एक काम से लौटकर वह दूसरे काम पर लौट जाती है।
एक काम से मिली दिन भर की थकान को अपनी मुस्कान से वह दूसरे काम से हटा वो जाती है ।
एक काम में कुछ अलग रूप लिए वह दूसरे काम में खुद को तलाशती रहती है ।
एक काम पर सभी को सजाती- संवारती दूसरे काम में वो खुद को खोजती रहती है।
एक काम में ऊँचाइयों पर अपना मुकाम हासिल कर दूसरे काम में धरा पर अपना अस्तित्व वो खोजती रहती है।
एक काम पर मिली मुस्कान को दूसरे काम पर जिम्मेदारी के बोझ तले वो दबा जाती है ।
एक काम पर झेले दर्द को दूसरे काम पर खुशियाँ बाँट वो भुल सी जाती है ।
एक काम की दूसरे काम से तराजू पर नापतोल को सही बैठा वो जाती है ।
एक काम में महसूस किए उतार-चढ़ाव की दूसरे काम में झलक तक भी ना दिखलाती है ।
एक काम के चौबीस घंटो का ,दूसरे काम के चौबीस घंटे से तालमेल बिठा वो जाती है।
एक काम से मिली थकावट को दूसरे काम में चुस्ती फुर्ती में बदल वो जाती है।
जानते हो किस नाम से पहचानी है वो जाती?
सही पहचाना
वह स्त्री है जो एक काम से लौटकर दूसरे काम पर फ़िर से लौट जाती है।