कविता को हमेशा इंसान को जीना चाहिए और उनसे कुछ ना कुछ सीखना चाहिए। यहां पर मैंने जो कविता लिखी है वो उनके लिए है जो दिल और दिमाग से पूरे बच्चे हैं।, जिन्होंने स्वयं के अंदर स्वयं का बचपन जीवित रखा है। अपने आपको इन कविता से जोड़कर देखिए आपको बहुत पसंद आएगा, क्योंकि इसमें आपको बहुत सी ऐसी चीजें मिलेंगी जिसे एक बार ही सही अपने जीवन से जरूर जोड़ेंगे।
प्रकृति और हम
प्रकृति का साथ देने का वादा करें;
हम सब मिलकर,
प्रकृति का साथ देने का वादा करें।
सब में ऊर्जा भरने को, सूरज नित काम करता;
हमारे जीवन हेतु, प्रकृति में नित काम चलता।
हमको धूप, हवा, पानी, भोजन आदि कौन देता ?
प्रकृति के बिना यह कैसे मिलता ? यह कैसे मिलता ?
हम यह, क्यों नहीं देख सकते ?
प्रकृति की जयकार क्यों नहीं कर सकते ?
हम सब मिलकर,
हम सब मिलकर सहयोग करें;
हरियाली और पेड़ों की रक्षा करें;
हरियाली और पेड़ों में वृद्धि करें;
प्रकृति का साथ देने का वादा करें।
प्रकृति का साथ देने का वादा करें;
हम सब मिलकर,
प्रकृति का साथ देने का वादा करें।
स्वयं के लिये, सब के लिए;
मुन्ना केलिए, और मुन्नी केलिए;
भावी पीढ़ी के लिये;
हो अच्छा भविष्य, हो अच्छा भविष्य;
पक्का करें, हम यह पक्का करें;
प्रकृति का साथ देने का वादा करें।
प्रकृति का साथ देने का वादा करें;
हम सब मिलकर,
प्रकृति का साथ देने का वादा करें।
उदय पूना