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पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 1

11 सितम्बर 2021

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नेपाल के पोखरा शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर, आबादी से दूर बनी वो एक इमारत थी। करीब चार सौ स्क्वायर फ़ीट के उस एक मंजिला इमारत के चारों ओर लगभग चालीस-चालीस फ़ीट का खाली मैदान था और उसकी भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी थी कि उसके फ्रंट यानी ईस्ट साइड में सड़क,  वेस्ट व नार्थ में जंगल तथा साउथ में एक छोटी सी पथरीली पहाड़ी थी।

उस समय इमारत के सारे खिड़की दरवाजे बन्द थे और आसपास कुछ भी ऐसी हलचल नहीं थी जिससे सामने सड़क पर गुजरने वालों को वहाँ किसी के होने का अंदेशा हो। ..लेकिन इमारत के पीछे भाग में एक टिन का शेड बना था जिस पर एक ब्लैक एसयूवी और एक कार खड़ी थी जो इस बात की गवाही दे रही थी कि वहाँ कोई है।
उस इमारत से कोई चार सौ मीटर दूर एक एम्बुलेंस खड़ी थी जो सड़क से उतर कर जंगल के घने पेड़ों में ऐसे छुपी हुई थी कि सड़क से बिल्कुल भी दिखाई न दे। एम्बुलेंस में अगल-बगल हिंदी के बड़े अक्षरों में 'सिटी हॉस्पिटल पोखरा' लिखा था। उसके सामने का ड्राइवर सीट खाली था लेकिन पीछे के भाग में कोई बैठा था।

उसका चेहरा मास्क से पूरी तरह से ढँका हुआ था। वो ब्लैक स्पेशल फोर्स वाली यूनिफॉर्म में बुलेटप्रूफ जैकेट और हथियारों से लैस थी पर उसका हेलमेट चूंकि उस समय उसके सिर पर नहीं बल्कि सामने टेबल पर रखा था इसलिए उसके रेशमी बरगंडी जुड़े से लग रहा था कि वो एक लड़की है।
अंदर से वह गाड़ी कोई एम्बुलेंस नहीं बल्कि एक कंट्रोल रूम था जिसके एक साइड में एक बड़ा सा व्हाइटबोर्ड था। उस बोर्ड में उस समय एक बड़ा और उसके दोनों ओर दो-दो छोटे कम्प्यूटर स्क्रीन प्रोजेक्ट हो रहे थे। छोटे स्क्रीन में से एक में उस गाड़ी के चारों दिशाओं का दृश्य चार भाग में दिखाई दे रहा था और बड़े स्क्रीन पर एक ड्रोन का स्केच नजर आ रहा था। बाकी के तीन छोटे स्क्रीन पर केम वन, केम टू, केम थ्री लिखा था और उसमें कोई भी दृश्य दिखाई नहीं दे रहा था। वो लड़की उस समय बड़ी तल्लीनता से टेबल पर प्रोजेक्ट हुए लेज़र कीबोर्ड पर अपने दोनों हाथ के उँगलियों को नचा रही थी और बीच-बीच में बड़े स्क्रीन पर घूमते हुए ड्रोन के स्केच के एक-एक पार्ट को देख रही थी।

तभी उसके कान पर लगे वायरलेस इयरपीस पर उसे एक लड़की की आवाज सुनाई दी,
"..वाइपर टीम, दिस इस वाइपर फाइव, मैं पोजीशन पर हूँ।"

"..कॉपी। ..वाइपर टीम, दिस इस वाइपर टू ..नाउ ईगल इज रेडी टू फ्लाई.."
वो वैसे ही अपनी उँगलियाँ की-बोर्ड पर नचाती हुई बोली।

इयरपीस पर उसे 'कॉपी..' कहने की कई आवाज सुनाई दी और उसने कीबोर्ड पर इंटर क्लिक किया।
एक हल्की सी आवाज के साथ गाड़ी के उपरी छत पर कुछ हलचल हुई और उसमें से एक छोटा किन्तु शक्तिशाली ड्रोन प्रकट हुआ।

वाइपर टू अब कीबोर्ड के नीचे बने चौकोर हिस्से पर अपनी तर्जनी घुमाती हुई उस ड्रोन को कंट्रोल करने लगी। ड्रोन गाड़ी के छत से उपर उठ कर सीधे दो सौ फ़ीट पर चला गया जिससे उसकी आवाज़ जमीन पर लगभग शून्य हो गयी, फिर वो तेजी से उस इमारत की ओर बढ़ने लगा।

कुछ पल बाद जैसे ही बड़े स्क्रीन पर वो इमारत नजर आई वो आगे बढ़ना छोड़, वहीं मंडराने लगा। वाइपर टू ने अपनी तर्जनी और अँगूठे से जूम किया और अब स्क्रीन पर वो इमारत और उसके आसपास के कोई पचास फ़ीट का एरिया नजर आने लगा।
अगले ही पल उसने की बोर्ड पर एक बार फिर अपनी उंगलियाँ नचाई.. स्क्रीन पर इमारत की नेचुरल इमेज की जगह इंफ्रारेड थर्मल इमेज नजर आने लगा और स्क्रीन के एक कोने में उस बिल्डिंग का मैप भी दिखने लगा।
वो दोनों पर एक साथ नजर गड़ाए हुए बोली,
"वाइपर टीम, दिस इस वाइपर टू.. ईगल तुम्हारे उपर है।
...मुझे बिल्डिंग के अंदर नजर आ रहे हैं सात टैंगो, आई रिपीट सात टैंगो। ...फ्रंट साइड खाली हैं। ...सेंटर में चार टैंगो बैठे हैं साउथ के कमरे में दो टैंगो हैं और एक नार्थ साइड किचन में है।"

"छः होने चाहिए थे, ये सातवाँ कहाँ से आया..?"
इयरपीस पर आवाज आई।

वाइपर टू बोली,
"मैं नहीं जानती, पर वहाँ सात टैंगो नजर आ रहे हैं।"

"वाइपर टीम, ..दिस इस वाइपर वन, ...छः हो या सात, ..गेट रेडी, हम लोग अंदर जा रहे हैं।"
कहता हुआ इमारत के पीछे साइड, जंगल के एक मोटे से पेड़ के पीछे से वाइपर वन बाहर निकला। तभी उसके पीछे के दो पेड़ों से वैसे ही दो लोग और बाहर निकले।
तीनों उस लड़की की तरह ही ब्लैक यूनिफॉर्म में सभी प्रकार के जरूरी सेफ़्टी डिवाइसों और आधुनिक हथियारों से लैस थे। 
बाहर निकलते ही तीनों ने अपने-अपने कंधे को छुआ और इधर गाड़ी में लगे तीनों खाली स्क्रीन पर उनके आगे का दृश्य दिखाई देने लगा।

"...कॉपी। ...वाइपर वन, वाइपर थ्री, वाइपर फोर, ..विजुअल क्लियर है, ..आगे बढ़ो।"
वाइपर टू तीनों स्क्रीन पर नजर डालते हुए बोली।

तीनों झुके-झुके दौड़ते हुए आगे बढ़ने लगे। वाइपर टू स्क्रीन पर दिखते इमारत के अंदर सातों लोगों के थर्मल इमेज पर नजर गड़ाई हुई थी।

उसी समय इमारत के साउथ में स्थित पथरीली पहाड़ी के उपर, एक बड़े से पत्थर पर पेट के बल लेटी वाइपर फाइव अपने ब्लॉसर आर नाइंटी थ्री स्नाइपर गन के स्कोप से नीचे इमारत और उसके आस पास का दृश्य देख रही थी।
वो अपना गन लोड करते हुए बोली,
"वाइपर टीम, दिस इस वाइपर फाइव विजुअल क्लियर है.., बढ़ते रहो।"

तीनों वाइपर झुके-झुके सतर्कता से पीछे के दरवाजे तक पहुँच गये और उसके अगल-बगल के दीवार से चिपक कर खड़े हो गये। दरवाजा अंदर से बन्द था मगर उससे लग के उस के उपर बना लकड़ी का रोशनदान खुला था। वाइपर वन ने उस रोशनदान की ओर इशारा किया।

तभी उनके इयरपीस पर वाइपर टू की आवाज़ सुनाई दी,
".. दरवाजे के सीध में आठ फ़ीट की गैलरी है उसके बाद बड़ा सा कमरा है, वहीं चारो टैंगो बैठे हैं। ...कोई खास हलचल नहीं, टैंगो ऑन शेम पोजीशन ..आगे बढ़ो।"

वाइपर फोर ने अपने पिट्ठू से एक वायर निकाला जिस पर चार जगह एक-एक इंच का चौकोर टुकड़ा लगा था। वो उससे दरवाजे में आयताकार बनाते हुए उन चारों टुकड़ों को चार जगह चिपका दिया।
उसी समय वाइपर थ्री ने अपने बैग से एक फ़्लैशबैंग निकाला। तीनों ने एक नजर एक दूसरे को देखा फिर वाइपर थ्री ने उसे रोशनदान से उछाल दिया और तीनों फुर्ती से एक-एक कदम पीछे हट गये।

फ़्लैशबैंग के फटते ही इमारत पलभर के लिए लगभग सात मेगाकेन्डेला के तीव्र प्रकाश से जगमगा उठा। वहाँ लगभग एक सौ सत्तर डीबी का ध्वनि धमाका हुआ था जिससे उस कमरे के चारों लोग मिनट भर के लिए अंधे-बहरे हो गये और उनके सोंचने समझने या कुछ करने की शक्ति समाप्त हो गयी थी।
इसी बीच उस दरवाजे पर भी एक छोटा सा धमाका हुआ जिससे दरवाजा टूट कर अंदर की ओर गिर गया।
तीनों वाइपर अंदर घुस गये और इससे पहले कि उन चारों में से किसी को भी कुछ समझ आता, चारों के हाथ पैर बाँधे जा चुके थे।

इयरपीस में आवाज सुनाई दी,
"साउथ में दो टैंगो, नार्थ में एक, ...गो गो गो गो ..गो।"

वाइपर वन ने उँगली से इशारा किया, वाइपर थ्री साउथ की ओर और वाइपर फोर नार्थ की ओर बढ़ने लगे।

दूसरे कमरे के दोनों लोगों और तीसरा जो किचन में था उन पर भी फ़्लैशबैंग का प्रभाव हुआ था पर इन चारों के मुकाबले कम। फ्लैशबैंग के धमाके से साधारण इंसान कई मिनट तक सम्हल नहीं पाता और उसे पूरी तरह समझने में आधा घण्टा तक भी लग जाता है ..पर वो कोई साधारण इंसान नहीं बल्कि हाइली ट्रेंड टेरेरिस्ट थे।

बड़े स्क्रीन पर दिखते हुए काले दृश्य में सफेद बिंदुओं के रूप में उनमें हलचल दिखाई देने लगी थी। ..वो खड़े होकर लड़खड़ाते हुए कमरे से बाहर की ओर निकलने की कोशिश कर रहे थे।

"वो फ्रंट की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं.. गो, गो।
वाइपर टू, स्क्रीन पर नजर गड़ाए हुए बोली।
"वाइपर थ्री, अपने लेफ्ट ...वाइपर फोर वो कॉरिडोर से बाहर की ओर जा रहा है, ..गो, गो.."
वाइपर टू स्क्रीन पर उन सब का थर्मल इमेज देखते हुए अपने साथियों को निर्देश देती जा रही थी।

वाइपर थ्री को सामने एक आदमी भागता हुआ नजर आया।
"फ्रीज.." वो चिल्लाया।
पर उसके आवाज का उस पर कोई असर नहीं हुआ, वो लड़खड़ाते हुए आगे जा कर कॉरिडोर में मुड़ गया।

वाइपर थ्री पीछे दौड़ा और गलियारे के पास पहुँचते ही उसके पैर पर गोली मार दिया। वो वहीं गिर गया पर तब तक उसका दूसरा साथी फ्रंट मेनडोर को खोल कर बाहर आ चुका था।

उसी समय वाइपर फोर नार्थ की ओर,
उसे किचन से बाहर की ओर भागता हुआ वो आदमी  सामने ही मिल गया। वो उसके कंधे में गोली मार कर उसे दबोच लिया।

इधर दरवाजे से बाहर भागते हुए आदमी को वाइपर टू स्क्रीन पर देखती हुई बोली,
"वाइपर फाइव, ..तुम्हारा शिकार, ..फ्रंट साइड, ..मेनडोर से बाहर की ओर भागता हुआ।"

"कॉपी.."
वाइपर फाइव उसे अपने स्कोप से देखती हुई,
"..शिकार निशाने पर है। ...एंड फिनिश" कहते हुए ट्रिगर दबाई।
आदमी दरवाजे के बाहर कोई दस कदम ही बढ़ पाया था, वो वहीं कटे हुए पेड़ की तरह गिर गया।
वाइपर थ्री दरवाजे से बाहर आया और उसके लाश को हल्के सामान से भरे बोरी की तरह बाएँ हाथ में दबोच कर बीच के कमरे में ले जा कर पटक दिया।

क्रमशः...


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वैधानिक सूचना_
कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और इसका उद्देश्य मनोरंजन मात्र है। कहानी के किसी भी पात्र, संगठन, स्थान, परिस्थिति या किसी भी घटना में किसी से कोई समानता होती है तो वह मात्र संयोग है और उसका वास्तविक जीवन से कोई संबन्ध नहीं।
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Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

वाह! बहुत ही रोचक आरम्भ 👌👌👌👌 राधे राधे 🌹 🙏🏻 🌹

18 अक्टूबर 2021

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मज़ेदार और रुचिकर.... अगला भाग जल्द ही पढ़ेंगे। और समीक्षा भी प्रेषित करेंगे।💐🙏🏻☺️

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रचनाएँ
पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक
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कहानी शुरू करने से पहले मैं चाहता हूँ कि आप सब को इस कहानी के पृष्ठभूमि से अवगत करा दूँ ताकि आप को इसके परिस्थितियों को समझने में सुगमता हो। हमारे देश द्वारा भारत-चीन सीमा पर अपनाए गये आक्रामक रूख से चीन बौखलाया हुआ था। इधर कोरोना महामारी के लिए उसे दोषी ठहराए जाने के कारण वह विश्व में अलग थलग भी पड़ गया था। इसलिए उसने प्रत्यक्ष के बजाए भारत से अप्रत्यक्ष युद्ध करने का निर्णय लिया और भारत के पड़ोसी देशों के साथ साजिश रच कर हमें आतंकवाद और तस्करी के जरिए अंदर से खोखला करना चाहा। पाकिस्तान तो पहले से भारत का दुश्मन था ही किन्तु अब इसके लिए उसने नेपाल को भी अपने साजिश में शामिल कर लिया है और इसका बहाना बना एक छोटा सा सीमा विवाद... नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य--सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जुड़े हैं। वैसे भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं था। लगभग 98% प्रतिशत सीमा की पहचान व उसके नक्शे पर सहमति थी, केवल कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद था जिसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया चल रही थी। इसीबीच, भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये उत्तराखंड के धारचूला (Dharchula) को लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से जोड़ती हुई एक सड़क बनाना शुरू किया, जिसमें नेपाल ने आपत्ति किया। नेपाल का दावा था कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है। नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani) लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख  (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता था। भारत इसे बातचीत के जरिए हल करना चाहता था पर चीन के बहकावे में आकर नेपाल इस मुद्दे को खींचता रहा, उसे बढ़ाता रहा और अब उसे खुश करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को अपने देश में पनाह देता है। स्थिति ये है कि जहाँ पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के एजेंट वहाँ के सड़कों पर बेरोकटोक घूमते हैं, उन्हें वहाँ के सुरक्षा एजेंसियाँ सहयोग करती हैं वहीं भारत के नागरिकों तक के ऊपर निगरानी रखी जाती है। चीन आतंकवादियों को वहाँ ट्रेंड करती है, उन्हें आधुनिक साजो समान से लैस करती है और भारत नेपाल के बीच मुक्त आवागमन का फायदा उठा कर उन्हें भारत भेजती है। जब भारत इन बातों पर आपत्ति करता है तो नेपाल की ओर से उसे कोई सहयोग नहीं दिया जाता और न ही जाँच एजेंसियों को वहाँ आधिकारिक रूप से आने दिया जाता है। ऐसे में भारत भी अब आधिकारिक जाँच के बजाए खुफिया एजेंसियों के द्वारा सीधे उन पर हमले करती है और गुप्त रूप से वहाँ घुस कर उन्हें नेस्तनाबुद करती है। कहानी की पृष्ठभूमि ये है कि विश्व की नजरों में भले ही आज भी भारत और नेपाल के बीच मित्रता है पर वास्तव में नेपाल पाकिस्तान के समान ही एक दुश्मन पड़ोसी देश बन चुका है। अब नेपाल के सीमा पर भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को रात दिन चौकसी करनी पड़ती है और जवान सिविल ड्रेस में हजारों के तादाद में वहाँ तैनात रहते हैं। भारत जब भी आवश्यकता होती है वहाँ घुस कर अपने दुश्मनों का सफाया करती है। ये कहानी है, भारत के एक खूँखार सीक्रेट इंटेलिजेंस यूनिट 'एरो' का जिसके सिर्फ नाम से ही दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं। नाम से ही इसलिए क्योंकि सब इस यूनिट का सिर्फ नाम जानते हैं, जिसने भी इसके एजेंटों को पहचान लिया वो चाहे निर्दोष ही क्यों न हो.., मार दिया जाता है। इसके एजेंट कब कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं, इसका मुखिया कौन है, इसका मुख्यालय कहाँ है ये औरों को तो क्या भारतीय खुफिया विभाग को भी मालूम नहीं है। इसके एजेंटों को भारत के सभी खुफिया एजेंसियों की सदस्यता प्राप्त होती है, ये देश के किसी भी एजेंसी के सूचनाओं, सुविधाओं और संसाधनों का जब चाहे उपयोग कर सकते हैं पर खुद किसी को कोई जवाब देने को बाध्य नहीं। इनके पास अत्याधुनिक हथियारों, सुरक्षा उपकरणों और टेक्निकल सपोर्टिंग स्टाफ की भरमार है। इसके एक एजेंट के पीछे तीन टेक्निकल स्टॉफ चौबीसों घण्टे सपोर्ट के लिए काम करते रहते हैं जो इनके हर सिचुएशन, एक्शन, लोकेशन, यहाँ तक की इनके शरीर के टेम्परेचर, ब्लडप्रेसर, पल्सरेट तक की निगरानी करते रहते हैं। इन्हें विश्व में कहीं भी, किसी भी स्थान को तबाह करने और किसी को भी जान से मार देने की खुली छूट दी गयी है और ये देश के पीएम के अलावा किसी के भी प्रति जवाब देह नहीं। इसतरह ये खूँखार हैं, दुर्दांत हैं, निर्दयी हैं, ये किसी को भी मारने से पहले पल भर भी नहीं सोंचते।
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