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फूल का मुस्कराना

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एक बगिया में लगे थे हजारों फूलमुस्कराकर हवा के साथ रहे थे झूलले रहे थे वो सभी अपने यौवन का आनन्दऔर मादक खुशबू फैलाने में थे मशगूल।गुजरता है कवि "दीप" वहां सेऔर पास जाकर पूछता है फूल सेक्यों मुस्कराए ज

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