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पता नही

4 सितम्बर 2021

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पता नहीं वो कैसे लोग थे
किसीने की हुई एक मदद के लिये
जनमभर क्रुतज्ञ रहते थे......

देखती हू मैं आज के लोगोंको
सुबह की हुई मदद शाम होने तक भूल जाते है


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Suwarta

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धन्यवाद सर

4 सितम्बर 2021

4 सितम्बर 2021

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4 सितम्बर 2021
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<div>पता नहीं वो कैसे लोग थे</div><div>किसीने की हुई एक मदद के लिये</div><div>जनमभर क्रुतज्ञ रहते थे

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कमी कविता

4 सितम्बर 2021
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<div>कमी मुझे बस ईतनीसी है</div><div><br></div><div>की मुझमे कोई कमी नहीं है....</div><div><br></div

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क्या तुम्हे मेरी याद आती है

4 सितम्बर 2021
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<div>तेज हवा की सरसराहट से जब</div><div>पेड से पत्ते गिरते है.........</div><div><span style="font-s

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पेड कविता. (मेरी ये कविता अपने घर के बुजुर्ग लोगोंके लिये है.जो हमे छॉंव देते है.लेकीन एक वक्त ऐसा आता है की वो हमे बोझ लागते है.हम सबको वक्त देते है.बेजान मोबाईल मे इस तरह खो जाते है,की जिन्होने हमे बडा किया,उन्ही से बात करना छोड देते है.उनके सुख दुःख पुछना भुल जाते है.उन्हे भी तो हमारे प्यार की जरुरत होती है.ये पेड की उपमा मैने घर के ही बुजुर्ग लोगोंको दी है.

8 सितम्बर 2021
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<div>यू तो देखा है हर किसी ने पेडों को</div><div><br></div><div> प्यार से सबको अपनी छॉंव

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दर्द

15 सितम्बर 2021
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<div>हाथ मे चुभती सुई सिरिंज का </div><div>दर्द जब सेहेन नहीं हुवा</div><div>तब दिल ने कहा&nbsp

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