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पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 3

14 सितम्बर 2021

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उसी समय,
इधर वाटरफ्रंट रिसॉर्ट के एक शानदार सुइट में वाइपर टीम के तीन मेंबर मौजूद थे।

वाइपर टू यानी ईशा जोशी,
..लम्बा कद, गोरा रंग, पुष्ट शरीर, गोल सुंदर चेहरा।
चौबीस वर्षीय इंदौर की तेजतर्रार कम्प्यूटर एक्सपर्ट और हैकर। किसी भी प्रकार के कम्प्यूटर प्रणाली और सुरक्षित से सुरक्षित साइट को पलक झपकते ही हैक करके अपने इशारों पर नचा सकने की काबिलियत। इसके अलावा जुडो-कराटे और मार्शल आर्ट की ऐसी एक्सपर्ट कि चार-छः लोगों को अकेले ही धूल चटा सकती थी।
इस समय अपनी रेशमी खुले बालों से गाल पर झूल आए लट को कान पर खोंचती, अपने सामने टेबल पर रखे दो लैपटॉप के बीच उलझी हुई थी।

वाइपर थ्री यानी पर्सी फलेरो,
..साढ़े छः फ़ीट से भी ऊँचा कद, लम्बा चेहरा, उभरे हुए मसल्स वाला भीमकाय शरीर।
तीस वर्षीय गोआ का भूतपूर्व बॉक्सर। शक्तिशाली इतना  कि एक पंच में किसी की भी जान ले ले। वो जरूरत पड़ने पर दोनों हाथों में सौ-सौ किलो के आदमी को उठा कर ले जा सकता था।
इस समय कान में हेडफोन लगाए, लोकल पुलिस के वायरलेस मैसेजेस सुन रहा था।

वाइपर वन यानी विक्रांत शेखावत,
..गेंहुआ रंग, सख्त शरीर, ऊँचा कद।
राजस्थान का रहने वाला पैंतीस वर्षीय पैरा कमांडो का पूर्व कैप्टन। जिसने सैकड़ों आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर मारा था। सटीक रणनीति बनाकर दुश्मनों को पल भर में नेस्तनाबूद करके अपने दस्ते के साथ सकुशल वापस आ जाना उनकी खासियत थी। विषम परिस्थितियों में भी त्वरित निर्णय लेना, दुश्मनों के चाल को दूर से ही समझ जाना जैसी उनमें अद्भुत शाक्तियाँ थी।
इस समय किसी से फोन पर बात कर रहा था।

"सर, उनके मोबाईल में जिस का नम्बर मिला है वो एक लोकल गुंडा है। कॉल डिटेल से पता चला है कि उन लोगों ने पिछले दो दिन में उससे पाँच बार बात किया है। ..वो पर-डे दो बार उससे बात करते थे, आज सुबह भी बात किया है। उस आदमी से हमें बहुत इन्फॉर्मेशन मिल सकता है।"

एरोडेन से चीफ विक्रम बत्रा,
"हूँ.., क्या प्लान है ?"

"..रुकते हैं सर।"

"ठीक है, पर आईएसआई का जमावड़ा है वहां ऑपरेशन के बाद से सब अलर्ट हो गये हैं। ..और ऊपर से मिनिस्टर का बेटा मरा है, वो लोग भी चुप नहीं बैठेंगे। ..सेंटर से शर्मा आ रहा है, बहुत ही शातिर है। उसे हमने ही ट्रेंड किया है इसलिए हमारी चालों को काफी हद तक समझता है वो।"

"मैं समझ रहा हूँ सर..."

"ओके विक्रांत, ..बट बी केयरफुल, मुझे कोई केजुअल्टी नहीं चाहिए।"

"नहीं होगी सर.."

"...ओके, मैं तुम्हें तीन नये लोकेशन भेज रहा हूँ जरूरत पड़ने पर यूज़ करना।"

"ओके सर"

"गुड लक, विक्रांत।"

"थैंक्यू सर, ..जय हिन्द।"
विक्रांत कॉल डिस्कनेक्ट कर के ईशा के पास आया और
उसके कुर्सी के पुश्त पर हाथ रखकर स्क्रीन को देखते हुए बोला,
"कोई नई जानकारी..?"

"विनोद झा, इंग्लैंड से ग्रेजुएट हो कर इसी साल लौटा था। ...पहले दर्जे का ऐय्याश और ड्रग एडिक्ट, पर आईएसआई से किसी कनेक्शन की कोई जानकारी नहीं है। ...पोखरा कल ही आया था, यहाँ शहर में शंकर नगर में उनका एक बंगला है। ..इसके अलावा यहाँ उसकी एक गर्ल फ्रेंड भी है। ..ये, फरहाना नाम है इसका।"
ईशा स्क्रीन पर एक फ़ोटो दिखाते हुए बोली।

"हूँ..। ..और कुछ, ...विनोद से हट के कुछ ?"

"हाँ.., ये.."
ईशा स्क्रीन पर एक दूसरा फ़ोटो दिखाते हुए बोली,
"..फुहान डूंग, ये भी टेररिस्टों के टच में था। चाइनीज पीपल्स लिबरेशन आर्मी का एक्स कैप्टन। कोर्ट मार्शल हो चुका है। ..और मजे की बात इस समय पोखरा में है।"

"ओह.., एक्स कैप्टन ! ..जरूर चाइनीज इंटेलिजेंस से होगा। रूबी को बोलो, इस बन्दे का डिटेल निकाले और पता करे कि ये अभी कहाँ मिलेगा।"
विक्रांत बोला।

***************************

शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित उस बार में शाम होते ही लोगों की भीड़ एक-एक कर के बढ़ने लगी थी। टूरिस्ट जिसमें ज्यादातर यूरोपियन कंट्री के थे, शराब का लुत्फ उठाते हुए बैठे थे। कुछ लोकल रईस युवतियां और युवक भी थे जो एक फ्री बर्ड की तरह बेपरवाह लग रहे थे और पूरी मस्ती से ड्रिंक एंजॉय कर रहे थे। मद्धिम रोशनी में डीजे तेज आवाज में संगीत बजा रहा था। इस तरह माहौल में चारों ओर गजब की रुमानियत छाई हुई थी।

उसी बार के बीच के टेबल में, एक निहायत ही खूबसूरत लड़की अकेली बैठी शराब पी रही थी। रेड, स्लीवलेस लोनेक टॉप में वह काफी अट्रैक्टिव लग रही थी। उसके आकर्षक रूप पर उसका नपा-तुला, पुष्ट शरीर उसे वो अप्सरा बना रही थी, जो किसी की भी तपस्या भंग कर दे। वह पूरी तरह नशे में चूर थी फिर भी और पी रही थी। बार के मैनेजर के लिए ये दृश्य कोई नया नहीं था फिर भी उस लड़की में ऐसी कशिश थी कि वो खुद को उसे देखने से रोक नहीं पा रहा था। वो बार-बार उसे ललचाई हुई आँखों से देख रहा था।

तभी वो लड़की उठी और चलने की कोशिश में पहले कदम में ही लड़खड़ाकर गिर गयी। पास ही खड़ा वेटर दौड़ता हुआ आया और "मैम, आर यू ओके..?"
कहते हुए उसे सहारा देकर उठाने लगा।
लड़की उससे सहारा लेकर उठी और झूमते हुए कुर्सी पर बैठ गयी। पर जैसे ही उसने सिर उठा कर वेटर को देखा उस पर भड़क गयी,
"यू स्काउंडरल, हाउ डे यू टच मी..? ..यू चीप, अपने मैनेजर को बुलाओ। .."
वो चिल्लाने लगी।

मैनेजर भागता हुआ आया और बोला,
"सॉरी मैम, ..मैं मैनेजर हूँ। बताइए, व्हाट कैन आई डू फ़ॉर यू।"

"मुझे उठाओ.."
वो अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली।

मैनेजर उसे हाथ पकड़कर सावधानी से उठाया। जब लड़की खड़ी हो गयी तो उसके कान के पास मुँह ले जा कर धीरे से बोली,
"मुझे रेस्ट रूम जाना है। चलो, मुझे ले कर चलो। ..तुम मैनेजर हो, ..तुम मैनेज करोगे। ..चलो, ..मुझे ले कर चलो।"

"ओके मैम, ..दिस वे प्लीज़।"
मैनेजर उसे सहारा देते हुए अदब से बोला और उसे लेकर आगे बढ़ने लगा।
उसी समय कोने के टेबल पर अकेला बैठा एक शख्स अपना सिगरेट ऐशट्रे पर मसला और उठ कर उस ओर बढ़ गया जिधर बड़े से अक्षरों में वॉशरूम लिखा था।

रास्ते में वो लड़की बार-बार लड़खड़ाकर मैनेजर से लिपट जाती थी। तब उसके शरीर के संपर्क में आने से एक सौ अस्सी के स्पीड से धड़कता उसका दिल उछल कर मुँह को आ जाता था और वो सूखते गले को तर करने के लिए थूंक निगलने लगता था।

"यू आर सो स्वीट, ..कितने हैंडसम हो तुम ..और डैशिंग भी। ..यंग, ..डैशिंग।"
लड़की मैनेजर के सीने को दाएँ हाथ से थपथपाते हुए बोली।

"थैंक्यू मैम.."
मैनेजर थूंक निगलते हुए बोला।

"वाओ,..मसल्स भी।"
लड़की मैनेजर के बाँह को दबाते हुए बोली,
"बट.., यू आर नॉट रोमांटिक.. यू आर सो बोरिंग।"

"जी मैम.."
मैनेजर बोला।
मैनेजर के मन में उस समय न जाने कैसे-कैसे ख़याल आ रहे थे पर वो अपनी नौकरी की सोंच कर खुद को सम्हाले हुए था।

"मैम.., रेस्ट रूम।"
वो रेस्टरूम के सामने पहुँच कर बोला।

"ओके, मैं दरवाजा खुला छोड़ती हूँ। ..अगर मैं गिर जाऊँ तो तू आकर मुझे उठाएगा। ..नहीं तो अंदर नहीं आएगा। ..यहीं खड़ा रहेगा, समझ गया।"
वो बड़ी मुश्किल से, नशे में झूमती सिर को उठाते हुए बोली।

"यस मैम.."
मैनेजर बोला और मुड़कर दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
दो मिनट बाद लड़की लड़खड़ाती हुई वापस आई और मैनेजर को देखकर मुस्कुराती हुई बोली,
"यू आर सो स्वीट, ..यंग, ..डैशिंग ..बट सो इनोसेंट। मैं तुमसे खुश हूँ ..बहुत खुश। ..मैं कल सुबह इंडिया चली जाऊंगी। ..यहाँ तुम्हारे पास कोई प्राइवेट रूम है ? मैं आज अपने होटल नहीं जाना चाहती।"

लड़की की बात सुनकर मैनेजर की बाँछें खिल गयी, वो लड़की के कहने का मतलब अच्छे से समझ रहा था।
"हाँ, है न, इधर पीछे ही मेरा रूम है। ये मेरी खुशनसीबी होगी जो आपके मेहमाननवाजी का मौका मिले। ..प्लीज़ आइए।"
वो जल्दी से बोला और उसे बाँह से पकड़ कर सामने के कॉरिडोर से होता हुआ आगे ले गया।

आगे क्रम से चार-पाँच कमरे थे।
वो अपने कोट के जेब से चाबी निकाला और पहले कमरे को खोलकर उसके साथ अंदर चला गया।

अंदर पहुँच कर मैनेजर ने सबसे पहले दरवाजे की सिटकिनी चढ़ाया फिर एक भरपूर नजर लड़की के शरीर पर नीचे से उपर तक डाला। उसके चेहरे से स्पष्ट था कि अगले कुछ मिनटों के ख़याल से उसके मन में लड्डू फूट रहा था। ..पर उसे अपने काम की भी चिंता थी, उसने अपना मोबाईल निकाल कर किसी को कॉल किया,
"मनोज.., उधर ख़याल रखना मैं थोड़ा बिजी हूँ।"
और मोबाईल जेब में रखकर लड़की की ओर बढ़ा।

लड़की मुस्कुराती हुई सामने खड़ी थी, वो उसे अपनी बाहों में भरने के लिए अपने दोनों हाथ उसकी ओर बढ़ाया। ..पर इससे पहले कि उसका हाथ लड़की के शरीर को छू भी पाता, उसके गाल पर एक झन्नाटेदार तमाचा पड़ा। तमाचा इतना तेज था कि वो लड़खड़ा वहीं गिर गया और दर्द से बिलबिलाने लगा। उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने उसके गाल पर गरम इस्त्री दे मारा हो।
मैनेजर अभी फर्श पर पड़े, आँखों के आगे नाचते तारों की गिनती भी शुरू नहीं कर पाया था कि उसका गिरेबान लड़की के हाथों में था और वो बिना प्रयास के ही अपने पैरों पर खड़ा हो गया था।

"विजेंद्र यादव कहाँ है..?"
लड़की गुर्राई।

मैनेजर के चेहरे का भाव तुरंत बदल गया।
सोंच के विपरीत अचानक हुए हमले से वो भले ही पल भर के लिए भौंचक हो गया था पर वो भी कोई आम आदमी नहीं बल्कि एक शातिर गुंडा था। विजेंद्र यादव का नाम सुनते ही वो पूरा मामला समझ गया है और अगले ही पल वो पूरे ताकत से अपने हाथ का वार लड़की के हाथ पर किया.. लड़की के हाथ से उसका गिरेबान छूट गया।

वो लड़की पर अगला हमला करने के बजाय मुड़कर दरवाजे की ओर भागा। लड़की ने अपने पैर का एक भरपूर प्रहार उसके कमर पर किया। वो आगे गिरते-गिरते सम्हला और फुर्ती से हाथ सिटकिनी की ओर बढ़ाया। पर उसके हाथ के सिटकिनी तक पहुंचने से पहले ही लड़की के बाएँ हाथ का फंदा उसके गले में था। लड़की उसके गले को हाथ के फंदे से कसते हुए उसे पूरी ताकत से पीछे खींची। वो एक कदम पीछे खिंचा गया। वो बाएँ हाथ से अपने गले का फंदा हटाने की कोशिश करता हुआ दायाँ हाथ सिटकिनी की ओर बढ़ाने की कोशिश करने लगा।
लड़की अपने बाएँ हाथ से उसके गले पर फंदा और दाएँ हाथ से, उसके दाएँ हाथ को खींच रही थी।
कुछ पल तक दोनों में ऐसे ही जद्दोजहद चलती रही। उसका हाथ सिटकिनी से पाँच इंच ही दूर था पर लड़की इतनी ताकत से उसे पीछे खींच रही थी कि वो उसे छू भी नहीं पा रहा था। साथ ही उसके गले पर दबाव भी बढ़ता ही जा रहा था, उसका बायाँ हाथ लड़की के हाथ के फंदे को हटाने में सफल नहीं हो पा रहा था।

वो दाएँ हाथ से सिटकिनी खोलने की कोशिश छोड़ उसे नीचे किया और अपनी कमर में खोंचा पिस्टल निकाल लिया। लड़की सतर्क थी, वो अपने दाएँ हाथ का एक जोरदार कराट उसके बाँह पर मारी।
मैनेजर के हाथ से पिस्टल छूट गया और इसी पल दर्द के कारण वो कुछ कमजोर भी पड़ गया। लड़की ने उसे एक जोरदार धक्का मारा, उसका सिर दरवाजे के पास दीवार के कोर पर लगा।
वो दर्द से दोहरा अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गया। उसके माथे पर एक बड़ा सा कट लगा था जिससे बहते खून से उसका चेहरा विभत्स होने लगा था।
लड़की उसे देखती हुई कुछ पल अपने साँसों को संयत करती रही फिर उसका पिस्टल उठा कर, जिस दरवाजे को न खोलने देने के लिए इतनी मेहनत की थी, उसे ही आगे बढ़कर खोल दी।
सामने एक ऊँचे कद का, अट्ठाईस वर्षीय, हिष्ट-पुष्ट, चॉकलेटी चेहरे वाला लड़का, ब्लू सूट में खड़ा था।
..दरअसल वो वाइपर फोर यानी एकांश कश्यप था,
छत्तीसगढ़ पुलिस का पूर्व डीएसपी और एनकाउंटर स्पेसलिस्ट। एक निर्दयी हत्यारा जो अब तक सैकड़ों अपराधियों को मौत के घाट उतार चुका था और किसी को भी गोली मार देने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाता था। इसके अलावा वो किसी भी प्रकार के आधुनिक से आधुनिक बम को भी सूँघ कर पहचान लेता था और डिफ्यूज कर लेता था।
...और वो लड़की वाइपर फाइव यानी रूही जिलानी थी।
बाईस वर्षीय लखनऊ की निहायत ही खूबसूरत लड़की पक्का निशानची, शूटिंग में स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडलिस्ट। सिंगिंग, डांसिंग, एक्टिंग जैसी कई खूबियों के साथ-साथ किसी भी लड़के को अपने वश में कर लेने की कलाओं में माहिर। जुडो-कराटे, मार्शल आर्ट की एक्सपर्ट, एक खूबसूरत बला।

एकांश कमरे के अंदर आया और दरवाजा बन्द कर लिया।

"तू क्या समझता था ? तू दरवाजा खोल भी लेता तो बच जाता..हुंह, ..बाहर तेरा बाप खड़ा था।"
रूही व्यंग्य से मुस्कुराती हुई बोली,
"..मैं तो बस, तुझे तेरी औकात दिखा रही थी। ..अब बताएगा कि.."

"...मुझे नहीं मालूम, ...मैं तो उस नाम के किसी को जानता तक नहीं।"
मैनेजर कराहते हुए बोला।

एकांश अपने जेब से प्लास्टिक की एक रस्सी निकाला और उसके दोनों हाथ पीछे कर के बाँध दिया। फिर उसके कोट के सामने जेब में सजे लाल रुमाल को निकाल कर उसके मुँह में ठूँस दिया और अपने घुटने के पास से एक तेज चाकू निकाल कर, उसके माथे में बने कट के निशान के उपर बेदर्दी से एक और आड़ा कट लगा दिया। अब वो कट एक प्लस का निशान बन गया था।
मैनेजर दर्द से बिलबिला उठा ..पर उसके मुँह से सिर्फ 'गूँ ..गूँ' की आवाज निकली।

एकांश का सुंदर, चॉकलेटी चेहरा उस समय किसी वहशी दरिंदे सा लग रहा था। वो एक नजर अपने चाकू पर लगे खून को देखा और पैर फैला कर बैठे मैनेजर के दोनों जाँघ पर एक-एक करके चाकू खींच दिया। दोनों जाँघ से खून भल-भल, भल-भल निकलने लगा और वो एक बार फिर से अपने चाकू को देखने लगा।

मैनेजर 'गूँ ..गूँ' करते, जल्दी-जल्दी सिर हिलाने लगा।
वो समझ चुका था कि अब इनसे झूठ बोलने से कुछ हासिल नहीं होगा ..जब तक झूठ बोलता रहूँगा, नया-नया दर्द सहता रहूँगा।

एकांश ने उसके मुँह से रुमाल निकाल दिया।

क्रमशः..
S-1 Part- 4


Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

सच में, काफी समय से ऐसी कहानी पढना चाह रहे थे। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद ऐसी शानदार रचना लिखने के लिए 🙏🏻🌷🙏🏻 बस ये आगे भी ऐसे ही चलती रहे 🙏🏻 🌹 🙏🏻 राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻

19 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
पोखरा- द सर्जिकल स्ट्राइक
5.0
कहानी शुरू करने से पहले मैं चाहता हूँ कि आप सब को इस कहानी के पृष्ठभूमि से अवगत करा दूँ ताकि आप को इसके परिस्थितियों को समझने में सुगमता हो। हमारे देश द्वारा भारत-चीन सीमा पर अपनाए गये आक्रामक रूख से चीन बौखलाया हुआ था। इधर कोरोना महामारी के लिए उसे दोषी ठहराए जाने के कारण वह विश्व में अलग थलग भी पड़ गया था। इसलिए उसने प्रत्यक्ष के बजाए भारत से अप्रत्यक्ष युद्ध करने का निर्णय लिया और भारत के पड़ोसी देशों के साथ साजिश रच कर हमें आतंकवाद और तस्करी के जरिए अंदर से खोखला करना चाहा। पाकिस्तान तो पहले से भारत का दुश्मन था ही किन्तु अब इसके लिए उसने नेपाल को भी अपने साजिश में शामिल कर लिया है और इसका बहाना बना एक छोटा सा सीमा विवाद... नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य--सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जुड़े हैं। वैसे भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं था। लगभग 98% प्रतिशत सीमा की पहचान व उसके नक्शे पर सहमति थी, केवल कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद था जिसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया चल रही थी। इसीबीच, भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये उत्तराखंड के धारचूला (Dharchula) को लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से जोड़ती हुई एक सड़क बनाना शुरू किया, जिसमें नेपाल ने आपत्ति किया। नेपाल का दावा था कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है। नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani) लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख  (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता था। भारत इसे बातचीत के जरिए हल करना चाहता था पर चीन के बहकावे में आकर नेपाल इस मुद्दे को खींचता रहा, उसे बढ़ाता रहा और अब उसे खुश करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को अपने देश में पनाह देता है। स्थिति ये है कि जहाँ पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के एजेंट वहाँ के सड़कों पर बेरोकटोक घूमते हैं, उन्हें वहाँ के सुरक्षा एजेंसियाँ सहयोग करती हैं वहीं भारत के नागरिकों तक के ऊपर निगरानी रखी जाती है। चीन आतंकवादियों को वहाँ ट्रेंड करती है, उन्हें आधुनिक साजो समान से लैस करती है और भारत नेपाल के बीच मुक्त आवागमन का फायदा उठा कर उन्हें भारत भेजती है। जब भारत इन बातों पर आपत्ति करता है तो नेपाल की ओर से उसे कोई सहयोग नहीं दिया जाता और न ही जाँच एजेंसियों को वहाँ आधिकारिक रूप से आने दिया जाता है। ऐसे में भारत भी अब आधिकारिक जाँच के बजाए खुफिया एजेंसियों के द्वारा सीधे उन पर हमले करती है और गुप्त रूप से वहाँ घुस कर उन्हें नेस्तनाबुद करती है। कहानी की पृष्ठभूमि ये है कि विश्व की नजरों में भले ही आज भी भारत और नेपाल के बीच मित्रता है पर वास्तव में नेपाल पाकिस्तान के समान ही एक दुश्मन पड़ोसी देश बन चुका है। अब नेपाल के सीमा पर भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को रात दिन चौकसी करनी पड़ती है और जवान सिविल ड्रेस में हजारों के तादाद में वहाँ तैनात रहते हैं। भारत जब भी आवश्यकता होती है वहाँ घुस कर अपने दुश्मनों का सफाया करती है। ये कहानी है, भारत के एक खूँखार सीक्रेट इंटेलिजेंस यूनिट 'एरो' का जिसके सिर्फ नाम से ही दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं। नाम से ही इसलिए क्योंकि सब इस यूनिट का सिर्फ नाम जानते हैं, जिसने भी इसके एजेंटों को पहचान लिया वो चाहे निर्दोष ही क्यों न हो.., मार दिया जाता है। इसके एजेंट कब कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं, इसका मुखिया कौन है, इसका मुख्यालय कहाँ है ये औरों को तो क्या भारतीय खुफिया विभाग को भी मालूम नहीं है। इसके एजेंटों को भारत के सभी खुफिया एजेंसियों की सदस्यता प्राप्त होती है, ये देश के किसी भी एजेंसी के सूचनाओं, सुविधाओं और संसाधनों का जब चाहे उपयोग कर सकते हैं पर खुद किसी को कोई जवाब देने को बाध्य नहीं। इनके पास अत्याधुनिक हथियारों, सुरक्षा उपकरणों और टेक्निकल सपोर्टिंग स्टाफ की भरमार है। इसके एक एजेंट के पीछे तीन टेक्निकल स्टॉफ चौबीसों घण्टे सपोर्ट के लिए काम करते रहते हैं जो इनके हर सिचुएशन, एक्शन, लोकेशन, यहाँ तक की इनके शरीर के टेम्परेचर, ब्लडप्रेसर, पल्सरेट तक की निगरानी करते रहते हैं। इन्हें विश्व में कहीं भी, किसी भी स्थान को तबाह करने और किसी को भी जान से मार देने की खुली छूट दी गयी है और ये देश के पीएम के अलावा किसी के भी प्रति जवाब देह नहीं। इसतरह ये खूँखार हैं, दुर्दांत हैं, निर्दयी हैं, ये किसी को भी मारने से पहले पल भर भी नहीं सोंचते।
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