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༺❖︎❖︎पवन का झोंका❖︎❖︎༻

7 जनवरी 2022

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मैं हूं एक पवन का झोंका,
अपनी मस्ती की धुन में खोया...
मुसाफिर हूं मैं मस्त मौला,
घूमता रहता हूं डाल डाल पर...
फूलों की पत्तियों को छु कर,
गली मोहल्लों में द्वार-द्वार...
धूल,तिनके,उष्मा,आर्द्रता,शीतलता,
समाहित कर खुद में,
सभी दिशाओं में अनवरत बहता....
बिना किसी फिकर ,
बड़ा ही निडर....
ना इच्छा किसी की,
ना आशा किसी की...
झूमता चलता हुँ,
शाखाओं पर झूलता चलता हुँ...
गेहूं की बालियों पर लहराता,
बादलों को अपने साथ बहाता...
सरसों के खेतों से गुजरता,
पेड़ों के फलों को छूता...
कानों को गुदगुदाता,
राही को आराम देता...
बरसों से, युगों से,
कभी जीवन देता...
कभी आंधी बनकर
वृक्षों को उखाड़ता...
मदमस्त हाथी सा रौंदकर,
कभी शांत हुँ कभी रौद्र बनकर...
समीर, वात,अनिल, मारुत,
पवमान, प्रभंजन, प्रवात,
अनेक नाम मेरे...
आंधी तूफान चक्रवात
अनेक रूप मेरे...
बिना किसी परवाह के...
मैं बेपरवाह मुसाफिर घूमता रहता हूं....
मैं हूं एक पवन का झोंका...
मैं हूं एक पवन का झोंका....
𝕎𝕣𝕚𝕥𝕥𝕖𝕟 𝕒𝕟𝕕 𝕔𝕠𝕡𝕪𝕣𝕚𝕘𝕙𝕥 
𝕓𝕪 𝕧𝕚𝕕𝕦𝕤𝕙𝕚 𝕄𝕒𝕝𝕡𝕒𝕟𝕚
𝕂𝕙𝕒𝕟𝕕𝕨𝕒 𝕞𝕡 ❤

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रचनाएँ
तत्व
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प्रकृति के तत्वों से बना है शरीर जिसका आधर ही पंच तत्व है देखा जाए तो इन पाँच मुख्य तत्वो के आलावा और भी तत्व है जो इन तत्वों के ही दूसरे रूप है जैसे जल तत्व का दूसरा रूप है बर्फ जैसे आग से बनी है राख या आग की तरह जलता सूरज जैसे आकाश का अंग है बादल जो जल तत्व से बना है जैसे वायु मे गैसे जैसे आग से बना ज्वालामुखी जो ठंडा हो कर मिट्टी का स्वरुप चट्टान बन जाता है मैं अपने नजरिए के अनुसार इन्हें तत्वो के उपतत्व कहती हूँ और वास्तव में इन उपतत्वो के बिना भी जीवन उतना ही असंभव है जितना पंच तत्वों के बिना। मेरा ये संकलन जीवन के आधर पंच तत्व और उनके उपतत्वो पर आधारित कविताओं का है आप सब जरूर पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देवें हर दिन शाम 07:00 पर इस संकलन मे नयी कविता शेयर की जाएगी ☺️🙏
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★⋆⋆⋆सिर्फ मिट्टी⋆⋆⋆★

2 जनवरी 2022
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<div><span style="font-size: 1em;">इस जहान में सब कुछ मिट्टी है,</span><br></div><div>यह कहीं रोड़ी है कहीं गिट्टी है....</div><div>यही जीवन के रीड की हड्डी है,</div><div>यहां सब कुछ मिट्टी हैं...</di

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༺❖︎❖︎पवन का झोंका❖︎❖︎༻

7 जनवरी 2022
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मैं हूं एक पवन का झोंका,अपनी मस्ती की धुन में खोया...मुसाफिर हूं मैं मस्त मौला,घूमता रहता हूं डाल डाल पर...फूलों की पत्तियों को छु कर,गली मोहल्लों में द्वार-द्वार...धूल,तिनके,उष्मा,आर्द्रता,शीतलता,समा

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****अडिग आकाश****

7 जनवरी 2022
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कितना सुंदर दिख रहा है आकाश,कहीं लाल है तो कहीं पीला....कहीं पर काला उजला,कहीं पर मटमेला नीला.... अपने अंदर समाये चांद की चांदनी को,सूर्य के ताप और गर्मी को....अनंत ऊंचाइयों को,बादलों की नरमी को.

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