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पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 2

12 सितम्बर 2021

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बीच के कमरे में छः आदमी हाथ और पैर से बँधे लुढ़के  हुए थे। ..लाश उनके बगल में पड़ा हुआ था और तीनों वाइपर सामने खड़े थे।

तभी वाइपर वन बोला,
"वाइपर फाइव, सिचुएशन अंडर कंट्रोल.."

"कॉपी.."
कहती हुई वाइपर फाइव अपना आर नाइंटी थ्री उठा कर पहाड़ी से नीचे उतरने लगी।

"वाइपर टू, प्रोफाईल मैच करो।"
वो इयरपीस पर बोला और इधर वाइपर थ्री को इशारा किया।

वाइपर टू "कॉपी" कहती हुई अपनी उँगलियाँ  स्क्रीन पर नचाने लगी और वाइपर थ्री, बाएँ हाथ से एक आदमी का गला पकड़ कर उसे अपने सामने किया।

छोटे स्क्रीन पर एक चौकोर हिस्से में उसका चेहरा नजर आया और स्क्रीन के शेष भाग में स्पीड से हजारों चेहरे उभरने लगे। ..तुरंत एक चेहरा रुक गया और उसके नीचे उसका नाम और उसके बारे से जानकारी दिखाई देने लगी। चौकोर हिस्से के नीचे बड़े से हरे अक्षरों में 'मैच' लिखा हुआ फ़्लैश होने लगा।
..ये सारी प्रक्रिया कोई दस सेकंड में हो चुकी थी।

"अब्दुल अंसारी, ..कन्फर्म।"
वाइपर टू बोली।

तत्काल वाइपर थ्री ने उसे साइड करके अपने साइलेंसर लगे नाइन एमएम पिस्टल से उसके सिर में गोली मार दिया और उसे दूर उछालकर दूसरे को उठा लिया।

"बिलावल खान, ..कन्फर्म।"

"जाकिर सुल्तान, ..कन्फर्म।"

"सुहैल बट, ..कन्फर्म।"

"मुर्शिद रजा, ..कन्फर्म।"

इस तरह ये प्रकिया पाँच तक चलती रही और बगल में लाशों का ढेर लगता रहा।
छठवाँ, सूरत से नेपाली लग रहा था। वो कभी नेपाली में तो कभी हिंदी में, जोर-जोर से बड़बड़ाते हुए गाली दे रहा था ।

वाइपर थ्री ने उससे पहले सातवाँ, यानी उस लाश को उठाया,
"जुनैद अख्तर, ...कन्फर्म।"
वाइपर टू बोली।

इस तरह वो छहों आतंकवादी मारे गये थे जिसके लिए ये स्पेशल ऑपरेशन चलाया गया था।

अंत में उस सातवें बन्दे को उठाया गया।
"इसका कोई डेटा अवेलेबल नहीं है। ..कोई प्रोफाईल मैच नहीं ।"
वाइपर टू की आवाज आई।

"..तुम सब बच नहीं सकते, ..तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ।"
सातवाँ आदमी गुर्राते हुए बोला।

"..तो तू ही बता दे, तू कौन है।"
वाइपर थ्री उसे और उपर उठाते हुए बोला।

"तुम लोगों ने ...ये करके ...बहुत बड़ी ...गलती की है। "
वो अटकते हुए बड़े मुश्किल से बोला।

"...ऐसी गलतियाँ हम रोज करते हैं।"
कहते हुए वाइपर थ्री ने उसके सीने में गोली मार दिया।

फिर उन्होंने जल्दी से सब को चेक किया और उनके जेब में जो भी मिला उसे और वहाँ पास के टेबल में रखे लेपटॉप को लेकर पीछे की ओर से ही निकल गये।

वहाँ से निकल कर वो लगभग दौड़ते हुए गाड़ी के पास पहुँचे। वाइपर फाइव पहले से वहाँ मौजूद थी, वो उनके आते ही गाड़ी के पिछले हिस्से में चढ़ गयी।

ईगल उनके साथ ही उड़ता हुआ आया था और अभी गाड़ी के उपर मंडरा रहा था। वाइपर टू, वाइपर फाइव के  गाड़ी में घुसते ही कीबोर्ड पर अपनी उँगलियाँ नचाने लगी, ईगल नीचे आकर गाड़ी के खुले छत पर समा गया और छत फिर से बन्द हो कर पहले जैसे हो गया। फिर उसने टेबल के उपर रखे एक चार इंच मोटे, सात बाई तीन के चौकोर डिवाइस का एक बटन दबाया। तुरंत व्हाइटबोर्ड पर प्रोजेक्ट हुआ स्क्रीन और टेबल का कीबोर्ड गायब हो गया।

उसी समय गाड़ी के नीचे एक जगह से सरकने की आवाज आई और वहाँ से छः बाई दो का तीन फ़ीट गहरा एक बॉक्स प्रकट हुआ। वाइपर टू अपनी चेयर से फुर्ती से उठी और दोनों ने अपने शरीर से पूरा साजो सामान निकाल कर उसमें डाल दिया।
तीन मिनट बाद उस इमारत के अंदर एक छोटा सा धमाका हुआ और वो इमारत धू-धू कर जलने लगी।

**************

उसी समय इंडिया में किसी जगह,
तीस बाई दस का एक बड़ा सा कमरा....
कमरे में दोनों तरफ क्रम से, लम्बाई वाले दीवार से लग कर पाँच-पाँच डेस्क बने थे। प्रत्येक डेस्क में दो-दो मॉनिटर और एक-एक लैपटॉप रखा था जिसपर बैठे युवा टेक्निकल एक्सपर्ट, फुर्ती से अपनी उँगलियाँ नचा रहे थे। सामने बीच के चौड़ाई वाले दस फ़ीट के दीवार पर एक बड़ा सा आठ बाई चार का स्क्रीन प्रोजेक्ट हो रहा था। ..वो कमरा एरो का वॉररूम 'एरोडेन' था।

बड़े स्क्रीन के सामने रिवाल्विंग चेयर पर एक शख्स बैठा था।
...खिचड़ी बाल, पतली मूँछ, रोबीला चेहरा, ..उम्र पचपन के पार, पर फिटनेश किसी तीस साल के युवा जैसी।
वो शख्स एरो चीफ कर्नल विक्रम बत्रा थे जो स्क्रीन में सड़क पर दौड़ते हुए एम्बुलेंस को तल्लीनता से देख रहे थे ...जिसमें ड्राइवर के अलावा चार पैरामेडिकल स्टाफ बैठे थे।

*******************************

कोई पाँच किलोमीटर तक घुमावदार पहाड़ी सड़क पर वो एम्बुलेंस चलती रही फिर जैसे ही कुछ समतल जगह आई, वो सड़क से उतर कर जंगल में घुस गयी। जंगल में पेड़ों के झुरमुट के बीच एक रेंज रोवर खड़ी थी जिसके ड्राइविंग सीट पर एक नेपाली बैठा था। एम्बुलेंस को देखते ही वो फुर्ती से बाहर आया, ..तब तक वो पाँचों भी एम्बुलेंस रोक कर बाहर आ चुके थे। नेपाली बिना किसी से कुछ बोले एम्बुलेंस के ड्राइविंग सीट पर बैठा और उसे मोड़ते हुए सड़क पर वापस ले आया।

कुछ देर बाद वाटरफ्रंट रिसॉर्ट के पार्किंग पर एक रेंज रोवर आकर रुकी और उसमें से दो लड़की और तीन लड़के बाहर उतरे। कैप, गॉगल्स, हॉफपैंट, टी शर्ट ..उनके हुलिए से लग रहा था जैसे वो कोई टूरिस्ट हों।

***********************

शाम के छः बजने को थे।
पोखरा के पुलिस मुख्यालय में अफरातफरी का माहौल था। कंट्रोल रूम में वायरलेस से संदेश लिए-दिए जा रहे थे। कम्प्यूटर स्क्रीन पर शहर के विभिन्न चौंक चौराहों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे थे। इस तरह पूरा स्टॉफ व्यस्त नजर आ रहा था।

कमिशनर के केबिन में उसके सामने एसपी और एक इंस्पेक्टर खड़े थे। वो इंस्पेक्टर उसी एरिया का था और प्रारंभिक जाँच करने के बाद यहाँ आया था। इस समय वह कमिशनर को घटना का विवरण दे रहा था।

"सर, चार बजे के आस पास मुझे कंट्रोल रूम से वायरलेस पर खबर मिली कि कचतारा गाँव के पास स्थित बिल्डिंग पर आग लगी है। मैं तुरंत चार सिपाही को लेकर फायरब्रिगेड के तीन गाड़ियों के साथ वहाँ पहुँचा। आग बुझने के बाद जब मैं अंदर पहुँचा तो मैंने देखा कि वहाँ सब कुछ जल चुका है और जले हुए हालत में सात लोगों की लाशें पड़ी है। ..सर, लाश जिस स्थिति में पड़ी हुई थी उसे देखने पर पहली नजर में ही लग रहा था कि पहले उनकी हत्या की गयी है फिर बिल्डिंग पर आग लगाई गयी है।"

"हूँ.., मरने वालों की शिनाख्त हुई ? ..कुछ पता चला ?"
अधेड़ पुलिस कमिशनर ने अपने चेयर के पुश्त पर टिकते हुए पूछा।

"शिनाख्त तो नहीं हुई है सर, ..पर अब तक की जाँच से उनके बारे में जो समझ आ रहा है उससे ये मामला और अधिक संगीन हो गया है।"
इस बार इंस्पेक्टर के स्थान पर एसपी बोला।

"..कैसे ? कौन थे वो..?"
कमिशनर आश्चर्य से पूछा।
जवाब में एसपी इंस्पेक्टर की ओर देखने लगा।

इंस्पेक्टर कहने लगा,
"सर, डेडबॉडी तो बुरी तरह से जल चुकी है और उनका पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अभी आया नहीं है पर साक्ष्य जो कह रहे हैं वो चौंकाने वाले हैं। ..एक्चुअली सर, बिल्डिंग के बाहर हमें दो गाड़ी मिली, एक कार और एक एसयूवी। ..और सर, जब हमने पता लगाया तो कार ..मंत्री रणविजय झा जी की है।"

"..व्हाट ?"
कमिशनर जैसे अपने कुर्सी से उछल गया।

"..जी सर, ..कल ही उनके छोटे साहबजादे यहाँ आए थे और उन्हें इसी कार में देखा गया था। ..और सर वो बिल्डिंग भी मंत्री जी का ही है।"

"..कहीं तुम ये तो नहीं कहना चाह रहे कि उसमें से एक बॉडी...."

"जी सर, ..लग तो ऐसा ही रहा है। क्योंकि मैंने खुद उनके शहर वाले बंगले में जा कर पूछताछ किया है। उनके सिक्युरिटी गार्ड ने बताया कि आज सुबह नौ बजे वो उनको लिए बिना, अकेले ही कार से बाहर गये हैं। वैसे जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाता हम स्योर्ली कुछ नहीं कह सकते। पर सर, ..सिचुएशन तो यही कह रही है।"

"माय गॉड.., ये तो बहुत बड़ी मुसीबत हो गयी, ..ये बात अभी लीक तो नहीं हुई है।"

"..नहीं सर"

"..गुड, जब तक श्योर न हो जाओ, ..ये बात बाहर न जाए।"

"जी सर, ..लेकिन सर एक और बात है। ..सर, हमने जब उस एसयूवी के बारे से पता लगाया तो, वो यहाँ के एक ट्रैवलिंग एजेंसी से तीन दिन पहले किराए पर ली गयी थी। ..और सर, उसे लेने वाला आदमी मुस्तकीम था।"

"मुस्तकीम..? वही मुस्तकीम..?"
कमिशनर रहस्यमयी नजरों से एसपी को देखते हुए बोला।

"जी सर, वही। ..वही मुस्तकीम जिसे पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का एजेंट होने के संदेह में मैंने गिरफ्तार किया था। पर आप लोगों ने सब कुछ जानते हुए भी..."
इंस्पेक्टर बात अधूरी छोड़ कर एसपी को देखने लगा।

"...वो हाई लेवल की बात है इंस्पेक्टर, उसे छोड़ो और अभी केस पर आगे बढ़ो।"
एसपी बोला।

"जी.. सर..।"
इंस्पेक्टर पल भर के लिए नाराज हुआ फिर खुद को सम्हालते हुए बोला,
"सर, मैंने मुस्तकीम को रगड़े में लिया और उससे सख़्ती से पूछताछ किया तो उसने इन छः लोगों का नाम बताया..   सर, उसने इनके लिए ही वो गाड़ी हायर किया था और पिछले दो दिन से यही लोग उस गाड़ी को यूज कर रहे थे।"
कहते हुए उसने साथ लाए लेपटॉप को कमिशनर के सामने किया।

कमिशनर "ये..?" कहते हुए भौंचक सा उन तस्वीरों को देखता रहा।

इंस्पेक्टर आगे बोला,
"..हाँ सर, ये। ..सर ये सारे लोग पाकिस्तानी आतंकवादी हैं और इंडिया में मोस्टवांटेड हैं। ..और सर, जिस तरह से इनको ठिकाने लगाया गया है उससे लगता है, ये जरूर किसी इंडियन एजेंसी का काम है।"

"..यू मीन यहाँ.., पोखरा में.., इंडियन एजेंसी ?"

"बिल्कुल सर। ..दुनिया जानती है जहाँ-जहाँ ये पाकिस्तानी आतंकवादी होंगे, ..वहाँ इंडियन एजेंसिस तो होंगे ही। ..और आजकल तो हम इन्हें पाल रहे हैं फिर इनका आना भी तो लाजमी है न सर.."
इंस्पेक्टर गम्भीरता से बोला।

"ये सरकार की एक पॉलिसी है इंस्पेक्टर, इसमें हम क्या कर सकते हैं।"
एसपी बोला।

"..पर सर ये आतंकवादी किसी के नहीं होते, आज हम इन्हें इंडिया के खिलाफ सह दे रहे हैं कल ये हमारे सर पर नाचेंगे.."
इंस्पेक्टर नाराज होते हुए बोला।

"तुम ठीक कह रहे हो इंस्पेक्टर, पर नेपाल की फॉरेन पॉलिसी हम नहीं बनाते। ..हम सरकार के सेवक हैं और तुम जानते हो, हमें उसके खिलाफ बोलने का हक़ नहीं।"
एसपी इंस्पेक्टर को घूरते हुए बोला।

"..मैं जानता हूँ सर, ..पर मैं समझ नहीं पाता कि हम भारत के खिलाफ साजिश रच के क्या हासिल कर लेंगे।"

"क्या हासिल कर लेंगे..? तुम्हें दिखाई नहीं देता हमने क्या हासिल किया है। तुम आज जो ये चमचमाती सड़कें, बड़े बड़े पुल, आलीशान इमारतें और आधुनिक साजोसामान देख रहे हो, ये किसकी बदौलत है..? चीन की दोस्ती, हमें इंडिया के खिलाफ साजिश रच कर ही मिली है, समझे। ..तुम्हीं बताओ, वर्षों तक इंडिया से दोस्ती कर के आखिर क्या मिला हमें..?"
एसपी नाराज होते हुए बोला।

"ये चीन की दोस्ती नहीं गुलामी है सर, और ये आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।"

"बस करो, ..तुम लोग बेकार की बहस करके टाइम वेस्ट कर रहे।"
कमिशनर उन दोनों अफसरों पर चिल्लाते हुए बोला।
"..ये बताओ तुम लोगों ने इन्हें पकड़ने के लिए अब तक क्या किया है..?"

"सर, अभी तक, शहर के चारों ओर नाकाबंदी कर दी गयी है और सीसीटीवी फुटेज चेक किये जा रहे हैं।"

"..हूँ, अगर ये तुम्हारे थ्योरी के अनुसार इंडियन एजेंसी का काम हुआ तो उन्हें पकड़ना हमारे बस की बात नहीं।मैं उच्च अधिकारियों को खबर करता हूँ। ..तब तक तुमलोग पूरी ताकत लगा दो, नाकाबंदी करो, एक-एक गाड़ी, एक-एक होटल, एक-एक घर को चेक करो ..और भगवान से प्रार्थना करो कि सातवाँ डेडबॉडी मंत्री जी के बेटे का न हो ..वरना तुम लोग जानते हो, पोखरा में भूचाल आ जाएगा और हम लोगों को भी कोई नहीं बचा सकता।"

"ओके सर.."
कहते हुए दोनों अफसर कमिशनर को सेल्यूट मारे और कमरे से बाहर निकल गये।

क्रमशः


Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

वाह शाम जी! 👌 👌 👌 जय हिंद 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳

19 अक्टूबर 2021

18
रचनाएँ
पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक
5.0
कहानी शुरू करने से पहले मैं चाहता हूँ कि आप सब को इस कहानी के पृष्ठभूमि से अवगत करा दूँ ताकि आप को इसके परिस्थितियों को समझने में सुगमता हो। हमारे देश द्वारा भारत-चीन सीमा पर अपनाए गये आक्रामक रूख से चीन बौखलाया हुआ था। इधर कोरोना महामारी के लिए उसे दोषी ठहराए जाने के कारण वह विश्व में अलग थलग भी पड़ गया था। इसलिए उसने प्रत्यक्ष के बजाए भारत से अप्रत्यक्ष युद्ध करने का निर्णय लिया और भारत के पड़ोसी देशों के साथ साजिश रच कर हमें आतंकवाद और तस्करी के जरिए अंदर से खोखला करना चाहा। पाकिस्तान तो पहले से भारत का दुश्मन था ही किन्तु अब इसके लिए उसने नेपाल को भी अपने साजिश में शामिल कर लिया है और इसका बहाना बना एक छोटा सा सीमा विवाद... नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य--सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जुड़े हैं। वैसे भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं था। लगभग 98% प्रतिशत सीमा की पहचान व उसके नक्शे पर सहमति थी, केवल कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद था जिसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया चल रही थी। इसीबीच, भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये उत्तराखंड के धारचूला (Dharchula) को लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से जोड़ती हुई एक सड़क बनाना शुरू किया, जिसमें नेपाल ने आपत्ति किया। नेपाल का दावा था कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है। नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani) लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख  (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता था। भारत इसे बातचीत के जरिए हल करना चाहता था पर चीन के बहकावे में आकर नेपाल इस मुद्दे को खींचता रहा, उसे बढ़ाता रहा और अब उसे खुश करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को अपने देश में पनाह देता है। स्थिति ये है कि जहाँ पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के एजेंट वहाँ के सड़कों पर बेरोकटोक घूमते हैं, उन्हें वहाँ के सुरक्षा एजेंसियाँ सहयोग करती हैं वहीं भारत के नागरिकों तक के ऊपर निगरानी रखी जाती है। चीन आतंकवादियों को वहाँ ट्रेंड करती है, उन्हें आधुनिक साजो समान से लैस करती है और भारत नेपाल के बीच मुक्त आवागमन का फायदा उठा कर उन्हें भारत भेजती है। जब भारत इन बातों पर आपत्ति करता है तो नेपाल की ओर से उसे कोई सहयोग नहीं दिया जाता और न ही जाँच एजेंसियों को वहाँ आधिकारिक रूप से आने दिया जाता है। ऐसे में भारत भी अब आधिकारिक जाँच के बजाए खुफिया एजेंसियों के द्वारा सीधे उन पर हमले करती है और गुप्त रूप से वहाँ घुस कर उन्हें नेस्तनाबुद करती है। कहानी की पृष्ठभूमि ये है कि विश्व की नजरों में भले ही आज भी भारत और नेपाल के बीच मित्रता है पर वास्तव में नेपाल पाकिस्तान के समान ही एक दुश्मन पड़ोसी देश बन चुका है। अब नेपाल के सीमा पर भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को रात दिन चौकसी करनी पड़ती है और जवान सिविल ड्रेस में हजारों के तादाद में वहाँ तैनात रहते हैं। भारत जब भी आवश्यकता होती है वहाँ घुस कर अपने दुश्मनों का सफाया करती है। ये कहानी है, भारत के एक खूँखार सीक्रेट इंटेलिजेंस यूनिट 'एरो' का जिसके सिर्फ नाम से ही दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं। नाम से ही इसलिए क्योंकि सब इस यूनिट का सिर्फ नाम जानते हैं, जिसने भी इसके एजेंटों को पहचान लिया वो चाहे निर्दोष ही क्यों न हो.., मार दिया जाता है। इसके एजेंट कब कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं, इसका मुखिया कौन है, इसका मुख्यालय कहाँ है ये औरों को तो क्या भारतीय खुफिया विभाग को भी मालूम नहीं है। इसके एजेंटों को भारत के सभी खुफिया एजेंसियों की सदस्यता प्राप्त होती है, ये देश के किसी भी एजेंसी के सूचनाओं, सुविधाओं और संसाधनों का जब चाहे उपयोग कर सकते हैं पर खुद किसी को कोई जवाब देने को बाध्य नहीं। इनके पास अत्याधुनिक हथियारों, सुरक्षा उपकरणों और टेक्निकल सपोर्टिंग स्टाफ की भरमार है। इसके एक एजेंट के पीछे तीन टेक्निकल स्टॉफ चौबीसों घण्टे सपोर्ट के लिए काम करते रहते हैं जो इनके हर सिचुएशन, एक्शन, लोकेशन, यहाँ तक की इनके शरीर के टेम्परेचर, ब्लडप्रेसर, पल्सरेट तक की निगरानी करते रहते हैं। इन्हें विश्व में कहीं भी, किसी भी स्थान को तबाह करने और किसी को भी जान से मार देने की खुली छूट दी गयी है और ये देश के पीएम के अलावा किसी के भी प्रति जवाब देह नहीं। इसतरह ये खूँखार हैं, दुर्दांत हैं, निर्दयी हैं, ये किसी को भी मारने से पहले पल भर भी नहीं सोंचते।
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