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परिवारवाद

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लोकतांत्रिक व्यवस्था को विस्तार और परिभाषित करने की आज की व्यवस्था में कोई आवश्यकता नहीं हैं। अगर लोकतंत्र सात दशक आज़ादी की आबोहवा में पंख फड़फड़ाने के बाद भी वर्तमान दौर में जातिवाद, परिवारवाद, और तमाम सामाजिक कुरीतियों की साया से आज़ाद नहीं हो सका, तो उसके लिए जिम्मेवार लालफीताशाही भी हैं, क्योंकि अग

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