प्राणियों में श्रेष्ठ इंसान, क्य बन गया हैवान?
वासना का पुतला बन गया आज हर जीता जागता इंसान.
वासना मन की:
घर में बाहर में, विचारों में व्यवहारों में, वासना ही वासना.
क्या पूरी हो पायेगी ये वासना?
वासना धन की:
अपनों को परायों को, धोखा देकर लूट खसोट कर.
धन से पेट भर रहा आज हर इंसान.
क्या भर पाएगा ये शैतानी पेट.
हमसे अच्छा तो पशु हे.
श्रेष्ठ प्राणी तो नहीं पर शैतान भी नहीं,
नग्न रहता हे पर नग्नता नहीं,
क्या हम इंसान कहलाने योग्य हैं ?
शायद कदापि नहीं, शायद कदापि नहीं.