"चारो चोर के साथ हमारे पप्पु साहब चल देते है चोरी करने के लिए। उस तालाब से दो किलो मीटर दूर एक छोटा सा गांव है जहां पर उनको चोरी करने जाना है.. दस मिनट तक पैदल चलने के बाद गांव तक पहुंच जाते है और एक घर सेलेक्ट करते है उस घर के सभी सदस्य बाहर सोए हुए थे चुकी गर्मी का मौसम है और आज गर्मी भी बहुत है। दीवार कुद कर घर के अंदर चले जाते है लेकिन पप्पु दीवार पर चढ़ नही पा रहा था फिर ऊन चारो ने उसे जैसे तैसे बाह खींच कर चढ़ाए। चारो चोर घर के अंदर जाकर चोरी करने लगते है लेकिन पप्पु चुप चाप खड़ा हुआ है।.. अरे पागल खड़ा क्यो है जा जाकर कही से खांची लेकर आ".. एक चोर ने कहा। फिर पप्पु खांची ढूंढने लगा लेकिन उसे घर के अंदर खांची नही मिला फिर उसने अपने दिमाग मे सोचा कि खांची बाहर होगा लेकिन खांची बाहर भी नही मिला इसके बाद हमारे पप्पु साहब अपने छोटे से दिमाग़ मे सोचे कि खांची तो लेकर जाना ही है तो क्यों ना लोगो को जागा कर मांग लु। फिर क्या था चल पड़े साहब खांची मांगने बेचारे घर वाले दिन भर काम करने के बाद रात मे गहरी नींद मे सोए हुए थे सभी एक ही जगह पर कोइ चटाई बिछाकर एक के पास जाकर हमारे साहब जोर जोर से धक्का दे कर जगाने लगे। बहुत जगाने के बाद वह आदमी उठा और निंद मे रहते हुए कहा.. कौन हो भाई क्यो अच्छी खासी निंद खराब कर रहे हों। फिर पप्पु ने कहा.."भाई मै चोर हु चोरी करने आया हु सामान ले जाने के लिए एक खांची चाहिए"। इतना सुनने के बाद अधेड़ निंद वाला का निंद धड़ से खुला और उसने हमारे पप्पु साहब को दबोच लिया फिर चिलाने लागा घर के सभी सदस्य जाग उठे और कुछ पड़ोसी भी आ टपके। फिर तो क्या कहना हमारे साहब की खुब लात मुक्को से कुटाई हुइ उधर हल्ला सुनकर अंदर वाले चारो चोर भाग निकले। हमारे पप्पु साहब ज़मीन पर गिर कर लात मुक्के खा रहे थे बहुत मार पड़ी साहब को फिर उसी भीड़ मे एक समझदार और भले आदमी थे जिनको पप्पु साहब की बेवकूफी समझ गए उस भले इन्सान ने मारने से सबको रोका कुछ देर बाद सब उनकी बात मान गए।.."तुम लोगों का दिमाग़ घास चरने गाया है जो इसे मार रहे हो असली चोर तो भाग गए चोरी करके".. उस भले इन्सान ने गांव वाले बेवकुफो से कहे फिर उनमें से एक ने भले इन्सान से कहा.."ये आप क्या बोल रहे है चोर घर के अंदर कहा है चोर तो यही "।.. चोर यह नही यह एक बेवकूफ़ लड़का है जो उनके कहने पर चोरी करने आया है, खुद तुम लोग सोचो कि अगर इसमें अक्ल नाम की कोई चीज़ होती तो क्या तुम्हे जगाकर खांची मांगने आता".. उस भले इन्सान ने गांव वालों को समझाया उनकी बात गांव वाले को समझ मे आ गई की ये कोई सही मे चौपट आदमी है। फिर गांव वाले ने हमारे पप्पु साहब को बख्श दिया पप्पु साहब किसी तरह उसी गांव मे रात बिताने लगे।।