“पिरामिड”ये सीमा भारत पाकिस्तानसमझौता है बटवारा हुआ असंतोष क्यों है॥-१ ये हद बहाना उलंघनअतिक्रमण नाजायज हठधूर्त छल कपट॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पिरामिड” येझंडातिरंगामाँ भारतीकरूँ आरतीनमन वंदनभाल भाल चंदन।।-१रे वीरात्रैरंगानभ छायागर्वित शायाअंग रंग चक्र हरा केशरी शुभ्र।।-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पिरामिड”क्यों स्तब्धहो गया नादान है उसे समझ वो उलझन है विस्मित्त करती है॥-१ जा हस्र देखना समझना परखना भी आश्चर्यचकितकरती है ललना॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पिरामिड”रे गुँजाबावरी मदमातीउन्मुक्त बाँदी घुँघराले बाल लहराए नागिन॥-१ रे गुँजाभ्रामरी सुनयना घुँघची अलीमनचली गलीनव खेल खिलाती॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पिरामिड”क्यों सभी सजाते खड़कातेबर्तन भाँड़ेरोटी सब्जी दाल महकती थाली क्या॥-१ये जग वो मग पानी रखें प्यास बुझाएँ किसका आँगन प्रिय पात्र साजन॥-२ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“पिरामिड”हैं दीप माटी के कलाकारीचलता चाक शुभ दीपावली गर्व प्रकाश पर्व॥-१ये तेलरोशनी दिया बाती सखा संगाती मलाई मिठाई रंगोली सुंदर है॥-२महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"पिरामिड" (1) ये चोटी शिखर हिमालय गगन चुम्बी पर्वत मालाए रक्षा सीमा प्रहरी।। (2) ये शीर्ष पहाड़ रमणीय सुंदर छवि झरते झरना अतीव लुभावना।। महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
"पिरामिड" (1) ये भूख भरम विलासिता धर्म की छाँव है जश्ने बहार भीड़ अपरंपार।। (2) ये कुंठा कल्पना दुष्ट स्वभाव कलुषित राह छलनी हुई श्रद्धा।। (3) रे मन मूरख आँखे खोल लालच छोड़ साधु मंशा स्नेह रूप बहुरूपिया।। (4) न बना घरौंदा अंधे कूप विषैले सांप बिगड़ता पानी जन्म जीव मंथन।। (5) ये जेल सलाखे दंड मिला कै
“पिरामिड”ले रंग तिरंगाहरियालीकेशर क्यारी शुभ्र नभ धानी लहराया बादल॥-१ वो उड़ा गगनप्यारा झंडाध्वनि गुंजन चक्र सुदर्शनभारत उपवन॥-२महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी
“पिरामिड” वो देखो पतन चित्त पट्टशय औ मात अहं टकराया निशान छोड़ गया॥-१ क्या खूब दाँव है दबोच लोशिकार मिला जाल तैयार है धागे कमजोर हैं॥-२ ये दृश्य दर्शन विसर्जन श्री गणेशाय माटी मोह मूर्ति पूजा पाठ आराध्य..3 दो मत बे-मत खटपट घर बिगड़ा टूटा आशियाना मिल गया बहाना॥-४ जो
“पिरामिड”(१)वेखड़े पहाड़ भीग रहे दरक गए बरखा बौछारबह रहा गुमार॥(२) ये बाढ़ बहाव पानी पानी टपके नैन छत न छप्परनदी तलाव घर॥ महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी
“पिरामिड” (1) ये हवा बदरी पुरवाई चित चोर ना आलस छाया है मौसम बौराया है॥ (2) छा रही बदरी वर्षा ऋतु काली घटा है सजन कहाँ है बादल गहराया॥ (3) हे तुम निर्मोही भूल गए घर बखरी भौंरा बन घूमें मन सौतन लागे॥ (4) ये मैना भीगे है घोसल
“पिरामिड”(१)नकोई खिलौना तोड़े फोड़े दिल दर्पण मिलते जुलते जो टूटे जुड़े नहीं॥(२ये बच्चे घर में खिलौना है बचपना हैउछल कूदना उम्र अल्हणपन॥महातम मिश्र
“पिरामिड”(१)ए भाई तनिक मुझे सुनो प्यासा हुआ हूँ दो घूंट पानी दो पेड़ की छांव बैठो॥(२)ना मत कहना लाचारी है झुके ये पत्ते रूखे सूखे होठ तरस बुझा दैया॥महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
मेरे पूरे परिवार के तरफ से आप के पूरे परिवार को पावन चैत्री नवरात्र व नववर्ष की हार्दिक बधाई सह मंगल शुभकामना........ “पिरामिड” (1) माँ तेरा दर्शन जन जन अभिलाषी है शक्ति भक्ति न्यारी पधारो अनुपमा॥ (2) हे जग जननी दयाधात्री करुणामयी पहाड़ा वालिए
“पिरामिड” (1) ये स्वर्ण पालना लालना का भाव बिभोर गूँजे किलकारी अघाते रहे नैना॥ (2) क्योंन, लूँ बलैया मुसुकाती कंचन काया आँचल छुपाती माँ ममता लुटाती॥ (3) है सोना साधना प्रतिफल उपासना की सुधि आराधना पूर्ण मनोकामना॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
नेह/स्नेह/प्रेम/मुहब्बत/ आदि ये प्रेम सनेह मुहब्बत नेहा की नेह नेह की नेहा है विभावरी स्नेहा है॥ है यही जिंदगी संवारती चाह चाहत पावन प्रतीक है प्रेम तो अजीब है॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी