बीच के कमरे में छः आदमी हाथ और पैर से बँधे लुढ़के हुए थे। ..लाश उनके बगल में पड़ा हुआ था और तीनों वाइपर सामने खड़े थे।
तभी वाइपर वन बोला,
"वाइपर फाइव, सिचुएशन अंडर कंट्रोल.."
"कॉपी.."
कहती हुई वाइपर फाइव अपना आर नाइंटी थ्री उठा कर पहाड़ी से नीचे उतरने लगी।
"वाइपर टू, प्रोफाईल मैच करो।"
वो इयरपीस पर बोला और इधर वाइपर थ्री को इशारा किया।
वाइपर टू "कॉपी" कहती हुई अपनी उँगलियाँ स्क्रीन पर नचाने लगी और वाइपर थ्री, बाएँ हाथ से एक आदमी का गला पकड़ कर उसे अपने सामने किया।
छोटे स्क्रीन पर एक चौकोर हिस्से में उसका चेहरा नजर आया और स्क्रीन के शेष भाग में स्पीड से हजारों चेहरे उभरने लगे। ..तुरंत एक चेहरा रुक गया और उसके नीचे उसका नाम और उसके बारे से जानकारी दिखाई देने लगी। चौकोर हिस्से के नीचे बड़े से हरे अक्षरों में 'मैच' लिखा हुआ फ़्लैश होने लगा।
..ये सारी प्रक्रिया कोई दस सेकंड में हो चुकी थी।
"अब्दुल अंसारी, ..कन्फर्म।"
वाइपर टू बोली।
तत्काल वाइपर थ्री ने उसे साइड करके अपने साइलेंसर लगे नाइन एमएम पिस्टल से उसके सिर में गोली मार दिया और उसे दूर उछालकर दूसरे को उठा लिया।
"बिलावल खान, ..कन्फर्म।"
"जाकिर सुल्तान, ..कन्फर्म।"
"सुहैल बट, ..कन्फर्म।"
"मुर्शिद रजा, ..कन्फर्म।"
इस तरह ये प्रकिया पाँच तक चलती रही और बगल में लाशों का ढेर लगता रहा।
छठवाँ, सूरत से नेपाली लग रहा था। वो कभी नेपाली में तो कभी हिंदी में, जोर-जोर से बड़बड़ाते हुए गाली दे रहा था ।
वाइपर थ्री ने उससे पहले सातवाँ, यानी उस लाश को उठाया,
"जुनैद अख्तर, ...कन्फर्म।"
वाइपर टू बोली।
इस तरह वो छहों आतंकवादी मारे गये थे जिसके लिए ये स्पेशल ऑपरेशन चलाया गया था।
अंत में उस सातवें बन्दे को उठाया गया।
"इसका कोई डेटा अवेलेबल नहीं है। ..कोई प्रोफाईल मैच नहीं ।"
वाइपर टू की आवाज आई।
"..तुम सब बच नहीं सकते, ..तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ।"
सातवाँ आदमी गुर्राते हुए बोला।
"..तो तू ही बता दे, तू कौन है।"
वाइपर थ्री उसे और उपर उठाते हुए बोला।
"तुम लोगों ने ...ये करके ...बहुत बड़ी ...गलती की है। "
वो अटकते हुए बड़े मुश्किल से बोला।
"...ऐसी गलतियाँ हम रोज करते हैं।"
कहते हुए वाइपर थ्री ने उसके सीने में गोली मार दिया।
फिर उन्होंने जल्दी से सब को चेक किया और उनके जेब में जो भी मिला उसे और वहाँ पास के टेबल में रखे लेपटॉप को लेकर पीछे की ओर से ही निकल गये।
वहाँ से निकल कर वो लगभग दौड़ते हुए गाड़ी के पास पहुँचे। वाइपर फाइव पहले से वहाँ मौजूद थी, वो उनके आते ही गाड़ी के पिछले हिस्से में चढ़ गयी।
ईगल उनके साथ ही उड़ता हुआ आया था और अभी गाड़ी के उपर मंडरा रहा था। वाइपर टू, वाइपर फाइव के गाड़ी में घुसते ही कीबोर्ड पर अपनी उँगलियाँ नचाने लगी, ईगल नीचे आकर गाड़ी के खुले छत पर समा गया और छत फिर से बन्द हो कर पहले जैसे हो गया। फिर उसने टेबल के उपर रखे एक चार इंच मोटे, सात बाई तीन के चौकोर डिवाइस का एक बटन दबाया। तुरंत व्हाइटबोर्ड पर प्रोजेक्ट हुआ स्क्रीन और टेबल का कीबोर्ड गायब हो गया।
उसी समय गाड़ी के नीचे एक जगह से सरकने की आवाज आई और वहाँ से छः बाई दो का तीन फ़ीट गहरा एक बॉक्स प्रकट हुआ। वाइपर टू अपनी चेयर से फुर्ती से उठी और दोनों ने अपने शरीर से पूरा साजो सामान निकाल कर उसमें डाल दिया।
तीन मिनट बाद उस इमारत के अंदर एक छोटा सा धमाका हुआ और वो इमारत धू-धू कर जलने लगी।
**************
उसी समय इंडिया में किसी जगह,
तीस बाई दस का एक बड़ा सा कमरा....
कमरे में दोनों तरफ क्रम से, लम्बाई वाले दीवार से लग कर पाँच-पाँच डेस्क बने थे। प्रत्येक डेस्क में दो-दो मॉनिटर और एक-एक लैपटॉप रखा था जिसपर बैठे युवा टेक्निकल एक्सपर्ट, फुर्ती से अपनी उँगलियाँ नचा रहे थे। सामने बीच के चौड़ाई वाले दस फ़ीट के दीवार पर एक बड़ा सा आठ बाई चार का स्क्रीन प्रोजेक्ट हो रहा था। ..वो कमरा एरो का वॉररूम 'एरोडेन' था।
बड़े स्क्रीन के सामने रिवाल्विंग चेयर पर एक शख्स बैठा था।
...खिचड़ी बाल, पतली मूँछ, रोबीला चेहरा, ..उम्र पचपन के पार, पर फिटनेश किसी तीस साल के युवा जैसी।
वो शख्स एरो चीफ कर्नल विक्रम बत्रा थे जो स्क्रीन में सड़क पर दौड़ते हुए एम्बुलेंस को तल्लीनता से देख रहे थे ...जिसमें ड्राइवर के अलावा चार पैरामेडिकल स्टाफ बैठे थे।
*******************************
कोई पाँच किलोमीटर तक घुमावदार पहाड़ी सड़क पर वो एम्बुलेंस चलती रही फिर जैसे ही कुछ समतल जगह आई, वो सड़क से उतर कर जंगल में घुस गयी। जंगल में पेड़ों के झुरमुट के बीच एक रेंज रोवर खड़ी थी जिसके ड्राइविंग सीट पर एक नेपाली बैठा था। एम्बुलेंस को देखते ही वो फुर्ती से बाहर आया, ..तब तक वो पाँचों भी एम्बुलेंस रोक कर बाहर आ चुके थे। नेपाली बिना किसी से कुछ बोले एम्बुलेंस के ड्राइविंग सीट पर बैठा और उसे मोड़ते हुए सड़क पर वापस ले आया।
कुछ देर बाद वाटरफ्रंट रिसॉर्ट के पार्किंग पर एक रेंज रोवर आकर रुकी और उसमें से दो लड़की और तीन लड़के बाहर उतरे। कैप, गॉगल्स, हॉफपैंट, टी शर्ट ..उनके हुलिए से लग रहा था जैसे वो कोई टूरिस्ट हों।
***********************
शाम के छः बजने को थे।
पोखरा के पुलिस मुख्यालय में अफरातफरी का माहौल था। कंट्रोल रूम में वायरलेस से संदेश लिए-दिए जा रहे थे। कम्प्यूटर स्क्रीन पर शहर के विभिन्न चौंक चौराहों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे थे। इस तरह पूरा स्टॉफ व्यस्त नजर आ रहा था।
कमिशनर के केबिन में उसके सामने एसपी और एक इंस्पेक्टर खड़े थे। वो इंस्पेक्टर उसी एरिया का था और प्रारंभिक जाँच करने के बाद यहाँ आया था। इस समय वह कमिशनर को घटना का विवरण दे रहा था।
"सर, चार बजे के आस पास मुझे कंट्रोल रूम से वायरलेस पर खबर मिली कि कचतारा गाँव के पास स्थित बिल्डिंग पर आग लगी है। मैं तुरंत चार सिपाही को लेकर फायरब्रिगेड के तीन गाड़ियों के साथ वहाँ पहुँचा। आग बुझने के बाद जब मैं अंदर पहुँचा तो मैंने देखा कि वहाँ सब कुछ जल चुका है और जले हुए हालत में सात लोगों की लाशें पड़ी है। ..सर, लाश जिस स्थिति में पड़ी हुई थी उसे देखने पर पहली नजर में ही लग रहा था कि पहले उनकी हत्या की गयी है फिर बिल्डिंग पर आग लगाई गयी है।"
"हूँ.., मरने वालों की शिनाख्त हुई ? ..कुछ पता चला ?"
अधेड़ पुलिस कमिशनर ने अपने चेयर के पुश्त पर टिकते हुए पूछा।
"शिनाख्त तो नहीं हुई है सर, ..पर अब तक की जाँच से उनके बारे में जो समझ आ रहा है उससे ये मामला और अधिक संगीन हो गया है।"
इस बार इंस्पेक्टर के स्थान पर एसपी बोला।
"..कैसे ? कौन थे वो..?"
कमिशनर आश्चर्य से पूछा।
जवाब में एसपी इंस्पेक्टर की ओर देखने लगा।
इंस्पेक्टर कहने लगा,
"सर, डेडबॉडी तो बुरी तरह से जल चुकी है और उनका पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अभी आया नहीं है पर साक्ष्य जो कह रहे हैं वो चौंकाने वाले हैं। ..एक्चुअली सर, बिल्डिंग के बाहर हमें दो गाड़ी मिली, एक कार और एक एसयूवी। ..और सर, जब हमने पता लगाया तो कार ..मंत्री रणविजय झा जी की है।"
"..व्हाट ?"
कमिशनर जैसे अपने कुर्सी से उछल गया।
"..जी सर, ..कल ही उनके छोटे साहबजादे यहाँ आए थे और उन्हें इसी कार में देखा गया था। ..और सर वो बिल्डिंग भी मंत्री जी का ही है।"
"..कहीं तुम ये तो नहीं कहना चाह रहे कि उसमें से एक बॉडी...."
"जी सर, ..लग तो ऐसा ही रहा है। क्योंकि मैंने खुद उनके शहर वाले बंगले में जा कर पूछताछ किया है। उनके सिक्युरिटी गार्ड ने बताया कि आज सुबह नौ बजे वो उनको लिए बिना, अकेले ही कार से बाहर गये हैं। वैसे जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाता हम स्योर्ली कुछ नहीं कह सकते। पर सर, ..सिचुएशन तो यही कह रही है।"
"माय गॉड.., ये तो बहुत बड़ी मुसीबत हो गयी, ..ये बात अभी लीक तो नहीं हुई है।"
"..नहीं सर"
"..गुड, जब तक श्योर न हो जाओ, ..ये बात बाहर न जाए।"
"जी सर, ..लेकिन सर एक और बात है। ..सर, हमने जब उस एसयूवी के बारे से पता लगाया तो, वो यहाँ के एक ट्रैवलिंग एजेंसी से तीन दिन पहले किराए पर ली गयी थी। ..और सर, उसे लेने वाला आदमी मुस्तकीम था।"
"मुस्तकीम..? वही मुस्तकीम..?"
कमिशनर रहस्यमयी नजरों से एसपी को देखते हुए बोला।
"जी सर, वही। ..वही मुस्तकीम जिसे पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का एजेंट होने के संदेह में मैंने गिरफ्तार किया था। पर आप लोगों ने सब कुछ जानते हुए भी..."
इंस्पेक्टर बात अधूरी छोड़ कर एसपी को देखने लगा।
"...वो हाई लेवल की बात है इंस्पेक्टर, उसे छोड़ो और अभी केस पर आगे बढ़ो।"
एसपी बोला।
"जी.. सर..।"
इंस्पेक्टर पल भर के लिए नाराज हुआ फिर खुद को सम्हालते हुए बोला,
"सर, मैंने मुस्तकीम को रगड़े में लिया और उससे सख़्ती से पूछताछ किया तो उसने इन छः लोगों का नाम बताया.. सर, उसने इनके लिए ही वो गाड़ी हायर किया था और पिछले दो दिन से यही लोग उस गाड़ी को यूज कर रहे थे।"
कहते हुए उसने साथ लाए लेपटॉप को कमिशनर के सामने किया।
कमिशनर "ये..?" कहते हुए भौंचक सा उन तस्वीरों को देखता रहा।
इंस्पेक्टर आगे बोला,
"..हाँ सर, ये। ..सर ये सारे लोग पाकिस्तानी आतंकवादी हैं और इंडिया में मोस्टवांटेड हैं। ..और सर, जिस तरह से इनको ठिकाने लगाया गया है उससे लगता है, ये जरूर किसी इंडियन एजेंसी का काम है।"
"..यू मीन यहाँ.., पोखरा में.., इंडियन एजेंसी ?"
"बिल्कुल सर। ..दुनिया जानती है जहाँ-जहाँ ये पाकिस्तानी आतंकवादी होंगे, ..वहाँ इंडियन एजेंसिस तो होंगे ही। ..और आजकल तो हम इन्हें पाल रहे हैं फिर इनका आना भी तो लाजमी है न सर.."
इंस्पेक्टर गम्भीरता से बोला।
"ये सरकार की एक पॉलिसी है इंस्पेक्टर, इसमें हम क्या कर सकते हैं।"
एसपी बोला।
"..पर सर ये आतंकवादी किसी के नहीं होते, आज हम इन्हें इंडिया के खिलाफ सह दे रहे हैं कल ये हमारे सर पर नाचेंगे.."
इंस्पेक्टर नाराज होते हुए बोला।
"तुम ठीक कह रहे हो इंस्पेक्टर, पर नेपाल की फॉरेन पॉलिसी हम नहीं बनाते। ..हम सरकार के सेवक हैं और तुम जानते हो, हमें उसके खिलाफ बोलने का हक़ नहीं।"
एसपी इंस्पेक्टर को घूरते हुए बोला।
"..मैं जानता हूँ सर, ..पर मैं समझ नहीं पाता कि हम भारत के खिलाफ साजिश रच के क्या हासिल कर लेंगे।"
"क्या हासिल कर लेंगे..? तुम्हें दिखाई नहीं देता हमने क्या हासिल किया है। तुम आज जो ये चमचमाती सड़कें, बड़े बड़े पुल, आलीशान इमारतें और आधुनिक साजोसामान देख रहे हो, ये किसकी बदौलत है..? चीन की दोस्ती, हमें इंडिया के खिलाफ साजिश रच कर ही मिली है, समझे। ..तुम्हीं बताओ, वर्षों तक इंडिया से दोस्ती कर के आखिर क्या मिला हमें..?"
एसपी नाराज होते हुए बोला।
"ये चीन की दोस्ती नहीं गुलामी है सर, और ये आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।"
"बस करो, ..तुम लोग बेकार की बहस करके टाइम वेस्ट कर रहे।"
कमिशनर उन दोनों अफसरों पर चिल्लाते हुए बोला।
"..ये बताओ तुम लोगों ने इन्हें पकड़ने के लिए अब तक क्या किया है..?"
"सर, अभी तक, शहर के चारों ओर नाकाबंदी कर दी गयी है और सीसीटीवी फुटेज चेक किये जा रहे हैं।"
"..हूँ, अगर ये तुम्हारे थ्योरी के अनुसार इंडियन एजेंसी का काम हुआ तो उन्हें पकड़ना हमारे बस की बात नहीं।मैं उच्च अधिकारियों को खबर करता हूँ। ..तब तक तुमलोग पूरी ताकत लगा दो, नाकाबंदी करो, एक-एक गाड़ी, एक-एक होटल, एक-एक घर को चेक करो ..और भगवान से प्रार्थना करो कि सातवाँ डेडबॉडी मंत्री जी के बेटे का न हो ..वरना तुम लोग जानते हो, पोखरा में भूचाल आ जाएगा और हम लोगों को भी कोई नहीं बचा सकता।"
"ओके सर.."
कहते हुए दोनों अफसर कमिशनर को सेल्यूट मारे और कमरे से बाहर निकल गये।
क्रमशः