाती। बहन राखी का बन्धन भूल जाती। भाई, बहन की दिया वादा भूल जाता। व्रत रखकर  इन्सान ,खाना भूल जाता।। मौन व्रत रखने वाला , बोलना भूल जाता। लिख

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कैसे कर पाओगे/आखिर कैसे?

21 जून 2022
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खो दिया एक बार तो फिर उसे कैसे फ़िर  पाओगे? पा भी गए अगर तो उससे कैसे निभाओगे? निभाने के लिए हौसला फिर कहाँ से लाओगे ? हौसले को इतना बुलंद कैसे बनाओगे? बुलंदियों पर चढ़े उस रिश्ते को ज़हन में कै

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जन्मदात्री ही न समझी तो समझेगा कौन?

21 जून 2022
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व्यथा दर्द में लिपटी बेटी की वो हीना समझी तो ,समझेगा कौन ? अंश से वंश की दिशा दिखाने वाली न समझी तो, समझेगा कौन??  सही -गलत का ज्ञान कराने वाली न समझी तो, समझेगा कौन? सुख संताप का भेद बताने वाल

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कोख

21 जून 2022
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बच्ची ,कोख में घूम यह सोचे.. क्या ,दुनिया बाहर भी अंदर जैसी ही है? क्या ,वहाँ  माँ की कोख जैसी ममता की गर्माहट है? क्या ,मेरी माँ की आवाज़ की बाहर की आहट है? क्या ,बाहर की दुनिया भी मेरी माँ के

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बेवजह

21 जून 2022
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बेमतलब की होड़ में लगे हैं लोग, बेवजह । खुद को महान दूसरे को नीचा दिखाने का मकसद लिए बैठे हैं लोग ,बेवजह। मतलबी हो इंसानियत को भूलते जा रहे हैं लोग ,बेवजह। दिल की खूबसूरती को दुतकारने में लगे है

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बेटियाँ

21 जून 2022
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बेटियाँ निखारती है ,माँ का रूप । बेटियाँ  बन जाती है ,माँ का प्रतिरूप बेटियाँ फूल सी कोमल,चट्टान सी मजबूत  हैं  । बेटियाँ वो हैं जिनसे टिका  हम सभी का वजूद है। बेटियाँ हमदर्द है, हमारी पहली।

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है वो बेजुबान , फिर भी समझता है...

21 जून 2022
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है वो बेजुबान पर, फिर भी समझता है, आँखों की भाषा । शब्दों से अनजान होकर भी, सोच की परिभाषा ।। समझता है कदम-कदम में छिपे मेरे भाव। महसूस जो करूँ वह, अनदेखा अभाव।। समझता है आँखों की पुतलियों त

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आँखें

21 जून 2022
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वो देखती भी हैं,वो सहती  भी हैं। शब्दों के बिना वो हर क्षण कुछ कहती भी हैं।। नज़ारों  की अताह  गहराई भी है उसमें । अनुभवो  की असीमित  दुनिया है उसमें ।। बेज़ुबान की ज़ुबाँ है वो । कह सकने वालों

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शर्तों पर क्यूँ?

21 जून 2022
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मिलता सब कुछ है हमें पर, शर्तों पर क्यूँ? सोचने की इजाजत है हमें पर, शर्तों पर क्यूँ? ख्वाब दिन और रात में आ सकते हैं हमें पर, शर्तों पर क्यूँ ? बात कहने का बक्शा है एहसास हमें पर, शर्तों पर क्

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