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★⋆⋆⋆सिर्फ मिट्टी⋆⋆⋆★

2 जनवरी 2022

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इस जहान में सब कुछ मिट्टी है,
यह कहीं रोड़ी है कहीं गिट्टी है....
यही जीवन के रीड की हड्डी है,
यहां सब कुछ मिट्टी हैं...

यही अंकुर है यही शक्ति है,
यह मिट्टी ही जीवन की उत्पत्ति है...

यही है सृजन करता,
यही रूह का अंत भी...

यह शून्य भी है और अंत भी,
यह आदि है और अनंत भी...

यही जड़ है और जड़ की चेतना भी,
यही है पत्ती फूल और तना भी...

यही अकाल है बर्फ है और पाला भी,
झेलती है बारिश और ओला भी....

कहीं सुखी है कहीं गीली भी,
कहीं सीधी है कहीं पथरीली भी...

यही अन्नदात्री यही जन्मदात्री भी,
और यह मिट्टी मुक्तिदात्री भी...

दबी हुई है बोझ तले,
जिसमें हर प्राणी पले....
इसमें दफन होते हैं शरीर,
और इसी से पैदा होने वाली लकड़ी से जले...

इसने तो सिर्फ बनाया इंसान था,
हमने मानचित्र बना दिया....
इसने बनाए थे वृक्ष,
हमने वनो को काट दिया....

सबका आधार यही है,
सबका आकार यही है...
इसी पर बढ़ते हैं हम,
हर पल जीवन बरकरार रख रही है....

पर जाने किस दौड़ में भागे जा रहे हैं मानव,
किसी के मन में रुकने की इच्छा कहां है....
दूषित करते जा रहे हैं प्रकृति को,
प्रकृति को बचाने का प्रयास कहां है....

अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर,
किसी को फर्क पड़ता ही कहाँ है....
खनिजों के दोहन के बाद,
मानव मिट्टी के बारे में सोचता है कहां है....

आखिर यह बस मिट्टी ही तो है,
पैरों के नीचे रहने वाली धूल...
सिर्फ मिट्टी....
★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★⋆★

कॉपीराइट एवं लेखिका - विदुषी मालपानी "वीणा" 

Vidushi की अन्य किताबें

3 जनवरी 2022

Vidushi

Vidushi

7 जनवरी 2022

धन्यवाद जी

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत शानदार लेखन💐💐

3 जनवरी 2022

Vidushi

Vidushi

7 जनवरी 2022

शुक्रिया 😊🌷

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रचनाएँ
तत्व
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प्रकृति के तत्वों से बना है शरीर जिसका आधर ही पंच तत्व है देखा जाए तो इन पाँच मुख्य तत्वो के आलावा और भी तत्व है जो इन तत्वों के ही दूसरे रूप है जैसे जल तत्व का दूसरा रूप है बर्फ जैसे आग से बनी है राख या आग की तरह जलता सूरज जैसे आकाश का अंग है बादल जो जल तत्व से बना है जैसे वायु मे गैसे जैसे आग से बना ज्वालामुखी जो ठंडा हो कर मिट्टी का स्वरुप चट्टान बन जाता है मैं अपने नजरिए के अनुसार इन्हें तत्वो के उपतत्व कहती हूँ और वास्तव में इन उपतत्वो के बिना भी जीवन उतना ही असंभव है जितना पंच तत्वों के बिना। मेरा ये संकलन जीवन के आधर पंच तत्व और उनके उपतत्वो पर आधारित कविताओं का है आप सब जरूर पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देवें हर दिन शाम 07:00 पर इस संकलन मे नयी कविता शेयर की जाएगी ☺️🙏
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༺❖︎❖︎पवन का झोंका❖︎❖︎༻

7 जनवरी 2022
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मैं हूं एक पवन का झोंका,अपनी मस्ती की धुन में खोया...मुसाफिर हूं मैं मस्त मौला,घूमता रहता हूं डाल डाल पर...फूलों की पत्तियों को छु कर,गली मोहल्लों में द्वार-द्वार...धूल,तिनके,उष्मा,आर्द्रता,शीतलता,समा

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****अडिग आकाश****

7 जनवरी 2022
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कितना सुंदर दिख रहा है आकाश,कहीं लाल है तो कहीं पीला....कहीं पर काला उजला,कहीं पर मटमेला नीला.... अपने अंदर समाये चांद की चांदनी को,सूर्य के ताप और गर्मी को....अनंत ऊंचाइयों को,बादलों की नरमी को.

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