बेटे की चाहत में,घर बर्बाद कब तक !
ये कैसी विडंबना है कि नारी का समाज में इतने योगदान के बाद भी वो सम्मान नहीं मिला, जितनी की वो हकदार है, इसके पीछे शायद नारी ही दोषी है,
जब हम बेटी होते है तो अपने हक के लिए लड़ते है, शादी के बाद जब मां बनने वाले होते है तो ' बेटे की चाह ' रखते है, ऐसा क्यों,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,