कितना सुंदर दिख रहा है आकाश,
कहीं लाल है तो कहीं पीला....
कहीं पर काला उजला,
कहीं पर मटमेला नीला....
अपने अंदर समाये चांद की चांदनी को,
सूर्य के ताप और गर्मी को....
अनंत ऊंचाइयों को,
बादलों की नरमी को....
तारों की झिलमिलाहटों को,
सफेद काले बादलों के अम्बारों को....
नक्षत्रों और ग्रहों को,
सृष्टि के नियमों को.....
तेरी शुन्यता में ब्रह्मांड की संपूर्णता,
तेरे ऊंचाइयों से सजती धरती की सुंदरता...
देखो पक्षियों के झुडों को,
आकाश को सजाते बादल की अठखेलियां को....
अनंत दूरी तक सभी दिशाओं में,
खूबसूरती बिखेरता आकाश...
चंचलता समाहित किए हुए सदा से स्थिर,
निर्भय निश्चल अडिग आकाश....
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Written and copyright
by vidushi malpani💙