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पेड कविता. (मेरी ये कविता अपने घर के बुजुर्ग लोगोंके लिये है.जो हमे छॉंव देते है.लेकीन एक वक्त ऐसा आता है की वो हमे बोझ लागते है.हम सबको वक्त देते है.बेजान मोबाईल मे इस तरह खो जाते है,की जिन्होने हमे बडा किया,उन्ही से बात करना छोड देते है.उनके सुख दुःख पुछना भुल जाते है.उन्हे भी तो हमारे प्यार की जरुरत होती है.ये पेड की उपमा मैने घर के ही बुजुर्ग लोगोंको दी है.

8 सितम्बर 2021

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यू तो देखा है हर किसी ने पेडों को

 प्यार से सबको अपनी छॉंव  देते हुये...
.
हम ने तो देखा है उन दरख्तोंको भी 

अपनोंकी याद में होते हुये...

आशा तो सब करते है पेडोंसे छॉंव की

मगर क्या किसीने जाना है

उन्हे भी जरूरत होती है प्यार से सिंचने की.....

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बेहद खूबसूरत और सटीक 💐👌☺️

15 सितम्बर 2021

SMT. VIMLESH SHRIVASTAVA

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बहुत सुंदर रचना

8 सितम्बर 2021

Suwarta

Suwarta

Thank you

8 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

बहुत बढ़िया👏✊👍

8 सितम्बर 2021

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पेड कविता. (मेरी ये कविता अपने घर के बुजुर्ग लोगोंके लिये है.जो हमे छॉंव देते है.लेकीन एक वक्त ऐसा आता है की वो हमे बोझ लागते है.हम सबको वक्त देते है.बेजान मोबाईल मे इस तरह खो जाते है,की जिन्होने हमे बडा किया,उन्ही से बात करना छोड देते है.उनके सुख दुःख पुछना भुल जाते है.उन्हे भी तो हमारे प्यार की जरुरत होती है.ये पेड की उपमा मैने घर के ही बुजुर्ग लोगोंको दी है.

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<div>यू तो देखा है हर किसी ने पेडों को</div><div><br></div><div> प्यार से सबको अपनी छॉंव

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