* क्या यह समझदारी है *
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हर समय समझदारी का बोझ लिये रहना (गंभीर बने रहना), क्या समझदारी है;
हर बार समझदारी दिखलाते रहना, क्या समझदारी है। ???
कुछ कुछ गलती करते रहना (सीखते रहना), भी समझदारी है;
कभी कभी समझदारी न दिखलाना, भी समझदारी है।
कुछ कुछ प्रयोग करते रहना (नया या नये तरीके से करना), भी समझदारी है;
जीवन के भिन्न भिन्न अनुभव लेना, भी समझदारी है।
परस्थिति के अनुरूप, लचीलापन लिये, सिद्धांतों (जो समाविष्ट न हो सके) को छोड़, जो उचित लगे करना, ही समझदारी है;
यह है अपनी जिंदगी, खुल कर जीना, स्वयं अनुसार जीना, ही समझदारी है।
जीवन का सम्मान करना, बोझ मुक्त रहना, आनंद में रहना, आपस में जुड़े रहना, ही समझदारी है;
निज को जो अनुभव होते हैं, उनका निज केलिये महत्त्व समझना, सम्मान करना, ही समझदारी है।
कौन है मूर्ख, सभी समझदार हैं, फिर समझदारी पर चर्चा, क्या समझदारी है; ???
हम स्वयं को समझदार मानते हैं, फिर समझदारी को समझना, क्या समझदारी है।।
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उदय, पूना