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****अडिग आकाश****

7 जनवरी 2022

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कितना सुंदर दिख रहा है आकाश,
कहीं लाल है तो कहीं पीला....

कहीं पर काला उजला,
कहीं पर मटमेला नीला.... 

अपने अंदर समाये चांद की चांदनी को,
सूर्य के ताप और गर्मी को....

अनंत ऊंचाइयों को,
बादलों की नरमी को....

तारों की झिलमिलाहटों को,
सफेद काले बादलों के अम्बारों को....

नक्षत्रों और ग्रहों को,
सृष्टि के नियमों को.....

तेरी शुन्यता में ब्रह्मांड की संपूर्णता, 
तेरे ऊंचाइयों से सजती धरती की सुंदरता...

देखो पक्षियों के झुडों को,
आकाश को सजाते बादल की अठखेलियां को....

अनंत दूरी तक सभी दिशाओं में,
खूबसूरती बिखेरता आकाश...

चंचलता समाहित किए हुए सदा से स्थिर,
निर्भय निश्चल अडिग आकाश....
***************************************

Written and copyright 
by vidushi malpani💙

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रचनाएँ
तत्व
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प्रकृति के तत्वों से बना है शरीर जिसका आधर ही पंच तत्व है देखा जाए तो इन पाँच मुख्य तत्वो के आलावा और भी तत्व है जो इन तत्वों के ही दूसरे रूप है जैसे जल तत्व का दूसरा रूप है बर्फ जैसे आग से बनी है राख या आग की तरह जलता सूरज जैसे आकाश का अंग है बादल जो जल तत्व से बना है जैसे वायु मे गैसे जैसे आग से बना ज्वालामुखी जो ठंडा हो कर मिट्टी का स्वरुप चट्टान बन जाता है मैं अपने नजरिए के अनुसार इन्हें तत्वो के उपतत्व कहती हूँ और वास्तव में इन उपतत्वो के बिना भी जीवन उतना ही असंभव है जितना पंच तत्वों के बिना। मेरा ये संकलन जीवन के आधर पंच तत्व और उनके उपतत्वो पर आधारित कविताओं का है आप सब जरूर पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देवें हर दिन शाम 07:00 पर इस संकलन मे नयी कविता शेयर की जाएगी ☺️🙏
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★⋆⋆⋆सिर्फ मिट्टी⋆⋆⋆★

2 जनवरी 2022
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<div><span style="font-size: 1em;">इस जहान में सब कुछ मिट्टी है,</span><br></div><div>यह कहीं रोड़ी है कहीं गिट्टी है....</div><div>यही जीवन के रीड की हड्डी है,</div><div>यहां सब कुछ मिट्टी हैं...</di

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༺❖︎❖︎पवन का झोंका❖︎❖︎༻

7 जनवरी 2022
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मैं हूं एक पवन का झोंका,अपनी मस्ती की धुन में खोया...मुसाफिर हूं मैं मस्त मौला,घूमता रहता हूं डाल डाल पर...फूलों की पत्तियों को छु कर,गली मोहल्लों में द्वार-द्वार...धूल,तिनके,उष्मा,आर्द्रता,शीतलता,समा

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****अडिग आकाश****

7 जनवरी 2022
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कितना सुंदर दिख रहा है आकाश,कहीं लाल है तो कहीं पीला....कहीं पर काला उजला,कहीं पर मटमेला नीला.... अपने अंदर समाये चांद की चांदनी को,सूर्य के ताप और गर्मी को....अनंत ऊंचाइयों को,बादलों की नरमी को.

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