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पिरामिड

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"पिरामिड"जीस्वादमन कालो खजूरपौष्टिक धारीप्रतिरोधकतारस में मादकता।।जीचखोहजूरखजूर हैगर्म तासीरलाल गुच्छ धारीऔषधि गुणकारी।।महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी

"पिरामिड"येहवाबदरीओस गिरीठंडक बढ़ीभीगता है पानीबरसे है कंबल।।वोखड़ीदीनतादुर्बलताकाँपती ठंडमाथे पै लकीर सिहरा क्या अमीर।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

"पिरामिड"येबीजफसलखलिहानथका किसानपहनता खादओढ़ता व्याज कर्ज।।हैप्याजकीमतीउगती हैउफनती हैथाली में मेवातीमहँगाई मार जाती।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

"पिरामिड"क्याहुआसहाराबेसहाराभूख का मारालालायित आँखनिकलता पसीना।।-1हाँचोरसिपाहीसहायतापक्ष- विपक्षअपना करमबेरहम मलम।।-2महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

"पिरामिड"वो रीतिप्रतीतिपरंपराज्ञान अक्षरासकुचाती गईक्यों छोड़कर जाती।।-1वोशुद्धदीवालीप्रतिपालीजीवन शैलीबदलती ऋतुनव फूल खिले हैं।।-2महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

"पिरामिड" वोलंकारावणमंदोदरीसीता हरणजंगल भ्रमणदशानन दहन।।-1वोप्रणप्रणामक्षमादानलंकेश वधआदर्श चलनमाँ जानकी रहन।।-2महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”रे हवा बदरी आसमान साँझ विहान पावस रुझान घटता तापमान॥-१ रीबाढ़ निगोरी भीगी ओरीरूप अघोरीपागल बदरी गिरा गई बखरी॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”ये ड्रामा देख लो रोती आँखहँसता दिल खेल रहे मिल सजी है महफ़िल॥-१ क्या हुआ पुराना अभिनय प्रेम विनय यादों को जगाता कला मंच लुभाता॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”वो वहाँ तत्पर बे-खबर प्रतीक्षारत मन से आहतप्यार की चाहत आप यहीं बैठे हैं॥-१ है वहाँ उद्यत आतुरता सहृदयितानैन चंचलता विकल व्याकुलता-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”वो गया समय बचपन लौट न आए मन बिछलाए झूला झूले सावनी॥-१ ये वक्त बे-वक्त शरमाना होठ चबाना उँगली नचानाप्रेमी प्रेम दीवाना॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”ये हवा हवाई पुरवाई नैना लगाई उड़ते विमान मुट्ठी में आसमान॥-१वो उड़ा जहाज लहराया दिल डराया सिर फिरा गिरा बादल घहराया॥-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”है सुखनगर बिनाघरकिरायेदार आनंदातिरेक प्रलोभन प्रत्येक॥-१है छद्म छलावाहर्षोत्कर्ष कल उत्कर्ष हृदय कस्तुरी वन नाचे मयूरी॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”हो गई बेगानी रातरानी मंद खुशबू महकाती गलीसूखने लगी कली॥-१ हो गया बेगाना अनजाना नया बहानादिल का चुराना मत शोर मचाना॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”ये आँसूविलापभावनाएंघिरे बादलहृदय घायलटप टप टपके।।-१येवक्त विदाई शहनाईहल्दी लेपनसिंदूर सौभाग्यहर्ष रुदन कंठ।।-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”दो रोटी दो जून सूखी सूखी रखती भूखी पकड़े है पेट आंटा चक्की की भेंट॥-१ ये गर्मचपाती दादा नाती स्त्री अहिवाती घर संसार है रसोई दुलार है॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”वो भीरु हिरण भोला भालानैन निराला भल मृगछाला कोमल दिल वाला॥-१है पशु सियारहोशियार अति कायर लालच लाचार शिकार का शिकार॥-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”ये पीर पराई असमाई बदरी छाई कड़की बिजली घिर आफत आई ॥-१दे पीड़ा पतित छद्म घातघृणित बात अशुद्ध विचार किसका अधिकार॥-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”खा खाना सु स्वाद अपवाद नशा खराब जहर जुलाब छोड़ लत तंबाकू ॥-१ न स्वाद सुंदर घास पूससूखी पत्तियाँतलब तंबाकू दुर्गंध थूक फाकू॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड” ये चित्र चमक रंग अंग नभ दर्शन दृश्य आकर्षण सोलह शृंगार है॥-१ ये धुन मल्हार ऋतुराज दमक साज खटके किवाड़ बसंत बहार है॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

“पिरामिड”ये नींव खोखलीअंदर से हिलता खंभा बहुत अचंभा प्यारी अप्सरा रंभा॥-१ ये जड़ चेतनाअंकुरण राग वैरागचिंतन स्फुरण अंदर तक जाते॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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